नेफ्रोस्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें किडनी में छेद करके कैथेटर लगा दिया जाता है। इस सर्जरी की मदद से किडनी से पेशाब को सीधा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। त्वचा में चीरा लगाकर कैथेटर अंदर डाला जाता है इसे- नेफ्रोटोमी कहते हैं। लेकिन अक्सर लोग नेफ्रोस्टोमी और नेफ्रोटोमी को एक ही समझ लेते हैं और इन दोनों टर्म का इस्तेमाल करते हैं। नेफ्रोस्टोमी को आम भाषा में किडनी में कैथेटर लगाने की सर्जरी भी कहा जाता है।
यदि पेशाब को किडनी से मूत्राशय तक लेकर जाने वाली नली (मूत्रवाहिनी/Ureter) में रुकावट हो गई है, तो आपको नेफ्रोस्टोमी की आवश्यकता पड़ सकती है। इस सर्जरी से पहले आपको कम से कम 6 घंटे के लिए खाली पेट रहना पड़ता है। सर्जरी करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि आप सर्जरी करवाने के लिए पूरी तरह से फिट हैं या नहीं। यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रकार के टेस्ट करने पड़ सकते हैं।
सर्जरी के दौरान आपको गहरी नींद लाने वाली और सर्जरी वाले स्थान को सुन्न करने वाली दवाएं दी जाती हैं जिसे सिडेटिव्स और एनेस्थीसिया कहते हैं। सर्जरी के बाद आपको कैथेटर ट्यूब और सर्जरी वाले स्थान को साफ रखने की सलाह दी जाती है। नेफ्रोस्टोमी की मदद से किडनी यानी गुर्दों में होने वाली क्षति को रोका जाता है और गुर्दे की कार्य प्रक्रिया में सुधार किया जाता है।
(और पढ़ें - गुर्दे की बीमारी के लक्षण)