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लंबे समय से अग्‍नाश्‍य यानि पैंक्रियाज में सूजन होने पर दर्द से राहत दिलाने के लिए लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी की जाती है। ओपन, लेप्रोस्‍कोपिक या रोबोटिक तरीके से यह सर्जरी की जा सकती है। कैंसर, लिवर की नस में रुकावट और लिवर सिरोसिस की स्थिति में इस सर्जरी को करने से मना किया जा सकता है।

सर्जरी से पहले मरीज के कई टेस्‍ट करवाए जाते हैं जिसमें मल का टेस्‍ट, सीटी स्‍कैन, मैग्‍नेटिक रेसोनेंस कोलेंजियोपैंक्रियाटोग्राफी और पेट का अल्‍ट्रासाउंड शामिल है। इसके साथ ही मरीज से पूछा जाता है कि उसे कोई बीमारी है या रही है। शारीरिक जांच भी की जाती है।

जनरल एनेस्‍थीसिया देने के बाद यह सर्जरी की जाती है। सर्जरी के बाद खाना पचाने में मदद के लिए एंजाइम थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है। ऑपरेशन के लगभग दो हफ्ते बाद मरीज काे डॉक्‍टर के पास फॉलो-अप के लिए जाना होता है जिसमें टांके खोले जाते हैं।

  1. लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी क्या है - What is Longitudinal Pancreaticojejunostomy in Hindi
  2. लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी क्यों की जाती है - Why Longitudinal Pancreaticojejunostomy is done in Hindi
  3. लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी कब नहीं करवानी चाहिए - When Longitudinal Pancreaticojejunostomy is not done in Hindi
  4. लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी से पहले की तैयारी - Preparations before Longitudinal Pancreaticojejunostomy in Hindi
  5. लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी कैसे की जाती है - How Longitudinal Pancreaticojejunostomy is done in Hindi
  6. लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी के बाद देखभाल - Longitudinal Pancreaticojejunostomy after care in Hindi
  7. लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी की जटिलताएं - Longitudinal Pancreaticojejunostomy Complications in Hindi
लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी के डॉक्टर

कुछ भी खाने पर फूड भोजन नली से गुजर कर पेट तक जाता है जहां ये पेस्‍ट की तरह गाढ़ा हो जाता है। इसके बाद खाना छोटी आंत के तीन सेक्‍शन में जाता है - डुओडेनम (अंदरूनी हिस्‍सा), जेजुनम (मध्‍य हिस्‍सा) और इलियम (अंतिम हिस्‍सा)।

यहां पर खाना चता है और शरीर छोटी आंत से पोषक तत्‍वों को सोख लेता है। जो खाना नहीं पच पाता है, वो अपशिष्‍ट बन जाता है। इलियम से अपशिष्‍ट पदार्थ बड़ी आंत में आता है, यहां से गुदा मार्ग के जरिए यह मल बनकर शरीर से बाहर निकल जाता है।

पाचन तंत्र में लिवर, पैंक्रियाज और गॉल ब्‍लैडर भी आता है। पैंक्रियाज और लिवर विभिन्‍न पोषक तत्‍वों की पाचन प्रक्रिया में मदद करने वाले पाचक रसों को बनाते हैं। गॉल ब्‍लैडर पाचक रस नहीं बनाता है लेकिन यह लिवर द्वारा बनाए गए पाचक रसों को स्‍टोर कर के रखता है और खाना खाने पर इन्‍हें रिलीज कर देता है।

पैंक्रियाज एक नाशपाती के आकार का अंग होता है जिसके पहले हिस्‍से को हेड, बीच के हिस्‍से को गर्दन या शरीर और नीचे के पतले से हिस्‍से को टेल कहते हैं। पैंक्रियाटिक जूस 

पैंक्रियाटिक रस जो पाचन के लिए आवश्यक होते हैं, वो पैंक्रियाज के हेड से पेट और डुओडेनम के बीच के जंक्शन में छोड़े जाते हैं। पाचक रसों के साथ पैंक्रियाज ब्‍लड शुगर को कंट्रोल करने वाले हार्मोन इंसुलिन और ग्‍लूकागोन भी बनाता है।

पैंंक्रियाटिक रसों के पैंक्रियाज में जमने से सूजन आने लगती है जिसे पैंक्रियाटाइटिस कहते हैं। इस स्थिति में पाचक रस अग्‍नाश्‍य के ऊतकों को पचाने लगते हैं। लंबे समय तक इसमें सूजन रहने को दीर्घ‍कालिक पैंक्रियाटाइटिस कहते हैं। अगर समय पर इसे रोका न जाए तो इससे अग्‍नाश्‍य यानि पैंक्रियाज का कैंसर हो सकता है।

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दीर्घकालिक पैंक्रियाटाइटिस की वजह से हो रहे पेट दर्द को ठीक करने के लिए लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी की जाती है। दीर्घकालिक पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण इस प्रकार हैं :

निम्‍न स्थितियों में लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी नहीं की जाती है :

  • कैंसर की आशंका
  • लीवर सिरोसिस
  • दीर्घकालिक पैंक्रियाटाइटिस के साथ अग्‍नाश्‍य की नली का 5 मि.मी से छोटा होना।
  • लिवर की नस में रुकावट आना।
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सर्जरी से पहले निम्‍न तैयारी की जाती है :

डॉक्‍टर शारीरिक जांच करते हैं और नीचे बताए गए टेस्ट करवाते हैं :

मरीज को डॉक्‍टर को अपने बारे में कुछ बातें बतानी होती हैं, जैसे कि :

  • मेडिकल हिस्‍ट्री
  • प्रेगनेंट हैं या नहीं
  • डॉक्‍टर के पर्चे पर या इसके बिना कौन-सी दवा ले रहे हैं।
  • सर्जरी से कुछ दिन पहले डॉक्‍टर मरीज को एस्प्रिन, वार्फरिन और खून पतला करने वाली दवाएं बंद कर सकते हैं।
  • सिगरेट पीते हैं तो ऑपरेशन से कुछ हफ्ते पहले ही बंद कर दें। इससे सर्जरी से संबंधित जटिलताओं को कम किया जा सकता है।
  • ऑपरेशन से एक रात पहले कुछ भी खाने और पीने से मना किया जाता है।
  • सर्जरी से पहले डॉक्‍टर मरीज की सहमति के लिए एक फॉर्म साइन करवाते हैं।
  • ऑपरेशन के बाद घर ले जाने के लिए कोई दोस्‍त या परिवार के सदस्‍य का होना।

अस्‍पताल पहुंचने के बाद मरीज को हॉस्‍पीटल गाउन पहनाई जाती है। नर्स मरीज को स्‍पेशल स्‍टॉकिंग या दवा दे सकती है जिससे टांग में खून के थक्‍के नहीं बनें। ऑपरेशन के लिए जरूरी तरल पदार्थ और दवाएं देने के लिए बांह या हाथ में इंट्रावेनस लाइन (नरम लचीली ट्यूब) लगाई जाती है।

इसके बाद मरीज को ऑपरेशन थिएटर ले जाया जाता है, जहां उसे मेडिकल टेबल पर लिटाया जाता है। हार्ट रेट, ऑक्‍सीजन लेवल और ब्‍लड प्रेशर जैसी महत्‍वपूर्ण जानकारी के लिए अलग-अलग डिवाइस लगाए जाते हैं।

अब मरीज को बेहोश करने के लिए जनरल एनेस्‍थीसिया दिया जाता है। मरीज के बेहोश होने के बाद पेशाब निकालने के लिए मूत्राशय में कैथेटर (ट्यूब) लगाया जाता है।

लॉन्जिट्यूडनल पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी सर्जरी ओपन, लेप्रोस्‍कोपिक या रोबोटिक तरीके से की जा सकती है।

ओपन सर्जरी इस प्रकार है :

  • डॉक्‍टर पेट के ऊपर एक सीधा या टेढ़ा कट लगाते हैं।
  • इसके बाद देखते हैं कि डुओडेनम और पेट में अल्‍सर और गॉल ब्‍लैडर यानि पित्ताशय में पथरी तो नहीं है।
  • फिर सर्जन डुओडेनम को उठाकर पैंक्रियाज के हेड की जांच करते हैं।
  • वो पैंक्रियाटिक नली को अलग करने के लिए उसमें एक कट लगाते हैं लेकिन अग्‍नाश्‍य की टेल पर कट नहीं लगाते हैं।
  • अगर पैंक्रियाटिक नली में पथरी होती है, तो उसे निकाल देते हैं।
  • इसके बाद जेजुनम में लंबा कट लगाते हैं और अलग की गई पैंक्रियाटिक नली के सिरे को जेजुनम में टांकों से जोड़ देते हैं।
  • अब डॉक्‍टर पैन्क्रियाटिकोजेजूनोस्टमी के पास ड्रेनेज ट्यूबों को रख देते हैं और टांकों और स्‍टैपल से पेट के ऊतकों को ढक देते हैं।

लेप्रोस्‍कोपिक सर्जरी में पेट पर कुछ छोटे-छोटे कट लगाए जाते हैं। इनमें से एक कट से आंतरिक अंगों को देखने के लिए कैमरा डाला जाता है। बाकी के कट या छेदों से सर्जरी के लिए उपकरण डाले जाते हैं।

रोबोटिक सर्जरी, लेप्रोस्‍कोपिक सर्जरी का ही एडवांस रूप है। इसमें विशेष रोबोटिक उपकरणों का इस्‍तेमाल किया जाता है। इसमें आंतरिक अंग ज्‍यादा गहराई और सफाई से दिख पाते हैं।

इस सर्जरी में दो से तीन घंटे का समय लगता है। सर्जरी के बाद मरीज को उसके कमरे में रखा जाता है और उसे मॉनिटर किया जाता है।

होश आने पर मरीज को दर्द महसूस हो सकता है जिससे लिए दवा भी दी जाती है। सर्जरी के बाद मरीज को छाती और फेफड़ों की एक्‍सरसाइज और पैदल चलने के लिए कहा जाता है।

मरीज को पैंक्रियाटिक एंजाइम दिए जाएंगे और डायबिटीज का चेकअप किया जाता है। दो दिन बाद कैथेटर निकाल लिया जाता है।

ऑपरेशन के बाद शुरुआत में इंट्रावेनस लाइन से ही तरल पदार्थ दिए जाते हैं। तीसरे दिन मरीज खाना खा पाता है और अगले कुछ दिनों के बाद वो नियमित आहार ले पाता है। ऑपरेशन के पांच दिन बाद अस्‍पताल से छुट्टी मिल जाती है।

ऑपरेशन के बाद निम्‍न बातों का ध्‍यान रखना चाहिए :

  • दवाएं : डॉक्‍टर कुछ दवाएं लिख सकते हैं। बेहतर महसूस करने पर डॉक्‍टर आपको ऐसी दवाएं भी दे सकते हैं जिन्‍हें डॉक्‍टर के पर्चे के बिना खाया जा सकता है।
  • टांके की देखभाल : सर्जरी वाली जगह पर कोई क्रीम या ऑइंटमेंट न लगाएं। ऐसा कोई कपड़ा न पहनें जिससे टांके वाली जगह पर रगड़ लगे।
  • नहाना : आप घर के आने के बाद रोज नहा सकते हैं। कम केमिकल वाले साबुन से टांके वाली जगह को धोएं और उसे सुखा लें। पहला फॉलो-अप होने तक स्विमिंग न करें और बाथटब में न नहाएं।
  • दस्‍त : जब अग्‍नाश्‍य पर्याप्‍त पाचक रस नहीं बनाते हैं, तो दस्‍त लग सकते हैं। डॉक्‍टर मरीज को पैंक्रियाटिक एंजाइम थेरेपी दे सकते हैं।
  • एक्‍सरसाइज : कोई भी भारी सामान न उठाएं। सीढियां चढ़ने और पैदल चल सकते हैं। आप घर के छोटे-मोटे काम कर सकते हैं।
  • गाड़ी चलाना : जब तक दर्द की दवाई चल रही है, गाड़ी न चलाएं। डॉक्‍टर आपको बताएंगे कि आप कब गाड़ी चला सकते हैं।
  • आहार : सर्जरी की वजह से खाने में दिक्‍कत हो सकती है। दिनभर में थोड़ा-थोड़ा कर के खाएं। जल्‍दी रिकवर करने के लिए प्रोटीन ज्‍यादा लें। शरीर को हाइड्रेट रखें।
  • काम : ऑपरेशन के लगभग 9 दिन बाद काम पर जा सकते हैं।

डॉक्‍टर को कब दिखाएं :

ऑपरेशन के बाद निम्‍न लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्‍टर को बताएं :

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सर्जरी के बाद नीचे बताई गई जटिलताएं आ सकती हैं :

  • इंफेक्‍शन
  • पैंक्रियाज और आंतों में फिस्‍टुला बनना
  • पेट में ब्‍लीडिंग होना
  • मल गहरे रंग का आना
  • लंबे समय तक आंत का मल को बाहर न निकाल पाना।
  • टांकों से स्राव होना
  • हर्निया

डॉक्‍टर के पास फॉलो-अप के लिए कब जाएं

ऑपरेशन के दो हफ्ते, तीन महीने, छह महीने और फिर एक साल बाद डॉक्‍टर के पास जाना होता है। डॉक्‍टर देखते हैं कि पेट दर्द, शुगर कंट्रोल में है, लिवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं, वजन बढ़ गया है या पेट में कोई परेशानी है। दो हफ्ते के बाद डॉक्‍टर टांके खोल देते हैं।

नोट : ऊपर दी गई संपूर्ण जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह डॉक्‍टरी सलाह का विकल्‍प नहीं है।

Dr. Paramjeet Singh.

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गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Nikhil Bhangale

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Dr. Deepak Sharma

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संदर्भ

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