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ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जो सिरदर्द से जुड़े कई प्रकार के ऐसे विकारों के इलाज के लिए की जाती है जिनमें किसी अन्‍य थेरेपी से लाभ नहीं मिल पाता है। इसमें सिर के पीठे लीड नामक पतली तारें और पेट में, कूल्‍हों के ऊपरी हिस्‍से या कॉलर या कंधे की हड्डी के बीचे बैटरी लगाई जाती है। लीड और बैटरी को एंक्‍सटेंशन वायर से कनेक्‍ट किया जाता है जो त्‍वचा के अंदर से चलती है।

य‍ह डिवाइस मस्तिष्‍क को हल्‍के इलेक्‍ट्रिकल संवेग भेजता है जिससे दर्द के संकेत बंद हो जाते हैं। हालांकि, इससे मरीज की समस्‍या का समाधान नहीं होता है। यह प्रक्रिया करवाने वाले मरीजों को 50 पर्सेंट दर्द से राहत मिल जाती है और वो आराम से अपने रोजमर्रा के काम कर पाते हैं।

इस प्रक्रिया में कई तरह की बैटरियां इस्‍तेमाल की जाती हैं। लिथियम की बैटरी तीन से पांच साल तक चलती है जबकि रिचार्ज होने वाली बैटरी सात से नौ साल तक चल जाती है। इसके बाद इसे बदलने की जरूरत होती है। हो सकता है कि इस सर्जरी की बाद में जरूरत ही न पड़े क्‍योंकि इससे मस्तिष्‍क की नसों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।

  1. ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन क्या है - What is Occipital Nerve Stimulation in Hindi
  2. ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन क्यों की जाती है - Why Occipital Nerve Stimulation is done in Hindi
  3. ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन कब नहीं करवानी चाहिए - When Occipital Nerve Stimulation is not done in Hindi
  4. ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन से पहले की तैयारी - Preparations before Occipital Nerve Stimulation in Hindi
  5. ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन कैसे की जाती है - How Occipital Nerve Stimulation is done in Hindi
  6. ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन के बाद देखभाल - Occipital Nerve Stimulation after care in Hindi
  7. ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन की जटिलताएं - Occipital Nerve Stimulation Complications in Hindi
ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन के डॉक्टर

ओसिपिटल नर्व स्टिमुलेशन (ओएनएस) में दिमाग के अंदर नसों की एक्टिविटी को बदलने के लिए एक डिवाइस सिस्‍टम लगाया जाता है। इस डिवाइस में निम्‍न चीजें होती हैं :

  • लीड और इलेक्‍ट्रोड्स : लीड पतली और इंसुलेटिड तार होते हैं जबकि इलेक्‍ट्रोड लीड के सिरे को कहते हैं जो दिमाग के ऊतकों से कॉन्‍टैक्‍ट बनाता है।
  • एक्‍स्‍टेंशन : ये केबल होती हैं जिनकी अलग-अलग लंबाई होती है। ये लीड को बैटरी से कनेक्‍ट करती हैं।
  • एंकर : यह एक्‍स्‍टेंशन और लीड को आसपास के ऊतकों से सुरक्षित रखते हैं।
  • बैटरी (इंटरनल पल्‍स जेनरेटर या आईपीजी) : लिथियम या रिचार्ज होने वाली बैटरी बिजली के स्रोत के रूप में इस्‍तेमाल की जाती है।

यह डिवाइस सिर के पीछे हल्‍के इलेक्ट्रिकल संवेग भेजता है। इस डिवाइस के कार्य करने के सटीक तरीके के बारे में स्‍पष्‍ट जानकारी नहीं है। हालांकि, इसे लेकर कई थ्‍योरी बताई जा चुकी हैं। इनमें से कुछ थ्‍योरी का कहना है कि ओएनएस डिवाइस से नसों में होने वाली उत्तेजना मस्तिष्‍क तक दर्द के संकेत पहुंचाने वाले सिग्‍नलों को बंद या धीमा कर देता है।

यह डिवाइस दर्द का इलाज नहीं करता है बल्कि मस्तिष्‍क के एक हिस्‍सा में दर्द के संकेत पहुंचाना बंद कर देता है।

ओएनएस लेने वाले ज्‍यादातर मरीजों ने 50 पर्सेंट दर्द कम होने की बात कही है। इस डिवाइस का नसों पर परमानेंट असर नहीं पड़ता है इसलिए आगे चलकर ओएनएस को हटाया जा सकता है।

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ओएनएस सर्जरी की सलाह निम्‍न स्थितियों में खासतौर पर दर्द के लक्षणों को कम करने के लिए दी जाती है :

  • ओसिपिटल न्‍यूराल्जिया : इसकी वजह से सिर के तले से दर्द शुरू होता है और फिर सिर के दोनों तरफ लगातार दर्द होता है।
  • क्‍लस्‍टर हेडेक : इसमें अचानक से दर्द उठता है और सिर की एक ओर ओर जलन या चुभन महसूस होने लगती है। इसके साथ ही नीचे बताए गए लक्षण भी दिखते हैं :
  • क्रोनिक माइग्रेन : इसके लक्षण हैं :
    • सिर के एक या दोनों तरफ धीमे से तेज दर्द होना।
    • एक्‍सरसाइज करते समय सिर दर्द बढ़ जाना।
    • उल्‍टी या मतली
    • रोशनी, आवाज या गंध के प्रति संवेदनशील होना।
    • चक्‍कर आना
  • हेमीक्रेनिया कॉन्टिन : इसमें रोज लगातार सिर के एक तरफ दर्द के साथ निम्‍न लक्षण रहते हैं :
    • बेचैनी
    • बंद नाक या नाक बहना
    • सिरदर्द वाली जगह के तरफ के चेहरे पर लालिमा या पसीना आना।
  • सर्वाइकोजेनिक हेडेक : इसमें इस तरह के लक्षण दिखते हैं :
    • आमतौर पर एक तरफ सिरदर्द होना।
    • गर्दन में दर्द
    • गर्दन को घुमाने पर सिरदर्द बढ़ जाना।
    • गर्दन को कम घुमा पाना।
    • कीमोथेरेपी की वजह से सिरदर्द होना।

निम्‍न स्थितियों में इस सर्जरी की सलाह नहीं दी जाती है :

  • ऑपरेशन वाली जगह पर इसके आसपास इंफेक्‍शन होना।
  • प्रेग्‍नेंसी के दौरान।
  • खून से संबंधित विकारों में।
  • ओपिऑइड्स के इस्‍तेमाल पर।
  • अर्नाल्ड शियारी मालफॉर्मेशन (इसमें दिमाग के कुछ ऊतक स्‍पाइनल नलिका की ओर बढ़ जाते हैं)
  • कोई इलेक्‍ट्रिकल इंप्‍लांट जैसे कि पेसमेकर लगा होना, जो ओएनएस डिवाइस के काम में रुकावट पैदा कर सकता हो।

सर्जरी से पहले कुछ जांचों के लिए कुछ हफ्ते पहले डॉक्‍टर से मिलने जाना होता है। इस दौरान डॉक्‍टर निम्‍न सवाल पूछ सकते हैं :

  • मरीज की मेडिकल हिस्‍ट्री।
  • कोई एलर्जी तो नहीं है।
  • प्रेगनेंट हैं या नहीं।
  • कोई जड़ी बूटी या डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवा ले रहे हैं।

सर्जरी के लिए मरीज तैयार है या नहीं, ये जानने के लिए कुछ टेस्‍ट किए जा सकते हैं, जैसे कि :

इसके बाद मरीज को सर्जरी के लिए निम्‍न निर्देश दिए जाते हैं :

  • सर्जरी से कुछ दिन पहले खून पतला करने वाली दवाएं जैसे कि एस्प्रिन लेना बंद कर दें।
  • सर्जरी से पहले कान-नाक की ज्वेलरी, नेल पॉलिश और हटाया जाता है।
  • ऑपरेशन के बाद घर ले जाने के लिए कोई साथ होना चाहिए।
  • सर्जरी से कुछ हफ्ते पहले ही सिगरेट पीना बंद कर दें।
  • ऑपरेशन से एक रात पहले कुछ भी खाने-पीने से मना कर दिया जाता है। इससे एनेस्‍थीसिया के कारण उल्‍टी नहीं होती है।
  • ऑपरेशन के लिए मरीज को एक फॉर्म साइन करना होता है।

सिर की स्किन के अंदर लीड इंप्‍लांट करने से पहले बाहर बैटरी द्वारा सर्जरी से पहले एक ट्रायल किया जाता है। यह ट्रायल चार से सात दिनों तक होगा और अगर लक्षणों में कमी आई तो डॉक्‍टर परमानेंट रू से ओएनएस डिवाइस को इंप्‍लांट करेंगे।

मरीज के अस्‍पताल पहुंचने के बाद उसे हॉस्‍पीटल गाउन पहनाई जाती है। इसके बाद सर्जरी के दौरान जरूरी तरल पदार्थ और दवाएं देने के लिए बांह या हाथ में ड्रिप लगाई जाती है।

निम्‍न तरीके से सर्जरी की जाती है :

  • ऑपरेशन थिएटर : मरीज को ऑपरेशन थिएटर ले जाया जाता है और वहां उसे छाती के बल या करवट लेकर लिटाया जाता है।
  • एनेस्‍थीसिया : मरीज को बेहोश करने के लिए उसे जनरल एनेस्‍थीसिया दिया जाता है। इसके अलावा ऑपरेशन वाली जगह को सुन्‍न करने के लिए लोकल एनेस्‍थीसिया भी दिया जा सकता है। इस जग लीड और बैटरी लगाई जाती है।
  • लीड इंप्‍लांटेशन : एनेस्‍थीसिया के असर शुरू करने के बाद डॉक्‍टर निम्‍न किसी एक तरीके से चीरा लगाते हैं :
    • सिर के एक या दोनों तरफ, कान के पीछे या बिल्‍कुल नीचे।
    • सिर के पीछे एक छोटा कट लगाया जाता है जो कि लगभग 8 सेंटीमीटर का होता है और गर्दन तक जाता है। इस कट को लगाने के बाद सर्जन एक्‍स-रे की मदद से सिर के पीछे की ओर इलेक्‍ट्रोड्स लगाना शुरू करते हैं। इसके बाद लीड को टांकों से ढक दिया जाता है।
  • इंटरनल पल्‍स जेनरेटर (आईपीजी) का इंप्‍लांटेशन : सर्जन शरीर के एक हिस्‍से पर पॉकेट बनाएंगे जिससे बैटरी इंप्‍लांट कर लीड को एक्‍सटेंशन वायर की मदद से बैटरी से जोड़ा जा सके। इसके बाद इंप्‍लांट वो हिस्‍से को पट्टी से ढक दिया जाता है। आमतौर पर आइपीजी पेट, कूल्‍के के ऊपरी हिस्‍से या कंध के नीचे या कॉलर बोन पर किया जाता है।

इस प्रक्रिया में लगभग एक घंटा लग सकता है। ऑपरेशन के बाद लीड के सही जगह लगने की पुष्टि करने के लिए डॉक्‍टर खोपड़ी का एक्‍स-रे करवाते हैं। मरीज को होश आने पर थकान, बेचैनी और बेसुध महसूस हो सकता है। इस समय गले में खराश और मुंह में सूखापन हो सकता है। एनेस्‍थीसिया के ये साइड इफेक्‍ट्स कुछ घंटों में चले जाते हैं।

इसके अलावा दर्द से राहत पाने के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं। मरीज को एक या दो रात तक अस्‍पताल में रूकना पड़ सकता है। रिकवरी के दौरान डिवाइस को चार्ज करने की सलाह नहीं दी जाती है और मरीज को बिना प्रोग्रामिंग के ही डिस्‍चार्ज कर दिया जाता है। फॉलो-अप विजिट के दौरान इसे सेटअप किया जाएगा।

अस्‍पताल से छुट्टी मिलने के बाद निम्‍न तरह से मरीज की देखभाल की जाती है :

  • ड्रेसिंग : ऑपरेशन वाली जगह की तीन दिन तक पट्टी करनी होती है। अस्‍पताल से आपको पट्टी वगैरह मिल जाएगी।
  • दवाएं : सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों या महीनों तक मरीज को दर्द निवारक दवाएं लेनी पड़ेंगी, जब तक कि डिवाइस प्रोग्राम नहीं हो जाता।
  • नहाना : सर्जरी के अगले दिन ही नहाने की परमिशन मिल सकती है। हालांकि, जब तक ऑपरेशन वाली जगह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता, तब तक उस पर पानी न डालें।
  • फिजिकल एक्टिविटी : सर्जरी वाली जगह के ठीक होने तक ज्‍यादा कठिन या थकाने वाला काम न करें। इसमें लगभग 6 हफ्ते का समय लग सकता है।
  • डिवाइस का ख्‍याल : इंप्‍लांट वाली जगह की स्किन को मसलें नहीं, इससे डिवाइस को नुकसान पहुंच सकता है। एयरपोर्ट और शॉपिंग मॉल में सिक्‍योरिटी और थेफ्ट डिटेकशंन डिवाइस से बचें। अगर आपको इससे निकलना ही है तो ओएनएस डिवाइस को कुछ देर के लिए बंद कर दें।
  • गाड़ी चलाना : मरीज दो हफ्ते बाद अपने सिर को आराम से घुमा पाएगा। तब तक गाड़ी न चलाएं।
  • काम : डॉक्‍टर काम पर जाने से पहले चार हफ्ते तक आराम करने की सलाह देंगे।

डिवाइस के दर्द के संकेतों को बंद करने पर सनसनाहट महसूस हो सकती है। इस सर्जरी को करवाने वाले मरीजों ने 50 पर्सेंट दर्द में कमी आने की बात कही है। हालांकि, दर्द से राहत पाने के लिए ओएनएस के बाद भी दर्द निवारक दवाएं लेनी पड़ेंगी।

डॉक्‍टर को कब दिखाएं

निम्‍न लक्षण दिखने पर डॉक्‍टर को बताएं :

  • बुखार
  • ऑपरेशन वाली जगह के आसपास सूजन या लालिमा।
  • दो हफ्ते से ज्‍यादा समय तक दर्द रहना।
  • टांके वाली जगह से स्राव होना।
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सर्जरी से निम्‍न जटिलताएं हो सकती हैं :

  • ऑपरेशन वाली जगह पर इंफेक्‍शन।
  • सिरदर्द
  • ब्‍लीडिंग
  • दवा या इंप्‍लांट किए गए मटीरियल से एलर्जी।
  • दर्द बढ़ना या दर्द कम न होना।
  • डिवाइस का काम न कर पाना।

डॉक्‍टर के पास कब जाएं

मरीज सर्जरी के दो हफ्ते बाद टांके खुलवाने और ओएनएस डिवाइस को प्रोग्राम करवाने अस्‍पताल जाते हैं। इस फॉलो-अप के दौरान मरीज को डिवाइस की सेटिंग करने के लिए एक कंट्रोलर दिया जाता है।

नोट : ऊपर दी गई संपूर्ण जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह डॉक्‍टरी सलाह का विकल्‍प नहीं है।

Dr. Hemant Kumar

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संदर्भ

  1. Sakharpe AK, Cascella M. Occipital Nerve Stimulation. [Updated 2020 Jul 4]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2020 Jan
  2. Stanford Healthcare [Internet]. University of Stanford. California. US; The Deep Brain Stimulator
  3. Oxford University Hospitals [internet]: NHS Foundation Trust. National Health Service. U.K.; Occipital Nerve Stimulation
  4. Lambru G, Matharu MS. Occipital nerve stimulation in primary headache syndromes. Ther Adv Neurol Disord. 2012 Jan;5(1):57–67.PMID: 22276076.
  5. American Association of Neurological Surgeons [Internet]. Illinois. US; Occipital Neuralgia
  6. National Health Service [Internet]. UK; Cluster headaches
  7. Cleveland Clinic [Internet]. Ohio. US; Chronic Migraine
  8. American Migraine Foundation [Internet]. New Jersey. US; Hemicrania Continua
  9. Hernandez A, Sherwood ER. Anesthesiology principles, pain management, and conscious sedation. In: Townsend CM Jr, Beauchamp RD, Evers BM, Mattox KL, eds. Sabiston Textbook of Surgery. 20th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2017:chap 14.
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