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लंग वॉल्यूम रिडक्शन एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल सांस लेने की क्षमता में सुधार करने के लिए किया जाता है। यह सर्जरी आमतौर पर वातस्फीति से ग्रस्त उन मरीजों के लिए की जाती है, जिनके फेफड़े क्षतिग्रस्त हो गए हों। वातस्फीति, फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें मरीजों को सांस लेने में कठिनाई और सांस फूलना जैसी समस्याएं आती हैं।

सर्जरी से पहले सर्जन विभिन्न प्रकार के टेस्ट करते हैं, जिनकी मदद से फेफड़ों के स्वास्थ्य व कार्यक्षमता की जांच की जाती है। डॉक्टर सर्जरी करने से कम से कम 6 महीने पहले ही आपको धूम्रपान छोड़ने की सलाह देते हैं। सर्जरी वाले दिन मरीज को कुछ भी खाने या पीने से मना किया जा सकता है। इस सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया देकर किया जाता है, जिसके असर से मरीज को गहरी नींद आ जाती है। सर्जरी के दौरान सर्जन फेफड़ों के क्षतिग्रस्त हिस्सों को निकाल देते हैं। सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको ऐहतियात और देखभाल संबंधी जरूरी बातें बताएंगे ताकि आप जल्दी स्वस्थ हो सकें।

(और पढ़ें - फेफड़ों को साफ करने के उपाय)

  1. लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी क्या है - What is Lung volume reduction surgery in Hindi
  2. लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी क्यों की जाती है - Why is Lung volume reduction surgery done in Hindi
  3. लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी से पहले की तैयारी - Preparations before Lung volume reduction surgery in Hindi
  4. लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी कैसे होती है - How is Lung volume reduction surgery done in Hindi
  5. लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी के बाद देखभाल - Lung volume reduction surgery after care in Hindi
  6. लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी की जटिलताएं - Complications of Lung volume reduction surgery in Hindi

लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी किसे कहते हैं?

लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी, फेफड़ों के क्षतिग्रस्त हिस्से को निकालने के लिए की जाने वाली एक सर्जिकल प्रक्रिया है। यदि वातस्फीति या फेफड़ों से जुड़ी किसी अन्य बीमारी के कारण आपके फेफड़ों का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया हो, तो डॉक्टर इस सर्जरी को करवाने की सलाह दे सकते हैं। क्षतिग्रस्त फेफड़े ठीक से काम नहीं कर पाते हैं और इस कारण मरीज को सांस लेने संबंधी समस्याएं होने लगती हैं।

लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी निम्न समस्याओं को ठीक करके सांस लेने की क्षमता में सुधार करती है-

  • अतिरिक्त बढ़े हुऐ या फूले हुए फेफड़ों के आकार को कम करना (बढ़े हुऐ फेफड़ों में अत्यधिक हवा फंसी रह जाती है)
  • क्षतिग्रस्त हिस्सों को हटाकर फेफड़ों के स्वस्थ हिस्सों को पूरी तरह से फैलने में मदद करना
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यदि आपको गंभीर वातस्फीति रोग है और उससे खासतौर पर फेफड़ों का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है, तो लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी करवाने की सलाह दी जाती है। वातस्फीति ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों की हवा की थैलियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। ये हवा की थैलियां बहुत छोटी-छोटी होती हैं, जिन्हें एल्वियोली कहा जाता है। यह समस्या आमतौर पर कई सालों तक लगातार धूम्रपान करने के कारण होती है। वातस्फीति के लक्षणों में निम्न समस्याएं शामिल हैं-

  • सांस लेने में कठिनाई (खासतौर पर सीढ़ियां चढ़ने या हल्की एक्सरसाइज करने के दौरान)
  • घरघराहट की आवाज आना
  • हर समय थकान महसूस होना
  • छाती में जकड़न महसूस होना
  • लंबे समय तक खांसी रहना
  • हर वक्त सांस लेने में असमर्थता महसूस होना

लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी से सीओपीडी के कारण होने वाली सांस लेने में कठिनाई और फेफड़ों में हवा भरने जैसी समस्याएं भी ठीक हो सकती हैं।

सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या हो तो सर्जन लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी करने से मना कर सकते हैं-

  • मानसिक विकार जैसे चिंता या अवसाद
  • शरीर का वजन सामान्य से बहुत कम या बहुत ज्यादा होना (70 प्रतिशत कम या 130 प्रतिशत ज्यादा होना)
  • वर्तमान में या पहले कभी कैंसर हुआ हो
  • धूम्रपान या तंबाकू का सेवन करना
  • 70 साल से अधिक उम्र होना

इसके अलावा यदि आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है, जो लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी में कुछ जटिलताएं पैदा करती हो तो ऐसे में भी सर्जरी न करने पर विचार किया जा सकता है।

(और पढ़ें - लंग कैंसर का इलाज)

सर्जरी से पहले की तैयारी

  • लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी शुरू करने से पहले डॉक्टर आपको कुछ विशेष टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं, जिनकी मदद से आपके फेफड़ों की सेहत की जांच की जाती है। इन टेस्ट में शामिल हैं-
    • कार्डियोपल्मोनरी एक्सरसाइज टेस्ट जिसमें ट्रेडमिल या स्टेश्नरी बाइक की मदद से हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता की जांच की जाती है।
    • सिक्स मिनट वॉक टेस्ट इसमें व्यक्ति को 6 मिनट तक मरीज को चलने के लिए कहा जाता है, जिससे उसकी शारीरिक क्षमता की जांच की जाती है।
    • चेस्ट एक्स रे -छाती का एक्स रे आमतौर पर वहां पर मौजूद अंगों के संरचनात्मक स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है।
    • ऑक्सीजन टाइट्रेशन इस तकनीक की मदद से यह पता लगाया जाता है कि आराम करने और एक्सरसाइज करने के दौरान व्यक्ति कितनी मात्रा में ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर रहा है।
    • आर्टेरियल ब्लड गैस -इस टेस्ट की मदद से रक्त में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर की जांच की जाती है।
    • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम -इसे ईसीजी टेस्ट भी कहा जाता है, जिसकी मदद से हृदय की विद्युत गतिविधियों की जांच की जाती है।
    • पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट -इसकी मदद से फेफड़ों के कार्य क्षमता की जांच की जाती है।
    • हाई रेजोल्यूशन सीटी स्कैन - यह एक प्रकार का सीटी स्कैन ही है, जिसकी मदद से सर्जरी करने से पहले अंदरुनी अंगों को बेहतर तरीके से देखा जाता है।
  • इसके अलावा मरीज का कार्डियक स्ट्रेस टेस्ट और राइट हार्ट कैथेटेराइजेशन भी किया जाता है जिनकी मदद से हृदय की कार्य क्षमता की जांच की जाती है
  • सर्जरी वाले दिन आधी रात के बाद आपको कुछ भी न खाने की सलाह दी जाती है और सर्जरी के बाद आप कब खा सकते हैं, इस बारे में डॉक्टर से पूछ लें।
  • यदि आप हाल ही में या पहले किसी भी प्रकार की दवा, विटामिन सप्लीमेंट या कोई हर्बल उत्पाद ले रहे हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में अवश्य बता दें।
  • डॉक्टर आपको रक्त को पतला करने वाली दवाएं बंद करने को कह सकते हैं, ताकि आप जल्दी ठीक हो सकें। इन दवाओं में मुख्यत: एस्पिरिन, वार्फेरिन और विटामिन ई आदि शामिल हैं।
  • आपको सर्जरी वाले दिन अपने साथ परिवार के किसी व्यक्ति या मित्र को लाने की सलाह दी जाती है, ताकि वे सर्जरी के बाद आपको घर ले जा सकें।
  • आपको सर्जरी से कम से कम 6 महीने पहले धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी जाती है क्योंकि धूम्रपान करने की वजह से सर्जरी के बाद ठीक होने में अधिक समय लगता है।
  • आपको एक सहमति पत्र दिया जाएगा, जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति देते हैं। सर्जरी शुरू करने से पहले फॉर्म को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें।

(और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)

लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी को निम्न तरीके से किया जाता है-

  • आपको पीठ के बल लेटने को कहा जाएगा और दोनों हाथ को सिर के ऊपर कर दिया जाएगा।
  • डॉक्टर सबसे पहले आपको जनरल एनेस्थीसिया देंगे, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में रहेंगे।

फेफड़ों तक पहुंचने के लिए या तो स्टेरनोटॉमी या थोराकोस्कोपी प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है।

स्टेरनोटोमी

  • स्टेरनोटॉमी प्रक्रिया में सर्जन छाती की हड्डी (ब्रेस्टबोन) के ऊपर एक बड़ा चीरा लगाते हैं, जिससे छाती के नीचे का हिस्सा दिखने लगता है। इस सर्जिकल प्रक्रिया का इस्तेमाल आमतौर पर तब ही किया जाता है, जब दोनों फेफड़े क्षतिग्रस्त हो गए हों।

थोराकोस्कोपी

  • इस सर्जिकल प्रक्रिया में सर्जन आपकी छाती के दोनों तरफ पसलियों के बीचों-बीच तीन से चार छोटे-छोटे चीरे लगाते हैं।
  • इनमें से एक छिद्र में से एक विशेष उपकरण छाती में डाला जाता है, जिसके सिरे पर कैमरा लगा होता है।
  • इसके बाद अन्य छिद्रों में से सर्जरी करने वाले अन्य उपकरण छाती के अंदर डाले जाते हैं, कैमरा की मदद से बाहर स्क्रीन में देखते हुए इन उपकरणों से सर्जरी की जाती है।

इन दोनों प्रक्रियाओं का मुख्य लक्ष्य फेफड़ों से क्षतिग्रस्त/रोगग्रस्त हिस्से को अलग करना होता है।

जब फेफड़े का प्रभावित हिस्सा शरीर से निकाल दिया जाता है, तो उसके बाद छाती में एक विशेष ट्यूब डाली जाती है। इस ट्यूब की मदद से छाती में जमा अतिरिक्त द्रव व हवा को बाहर निकाल दिया जाता है। द्रव व हवा निकलने पर फेफड़ों को छाती में पर्याप्त जगह मिल जाती है और वे सामान्य रूप से फैल पाते हैं।

इसके बाद सर्जन छाती के हिस्से को टांकों से बंद कर देते हैं। इस सर्जरी में लगभग तीन से चार घंटे का समय लग सकता है।

सर्जरी पूरी होने के बाद आपको इन्टेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भेज दिया जाएगा, जहां आपके बीपी व अन्य शारीरिक गतिविधियों पर लगातार ध्यानपूर्वक नजर रखी जाएगी।

सर्जरी के बाद अस्पताल में रहने के दौरान आवश्यकता के अनुसार निम्न कार्य किए जा सकते हैं -

  • आपको शुरुआत में बेड से उठने और थोड़ा-बहुत चलने के लिए नर्स मदद करेंगी
  • जब आपके फेफड़े ठीक से काम करने लग जाएंगे और आप खुद से सांस ले पाएंगे, तब द्रव व हवा को निकालने के लिए लगाई गई ट्यूब को निकाल दिया जाएगा
  • सर्जरी के बाद रक्त के थक्के जमने से रोकने के लिए आपको रक्त को पतला करने वाली दवाएं दी जाएंगी। टांगों में रक्त के थक्के जमने से रोकने के लिए विशेष स्टॉकिंग्स पहनने के लिए कहा जाएगा।
  • दर्द निवारक दवाएं व अन्य आवश्यक द्रव देने के लिए आपकी बांह या हाथ की नस में इंट्रावेनस लाइन को लगा कर रखा जाएगा।
  • आपको गहरी सांस लेने की तकनीक सिखाई जाएगी, जिससे आपके फेफड़ों की क्षमता फिर से सामान्य हो जाएगी और लंग इन्फेक्शन का खतरा भी कम हो जाएगा।

(और पढ़ें - सीने में संक्रमण के लक्षण)

अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद आपको निम्न बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है-

दवाइयां और थेरेपी

  • सर्जरी के बाद आपको दर्दनिवारक दवाएं दी जाती हैं, साथ ही लक्षणों के अनुसार कुछ अन्य दवाएं भी दी जा सकती हैं।
  • आपको एक ब्रीथिंग डिवाइस दिया जाएगा, जिसे आपको लगातार दो हफ्तों तक एक दिन में चार से छह बार इस्तेमाल करना होगा। इसकी मदद से आपको धीरे-धीरे फेफड़ों की क्षमता को वापस पाने में मदद मिलेगी।

घाव की देखभाल

  • आपके डॉक्टर आपको घाव वाले हिस्से को साफ व सूखा रखने की सलाह देते हैं। 
  • जब घाव के ऊपर से पट्टी पूरी तरह से हटा दी जाएगी,तो उसके बाद ही डॉक्टर आपको नहाने की अनुमति देते हैं
  • जब तक डॉक्टर आपको अनुमति न दें बाथटब, हॉटटब या पूल में न नहाएं
  • यदि घाव या उसके आस पास का हिस्सा गलती से गीला हो गया है, तो किसी स्वच्छ व सूखे कपड़े के साथ उसे हल्के-हल्के पोंछ लें

शारीरिक गतिविधियां

  • डॉक्टर सर्जरी के कुछ समय बाद तक आपको वजन उठाने से मना कर देते हैं
  • आपको एक्सरसाइज करने से भी मना कर दिया जाता है, हालांकि, आप थोड़ा-बहुत चल सकते हैं
  • सर्जरी के एक-दो दिन बाद डॉक्टर आपको दिन में तीन बार थोड़ा थोड़ा चलने की सलाह देते हैं, जिससे आप जल्दी ठीक होने लगेंगे
  • आपको धीरे-धीरे सीढ़ियां चढ़ने को कहा जाएगा
  • सर्जरी के 2 हफ्ते बाद आप हल्का फुल्का काम कर सकते हैं और 4 से 8 हफ्ते बाद अपना काम दोबारा शुरू कर सकते हैं

यात्राएं

  • सर्जरी के बाद कम से कम छह हफ्तों के लिए आपको किसी भी प्रकार की यात्रा विशेषकर हवाई यात्रा न करने की सलाह दी जाती है
  • डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की जांच करेंगे और फिर आपको ड्राइविंग करने की अनुमति देंगे

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको निम्न में से किसी भी प्रकार की समस्या हो रही है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर सकते हैं -

  • खांसी के साथ खून आना
  • तेज बुखार (101 डिग्री फैरेनहाइट से अधिक)
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • गर्दन, चेहरे और छाती के आस-पास सूजन होना
  • दर्द निवारक दवाएं लेने के बाद भी दर्द रहना
  • खाने व पीने में कठिनाई (या निगलने में कठिनाई)
  • लगातार खांसी रहना (जिसके साथ हल्के हरे या पीले रंग का बलगम आना)
  • सर्जरी वाले घाव से द्रव या रक्तस्राव होना
  • छाती में लगाई गई ड्रेनेज ट्यूब संबंधी कोई समस्या होना
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लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी से क्या समस्याएं हो सकती हैं?

लंग वॉल्यूम रिडक्शन सर्जरी से जुड़े कुछ जोखिम निम्नलिखित हैं-

संदर्भ

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