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ऑस्टियोटमी एक ऐसा सर्जरी प्रोसीजर है, जिसमें ओस्टियोआर्थराइटिस का इलाज करने के लिए हड्डी की काट-छांट करके सही रूप दिया जाता है। जब दवाओं, वजन कम करने और एक्सरसाइज आदि से दर्द को कम न किया जा सके, तो ऑस्टियोटमी सर्जरी करने पर विचार किया जाता है। सर्जरी से पहले आपको प्रभावित जोड़ के इमेजिंग स्कैन कराने की सलाह दी जाती है। इन इमेजिंग परीक्षणों की मदद से जोड़ की करीब से जांच की जाती है व साथ ही सर्जरी की योजना बनाने में मदद मिलती है। सर्जरी से पहले डॉक्टर आपसे कुछ सवाल पूछते हैं जैसे जीवन शैली संबंधी आदतों के बारे में पूछते हैं और आपसे स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारियां लेते हैं।

ऑस्टियोटमी सर्जरी को पूरा होने में लगभग एक से दो घंटे का समय लगता है। सर्जरी के बाद यदि आपकी स्थिति ठीक लग रही है, तो आपको घर के लिए छुट्टी दे दी जाती है। यदि आपको स्थिति सही नहीं लग रही है, तो फिर आपको कुछ समय के लिए घर पर रुकने की सलाह भी दी जा सकती है। डॉक्टर आपको सर्जरी के बाद देखभाल करने से संबंधित कुछ आवश्यक सुझाव दे सकते हैं। आपको रिहैबिलिटेशन एक्सरसाइज संबंधी कुछ सुझाव दिए जाते हैं, जिससे सर्जरी के बाद आपको जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।

(और पढ़ें - हड्डियों में दर्द का इलाज)

  1. ऑस्टियोटमी क्या है - What is Osteotomy in Hindi
  2. ऑस्टियोटमी किसलिए की जाती है - Why is Osteotomy done in Hindi
  3. ऑस्टियोटमी से पहले - Before Osteotomy in Hindi
  4. ऑस्टियोटमी के दौरान - During Osteotomy in Hindi
  5. ऑस्टियोटमी के बाद - After Osteotomy in Hindi
  6. ऑस्टियोटमी की जटिलताएं - Complications of Osteotomy in Hindi
ऑस्टियोटमी के डॉक्टर

ऑस्टियोटमी किसे कहते हैं?

हड्डी को सही रूप देने के लिए की जाने वाली सर्जरी को मेडिकल भाषा में ऑस्टियोटमी कहा जाता है। यह एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसमें जोड़ों के आसपास की हड्डियों के कुछ हिस्सों को निकाला जाता है। इस सर्जरी का उपयोग ऑस्टियोआर्थराइटिस से होने वाले दर्द को कम करने के लिए किया जाता है।

(और पढ़ें - गठिया के दर्द का इलाज)

ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों में मौजूद हड्डियों से जुड़े कार्टिलेज को क्षतिग्रस्त कर देता है, जो हड्डियों के लिए एक कुशन (गद्दी) के रूप में काम करते हैं। इस रोग में हड्डियां कमजोर पड़ जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप जोड़ों में मौजूद हड्डियां घिसने लगती हैं और तीव्र दर्द पैदा हो जाता है। यदि आपको ऑस्टियोआर्थराइटिस है, तो डॉक्टर शुरुआत में दर्द को कम करने वाले अन्य विकल्प चुनते हैं जैसे दवाएं, एक्सरसाइज, शरीर का वजन कम करना और फिजियोथेरेपी आदि। हालांकि, यदि इन उपायों से दर्द कम नहीं हो रहा है, तो स्थिति के अनुसार जॉइंट रिप्लेसमेंट या ऑस्टियोटमी सर्जरी की जा सकती है।

ऑस्टियोटमी सर्जरी को अधिकतर मामलों में तब किया जाता है, जब ऑस्टियोआर्थराइटिस से घुटना क्षतिग्रस्त हो गया हो। ऐसी स्थिति में घुटने के ऊपर की हड्डी (फीमर) या नीचे की हड्डी (टिबिया) का ऑपरेशन किया जाता है। ऑस्टियोटमी सर्जरी से ऑस्टियोआर्थराइटिस में होने वाला दर्द कम हो जाता है और घुटने से चलने-फिरने में सुधार होता है।

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ऑस्टियोटमी सर्जरी क्यों की जाती है?

यदि आपके जोड़ ऑस्टियोआर्थराइटिस से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, तो सर्जन ऑस्टियोटमी सर्जरी करने पर विचार कर सकते हैं। इसके अलावा यदि जोड़ों की कार्य प्रक्रिया प्रभावित हो गई है या निम्न लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो भी ऑस्टियोटमी सर्जरी की जा सकती है -

  • जोड़ों में दर्द
  • जोड़ों में अकड़न
  • मांसपेशियां कमजोर होना
  • जोड़ों को हिलाते-ढुलाते समय आवाज आना
  • प्रभावित जोड़ को छूने पर दर्द होना
  • जोड़ में सूजन या उसकी आकृति असामान्य होना
  • जोड़ को लंबे समय बाद हिलाने पर दर्द व अकड़न महसूस होना
  • मांसपेशियां पतली पड़ जाना
  • सीढ़ियां चढ़ते या चलते समय घुटनों में अत्यधिक दर्द होना
  • दोनों टांगों की लंबाई में अंतर
  • चाल असामान्य होना

ऑस्टियोटमी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या है, तो फीमर हड्डी में ऑस्टियोटमी सर्जरी नहीं की जाती -

  • सूजन सहित गठिया (इसमें आर्थराइटिस के साथ शरीर के जोड़ों में सूजन व लालिमा विकसित हो जाती है)
  • ऑस्टियोनेक्रोसिस (रक्तस्राव कम होने के कारण प्रभावित हिस्से में कोशिकाएं नष्ट होने लगना)
  • कूल्हे का जोड़ पूरी तरह से काम न कर पाना
  • ऑस्टियोआर्थराइटिस की स्थिति गंभीर हो जाना
  • जहां सर्जरी की जानी है वहां पर संक्रमण हो जाना

यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या महसूस हो रही है, तो टिबिया हड्डी में ऑस्टियोटमी सर्जरी नहीं की जाती -

  • उम्र 65 या उससे अधिक होना
  • घुटने के बीच वाले हिस्से में गंभीर गठिया होना (सीवियर मेडियल कम्पार्टमेंट ओस्टियोआर्थराइटिस)
  • ट्राईकंपार्टमेंटल ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया का एक प्रकार जो घुटने के सभी हिस्सों को प्रभावित कर देता है)

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ऑस्टियोटमी से पहले क्या तैयारी का जाती है?

ऑस्टियोटमी सर्जरी से पहले आपको निम्न तैयारियां करने की सलाह दी जा सकती है -

  • सर्जन आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले अस्पताल बुलाते हैं, जिस दौरान आपसे आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारियां ली जाती हैं और साथ ही कुछ टेस्ट व इमेजिंग स्कैन किए जाते हैं जैसे ब्लड टेस्ट और एक्स रे आदि।
  • यदि आप पहले या वर्तमान में किसी भी प्रकार की कोई दवा लेते हैं, जैसे टेबलेट, हर्बल उत्पाद, विटामिन, मिनरल या फिर कोई अन्य सप्लीमेंट लेते हैं तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें।
  • यदि आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या या एलर्जी आदि है, तो इस बारे में भी डॉक्टर को बता दें।
  • डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा को लेना शुरू या बंद न करें। यदि आप रक्त को पतला करने वाली कोई दवा लेते हैं, तो डॉक्टर आपको कुछ समय तक ये दवाएं न लेने की सलाह दे सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें
  • आपको ऑपरेशन वाले दिन अस्पताल में खाली पेट आने की सलाह दी जाती है। खाली पेट रहने के लिए आपको सर्जरी से पहली रात के बाद कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जाती है। खाली पेट रहने से सर्जरी के दौरान मतली और उल्टी की समस्या नहीं होती है, जो एनेस्थीसिया से होने वाला एक साइड-इफेक्ट होता है।
  • यदि सिगरेट या शराब पीते हैं, तो डॉक्टर सर्जरी से कुछ दिन पहले और बाद तक उन्हें छोड़ने की सलाह दे सकते हैं। धूम्रपान या शराब का सेवन सर्जरी के बाद ठीक होने की प्रक्रिया को धीमा बना देता है। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)
  • सर्जरी वाले दिन अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लाएं, जो सर्जरी के दौरान और बाद के कार्यों में आपकी मदद करेंगे।
  • अस्पताल में आपको एक सहमति पत्र दिया जाएगा, जिस पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे सकते हैं। हालांकि, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार अच्छे से पढ़ लेना चाहिए।

(और पढ़ें - शराब की लत के लक्षण)

ऑस्टियोटमी कैसे की जाती है?

ऑस्टियोटमी की सर्जिकल प्रोसीजर कुछ इस प्रकार है -

  • आपको ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाता है। आपको कौन सा एनेस्थीसिया लगाना है, यह डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार निर्णय लेते हैं। जनरल एनेस्थीसिया से आप गहरी नींद में सो जाते हैं और आपको कुछ महसूस नहीं होता है। लोकल एनेस्थीसिया से सिर्फ उस हिस्से को सुन्न किया जाता है, जिसकी सर्जरी की जानी है। इसके अलावा स्पाइनल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल भी किया जाता है, जिसे रीढ़ की हड्डी में लगाया जाता है और इससे शरीर का निचला हिस्सा सुन्न पड़ जाता है।
  • यदि सर्जरी घुटने के लिए की जानी है, तो सर्जन घुटने पर एक गहरा चीरा लगाते हैं।
  • इसके बाद अंदर की स्थिति की जांच करके यह पता लगाया जाता है कि प्रभावित हिस्से के अनुसार हड्डी के कितने भाग को हटाना है। 
  • हड्डी हटाने के लिए गाइडवायर की मदद से हड्डी पर निशान लगाया जाता है, ताकि सटीक नाप मिल सके।
  • निशान लगे हुए हिस्से को ऑसिलेटिंग सॉ नामक उपकरण की मदद से हटा दिया जाता है।
  • जब हड्डी के टुकड़े को निकाल दिया जाता है, तो निम्न प्रक्रियाओं की मदद से उस हिस्से  भर दिया जाता है।
    • क्लोजिंग वेज -
      इस प्रक्रिया में निकाले गए हिस्से के ऊपर व नीचे की हड्डी की पहचान की जाती है और उन्हें जोड़कर पेच व प्लेट लगा दी जाती हैं। इससे हड्डी के दोनों भाग आपस में स्थायी रूप से जुड़ जाते हैं।
       
    • ओपन वेज -
      ​इस प्रक्रिया में टुकड़ा निकाली गई जगह को खुला ही रखा जाता है और उसमें रिक्त स्थान में बोन ग्राफ्टिंग सर्जरी कर दी जाती है। बोन ग्राफ्टिंग में या तो शरीर के किसी अन्य हिस्से से हड्डी ली जाती है या फिर कृत्रिम हड्डी का उपयोग किया जाता है।
  • इसके बाद सर्जन चीरे को बंद करके टांके लगा देते हैं और ऊपर पट्टी कर देते हैं।

ऑस्टियोटमी सर्जरी का प्रोसीजर को पूरा होने में एक से दो घंटे का समय लग सकता है। आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार ही आपके अस्पताल में रुकने की अवधि निर्धारित की जाती है। यदि आप निम्न गतिविधियां कर पा रहे हैं, तो आपको सर्जरी वाले दिन ही अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है -

  • बिना किसी मदद से आराम से बेड पर बैठ पाने और उठने में सक्षम
  • छड़ी या वॉकर की मदद से आराम से चल-फिर पाना
  • दर्द निवारक दवाओं से कोई समस्या न होना (और पढ़ें - दर्द निवारक दवा के साइड इफेक्ट)

कुछ स्थितियों में डॉक्टर आपको सर्जरी के बाद एक या दो दिन तक अस्पताल में रख सकते हैं। इस दौरान मेडिकल स्टाफ आपको घाव की देखभाल करने संबंधी कुछ विशेष सुझाव देंगे और आपको वॉकर का सही इस्तेमाल करना भी सिखाएंगे। यदि सर्जरी घुटने की हुई है, तो उस टांग पर प्लास्टर लगाया जा सकता है, ताकि सर्जरी वाले जोड़ को सुरक्षित रखा जा सके।

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ऑस्टियोटमी सर्जरी के बाद क्या देखभाल की जाती है?

सर्जरी के बाद आपको पूरी तरह स्वस्थ होने के लिए तीन से छह महीने का समय लग सकता है, जो आपकी स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है।

सर्जरी के बाद घर आ जाने पर डॉक्टर आपको निम्न की देखभाल करने की सलाह दे सकते हैं -

  • सर्जरी के बाद आपको लगभग चार से छह हफ्तों तक वॉकर या बैसाखी का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है, ताकि जब तक आपका घुटना पूरी तरह से ठीक न हो उस पर शरीर का सारा वजन न पड़े। डॉक्टर की सलाह के बिना आपको बैसाखी का इस्तेमाल करना बंद नहीं करना चाहिए।
  • सर्जरी के बाद आपको कुछ समय तक सर्जरी वाले हिस्से में दर्द रह सकता है, जिसके लिए डॉक्टर आपको दर्द निवारक दवाएं देते हैं। यदि सर्जरी वाले हिस्से में सूजन, जलन व लालिमा बढ़ रही है, तो आपको बर्फ की सिकाई करने की सलाह देते हैं।
  • आप सर्जरी के बाद सामान्य रूप से चल फिर सकते हैं। हालांकि, सीढ़ियां चढ़ना, दौड़ना और अन्य कोई मेहनत वाली शारीरिक गतिविधियां करना शुरू करने से पहले डॉक्टर से अनुमति अवश्य लें। डॉक्टर आपको ये गतिविधियां शुरू करने से पहले 6 से 9 महीने आराम करने की सलाह देते हैं।
  • ड्राइविंग या अन्य कोई मशीन ऑपरेट करना शुरू करने से पहले डॉक्टर से अनुमति ले लें।
  • डॉक्टर आपको कुछ एक्सरसाइज सिखाते हैं, जो आपको सर्जरी के बाद जल्दी स्वस्थ होने में मदद करेंगी।

इस सर्जरी की मदद से आपको अगले 10 सालों तक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको ऑस्टियोटमी सर्जरी के बाद निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो डॉक्टर को इस बारे में बता देना चाहिए -

(और पढ़ें - खांसी का घरेलू इलाज)

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ऑस्टियोटमी सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

इस सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं हो सकती हैं -

  • जोड़ों में अकड़न होना
  • टांग में रक्त के थक्के बनना
  • ब्लीडिंग
  • संक्रमण
  • एलर्जिक रिएक्शन होना
  • सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना
  • सर्जरी के दौरान हड्डी ठीक से जुड़ न पाना
  • सर्जरी के दौरान नस या रक्त वाहिका क्षतिग्रस्त हो जाना

(और पढ़ें - नसों की कमजोरी के लक्षण)

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संदर्भ

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