सारी तैयारियां होने के बाद आपको एक विशेष सर्जरी ड्रेस पहनने को दी जाएगी, जिसे सर्जिकल गाउन भी कहा जाता है। सर्जरी शुरू करने के लिए निम्न कार्य किए जाते हैं -
- सबसे पहले आपकी बांह की नस में सुई लगाकर इंट्रावेनस लाइन शुरू की जाती है और साथ में खाने के लिए भी कुछ दवाएं दी जा सकती हैं।
- उसके बाद आपको शांत करने के लिए कुछ दवाएं दी जाएंगी, जिन्हें सीडेटिव (शामक) कहते हैं।
- आपको ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
- आपको एनेस्थीसिया दी जाएगी, जिससे आप गहरी नींद में सो जाएंगे और आपको सर्जरी के दौरान कुछ भी महसूस नहीं होगा।
- एक विशेष नली (एंडोट्रेकियल ट्यूब) को आपके गले से होते हुए श्वसन नली में डाला जाता है। यह ट्यूब सर्जरी के दौरान आपको सांस लेने में मदद करेगी।
- एक अन्य ट्यूब जिसे नैसोगैस्ट्रिक ट्यूब कहा जाता है, उसे आपके मुंह या नाक के माध्यम से पेट तक डाला जाएगा। इस ट्यूब की मदद से पेट में मौजूद द्रव को खाली कर दिया जाएगा। जब आप सांस लेने और अच्छे से खाने लगेंगे, तब इस ट्यूब को हटा दिया जाएगा।
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सर्जन उसके बाद गैस्ट्रोटोमी को तीन अलग-अलग सर्जिकल प्रक्रियाओं की मदद से करते हैं, जिन्हें परक्यूटीनियस एंडोस्कोपिक गैस्ट्रोटोमी (पीईजी), लेप्रोस्कोपिक गैस्ट्रोटोमी और ओपन गैस्ट्रोटोमी के नाम से जाना जाता है। इन सर्जरी प्रक्रियाओं को निम्न अलग-अलग तकनीकों के साथ किया जाता है-
परक्यूटीनियस एंडोस्कोपिक गैस्ट्रोटोमी
पीईजी में सबसे पहले डॉक्टर नाक या मुंह के जरिए आपके पेट में एक पतली लचीली ट्यूब को डालेंगे, जिसके सिरे पर लाइट व कैमरा लगे होते हैं। आपके पेट में एक छोटा सा छिद्र किया जाता है।
उसके बाद डॉक्टर इस छिद्र के जरिए पेट तक एक सुई पहुंचाएंगे।
इस सुई के साथ ही एक पतली तार भी पेट में डाली जाती है, जिसे पहले से डाले गए एंडोस्कोप के सिरे विशेष हिस्से से जोड़ दिया जाता है।
उसके बाद सर्जन एंडोस्कोप को बाहर की तरफ खींच लेते हैं, जिसके साथ उससे जुड़ी हुई तार भी मुंह से बाहर की तरफ निकल जाती है। अब इस तार से गैस्ट्रोटोमी डिवाइस को जोड़ दिया जाता है।
फिर तार के दूसरे सिरे को खींचा जाता है, ताकि तार के साथ-साथ गैस्ट्रोटोमी डिवाइस भी पेट के अंदर चली जाए और पेट पर बनाए छिद्र तक पहुंच जाए।
जब ट्यूब अपनी जगह पर पहुंच जाती है, तो सर्जन एंडोस्कोप और तार को निकाल देते हैं और छिद्र को टांके लगाकर बंद कर देते हैं।
गैस्ट्रोटोमी ट्यूब को अपने स्थान पर स्थिर रखने के लिए एक विशेष डिवाइस की जरूरत पड़ती है, जिसे बंपर कहा जाता है। बंपर को अंदरूनी या बाहरी दोनों हिस्सों में लगाया जा सकता है। अंदर लगने वाले बंपर आमतौर पर गोल या X की आकृति के होते हैं, जबकि बाहर लगने वाले बंपर आमतौर पर डिस्क की आकृति वाले होते हैं और डिवाइस को पेट की दीवार से चिपकाकर रखते हैं.
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लेप्रोस्कोपिक गैस्ट्रोटोमी
सर्जन इस प्रक्रिया में नाभि के ऊपर एक छोटा सा चीरा लगाते हैं और उसमें एक विशेष सुई डाली जाती है।
इसके बाद पेट में कार्बन डाइऑक्साइड गैस भरी जाती है, ताकि पेट को फुलाया जा सके। ऐसा आमतौर पर पेट के अंदर मौजूद अंगों को स्पष्ट रूप से देखने के लिए किया जाता है।
अब सर्जन पेट पर कुछ अन्य छोटे-छोटे चीरे भी लगाते हैं, जिनकी मदद से अन्य छोटे उपकरण पेट में डाले जाते हैं। किसी एक चीरे से पेट में एक पतली तार डाली जाती है और फिर गैस्ट्रोटोमी ट्यूब को डाला जाता है। इस तार की मदद से ही गैस्ट्रोटोमी ट्यूब को पेट में उचित स्थान तक ले जाया जाता है।
सारी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद छिद्रों को बंद करके उन पर टांके लगा दिए जाते हैं। ट्यूब के सिरे पर एक छोटी गुब्बारे जैसी डिवाइस लगी होती है, जो ट्यूब को पेट में स्थिर बनाए रखने में मदद करती है।
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ओपन सर्जरी
ओपन गैस्ट्रोटोमी सर्जरी में सर्जन आपके पेट के बाएं या मध्य में चीरा लगाएंगे।
इसके बाद गैस्ट्रोटोमी ट्यूब को कट के माध्यम से पेट के अंदर डाला जाएगा और उसके बाद चीरे को ट्यूब के आसपास टांके लगा दिए जाएंगे। सर्जन पेट की सतह को भी ट्यूब के आसपास से सिल देते हैं।
ट्यूब को अपनी जगह पर स्थिर रखने के लिए एक छोटे से गुब्बारे की आवश्यकता पड़ती है।
गैस्ट्रोटोमी को करने में आमतौर पर 30 से 45 मिनट का समय लगता है और सर्जरी के बाद निम्न प्रक्रियाएं की जा सकती हैं -
- आपको रिकवरी रूम में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
- होश आने के बाद आपको उलझन, घबराहट या जी मिचलाना महसूस हो सकता है। आपको दवाओं के कारण नशा भी महसूस हो सकता है। इन स्थितियों के लिए डॉक्टर आपको कुछ दवाएं दे सकते हैं।
- यदि आपको ऑपरेशन की गई जगह पर दर्द हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर आपको इसके लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं।
- डॉक्टर आपको गैस्ट्रोटोमी ट्यूब की मदद से कैसे खाना है आदि के बारे में सिखा देंगे। साथ में डॉक्टर आपको पेट से अतिरिक्त द्रव व हवा कैसे निकालनी है आदि के बारे में भी सिखा देंगे। ऐसा आमतौर पर तब किया जाता है, जब आप डकार या उल्टी नहीं कर पा रहे हों।
- आपको ट्यूब की मदद से कब और क्या खाना है आदि के लिए न्यूट्रिशनिष्ट डाइट प्लान तैयार करके देंगे।
- अस्पताल से छुट्टी के समय इंट्रावेनस लाइन को हटा दिया जाता है।
- आपको सर्जरी के बाद आमतौर पर एक या दो दिनों के लिए ही अस्पताल में रहना पड़ता है।
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