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फोरामीनोटमी एक प्रकार की सर्जरी है, जिसकी मदद से स्पाइन कॉलम (रीढ़ की हड्डी) में दबाव को कम किया जाता है। स्पाइनल कॉलम वर्टिब्रा (कशेरुकाएं) नामक हड्डियों से मिलकर बनी हैं, जिसमें ये हड्डियां एक श्रृंखला के अनुसार एक-दूसरे के ऊपर टिकी होती हैं। स्पाइनल कॉलम के बीचों-बीच एक सुरंगनुमा जगह बनी होती है, जिसके अंदर से स्पाइनल कॉर्ड (मेरुदंड) निकली होती है। मेरुदंड तंत्रिका तंतुओं (नर्व फाइबर) का समूह होता है, जो मस्तिष्क व शरीर के अन्य अंगों के बीच संकेत भेजने का काम करता है। नर्व फाइबर एक छिद्र के माध्यम से स्पाइनल कॉलम से बाहर निकलते हैं। इन छिद्रों को फोरामेन कहा जाता है, जो वर्टिब्रा में होते हैं। इन छिद्रों को न्यूरल फोरामेन कहा जाता है। फाेरामिनल स्टेनोसिस जैसी कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जिससे न्यूरल फोरामेन के छिद्र संकुचित होने लगते हैं और परिणामस्वरूप नर्व फाइबर पर दबाव पड़ने लगता है। वह दबी हुई नस शरीर के जिस हिस्से में गई हुई होती है, उस हिस्से में दर्द व अन्य तकलीफें होने लगती हैं और उसकी सामान्य जीवन प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है।

फोरामीनोटमी सर्जरी में प्रभावित हिस्से के ऊपर की त्वचा में चीरा लगाया जाता है, ताकि दबी हुई नस तक पहुंचा जा सके। इसके बाद रुकावट को हटाया जाता है, ताकि नस पर दबाव न पड़े और दर्द व अन्य लक्षण ठीक हो जाएं। सर्जरी के एक या दो दिन बाद आपको अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है। सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कुछ फिजियोथेरेपी सिखाएं, जिनसे आपको स्वस्थ होने में मदद मिलेगी।

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  1. फोरमीनोटमी क्या है - What is Foraminotomy in Hindi
  2. फोरमीनोटमी किसलिए की जाती है - Why is Foraminotomy done in Hindi
  3. फोरमीनोटमी से पहले - Before Foraminotomy in Hindi
  4. फोरमीनोटमी के दौरान - During Foraminotomy in Hindi
  5. फोरमीनोटमी के बाद - After Foraminotomy in Hindi
  6. फोरमीनोटमी की जटिलताएं - Complications of Foraminotomy in Hindi

फोरामीनोटमी किसे कहते हैं?

फोरामीनोटमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से रीढ़ में मौजूद नसों पर पड़ने वाले दबाव को कम किया जाता है।

स्पाइनल कॉलम खोपड़ी से पेल्विस तक होता है। यह एक मजबूत व लचीली संरचना होती है, जो 24 हड्डियों से बनी होती है। इन हड्डियों को वर्टिब्रा कहा जाता है, जो एक-दूसरे के ऊपर एक श्रृंखला के रूप में टिकी होती हैं। स्पाइनल कॉलम के अंदर से नसें गई हुई होती हैं, जो इनको सुरक्षा प्रदान करता है।

मेरुदंड में नसों का झुंड होता है, जो शरीर के कई हिस्सों में संकेतों को भेजने और प्राप्त करने का काम करती हैं। ये नसें मेरुदंड से छिद्रों के माध्यम से बाहर निकलती हैं, जिन्हें न्यूरल फोरामेन कहा जाता है। यदि आपको फोरामिनल स्टेनोसिस नामक समस्या है, तो न्यूरल फोरामेन के छिद्र संकुचित होने लगते हैं और परिणामस्वरूप नसों पर दबाव पड़ने लगता है। नस पर दबाव पड़ने से दर्द, कमजोरी और झुनझुनी जैसे लक्षण पैदा होने लगते हैं। हालांकि, स्पाइनल कॉलम के जिस हिस्से में नस दबी है, उसके अनुसार लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। स्पाइनल फोरामेन के छिद्र को खोलने के लिए डॉक्टर आमतौर पर फोरामीनोटमी सर्जरी करवाने की सलाह देते हैं।

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फोरामीनोटमी क्यों की जाती है?

यदि आपको फोरामिनल स्टेनोसिस नामक रोग है, तो इसके अधिकतर मामलों में सर्जन इसके लिए फोरामीनोटमी सर्जरी करवाने की सलाह ही देते हैं। फोरमिनल स्टेनोसिस आमतौर पर वृद्धावस्था में होने वाला रोग है। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति को स्लिप डिस्क, रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर या सिस्ट संबंधी समस्या है, तो उसे फोरामिनल स्टेनोसिस की समस्या भी हो सकती है। फोरामिनल स्टेनोसिस से निम्न लक्षण विकसित हो सकते हैं, जैसे -

फोरामिनल स्टेनोसिस के अलावा इस सर्जरी को कुछ अन्य स्थितियों का इलाज करने के लिए भी किया जा सकता है जिनमें डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज, स्लिप डिस्क (हर्निएटिड डिस्क) और स्पोंडिलोसिस आदि शामिल हैं।

फोरामीनोटमी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि आपको निम्न में से कोई भी ऐसी समस्या महसूस हो रही है, तो फोरामीनोटमी सर्जरी नहीं करवानी चाहिए -

  • सेगमेंटल इंस्टाबिलिटी - वर्टिब्रा के एक या अधिक स्तरों में सामान्य से अधिक गतिविधि होना
  • सेगमेंटल काइफोसिस - रीढ़ की हड्डी में एक या कई जगह पर कुबड़ापन होना
  • सर्वाइकल माइलोपैथी -  यह एक डिजेनेरेटिव रोग है, जो आमतौर पर रीढ़ की हड्डी में दबाव बढ़ने के कारण होता है।
  • माइलोमेलेसिया - रीढ़ की हड्डी नरम हो जाना

साथ ही यदि कशेरुकाओं की शारीरिक संरचना से संबंधी कोई समस्या है, तो भी फोरामीनोटमी सर्जरी नहीं करवानी चाहिए। इसके अलावा डिस्क में किसी अन्य प्रकार की विकृति है या फिर बार-बार डिस्क संबंधी कोई समस्या हो रही है, तो फोरामीनोटमी सर्जरी न करवाने की सलाह दी जाती है।

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फोरामीनोटमी से पहले क्या तैयारी की जाती है?

फोरामीनोटमी सर्जरी करने से पहले डॉक्टर एमआरआई स्कैन व अन्य इमेजिंग टेस्ट करते हैं, ताकि सर्जरी से पहले स्थिति की पुष्टि की जा सके। इसके अलावा फोरामीनोटमी से पहले कुछ अन्य बातों का ध्यान रखने की भी आवश्यकता होती है -

  • आपको पहले या वर्तमान में स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या रही है, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। उदाहरण के लिए यदि आपको हृदय रोग, डायबिटीज या अन्य कोई समस्या है, तो सर्जरी से पहले ही डॉक्टर को उसके बारे में बता दें। (और पढ़ें - डायबिटीज में परहेज)
  • यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद, विटामिन, मिनरल या फिर कोई अन्य सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो उसके बारे में डॉक्टर को बता दें। डॉक्टर उनमें से कुछ दवाओं व अन्य उत्पादों को एक निश्चित समय के लिए छोड़ने की सलाह दे सकते हैं क्योंकि ये रक्त को पतला कर देती हैं, जैसे एस्पिरिन, वारफेरिन, नेप्रोक्सेन, आइबुप्रोफेन और कुछ प्रकार के विटामिन सप्लीमेंट्स।
  • यदि आप शराब का सेवन या धूम्रपान करते हैं, तो सर्जरी से कुछ दिन पहले ही उन्हें छोड़ दें। यदि आप इन्हें स्थायी रूप से नहीं छोड़ सकते हैं, तो सर्जरी से कुछ दिन पहले और कुछ दिन बाद तक इनसे परहेज करने की कोशिश करें। (और पढ़ें - शराब छुड़ाने के उपाय)
  • सर्जरी से कुछ दिन पहले ही फिजिकल थेरेपिस्ट से संपर्क करें, तो आपको सर्जरी के बाद आपके काम आने वाले कुछ व्यायाम व अन्य शारीरिक गतिविधियां सिखा देंगे। ये व्यायाम व गतिविधियां आपको सर्जरी के बाद जल्दी स्वस्थ होने में मदद करेंगे।
  • सर्जरी के लिए आपको खाली पेट जाना होता है, जिसके लिए आपको ऑपरेशन वाले दिन से पहली आधी रात के बाद कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जाती है। खाली पेट रहने से एनेस्थीसिया के प्रभाव के कारण उल्टी आदि की दिक्कत नहीं रहती है। (और पढ़ें - उल्टी रोकने के उपाय)
  • यदि सर्जरी का दिन पास आते-आते आपको फ्लू, जुकाम, बुखार या अन्य लक्षण होने लगे हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में अवश्य बता दें।
  • सर्जरी के बाद आपको कुछ समय के लिए वॉकर या व्हीलचेयर की आवश्यकता पड़ सकती है, उसकी ही व्यवस्था कर लें।
  • सर्जरी के लिए अस्पताल जाने से पहले नहा लें और शरीर पर से सारे आभूषण उतार दें व मेकअप न करें। (और पढ़ें - मेकअप के नुकसान)
  • अपने साथ परिवार के करीबी सदस्य या मित्र को लेते चलें, ताकि सर्जरी से पहले और बाद में वे आपकी मदद कर सकें।
  • आपको एक सहमति पत्र दिया जाएगा, जिस पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं। हालांकि, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार अच्छे से पढ़ लेना चाहिए।

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फोरामीनोटमी सर्जरी कैसे की जाती है?

फोरामीनोटमी सर्जरी के लिए जब आप अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो आपको सबसे पहले एक विशेष ड्रेस पहनने के लिए दी जाएगी। ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर आपको एक टेबल पर पेट के बल लेटने को कहा जाएगा। फोरामीनोटमी सर्जरी को आमतौर पर एक्स रे मशीन और माइक्रोस्कोप की मदद से किया जाता है। फोरामीनोटमी सर्जरी को मिनीमली इनवेसिव सर्जरी के अनुसार निम्न के रूप में किया जाता है -

  • आपको जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जाएगा, जिससे आप गहरी नींद में सो जाएंगे और सर्जरी के दौरान आपको कुछ भी महसूस नहीं होगा। (और पढ़ें - इंजेक्शन लगाने का तरीका)
  • सर्जरी के दौरान मेडिकल टीम लगातार आपके शारीरिक संकेतों का अवलोकन करती रहेगी, जैसे हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर आदि। (और पढ़ें - ब्लड प्रेशर नापने का तरीका)
  • रीढ़ की हड्डी के जिस हिस्से की सर्जरी करनी है, उसे ठीक ऊपर ही त्वचा में एक छोटा सा चीरा लगाया जाएगा।
  • इसके बाद चीरे के नीचे के ऊतकों व मांसपेशियों को हटाया जाएगा, जिससे रीढ़ की हड्डी दिखने लगेगी।
  • यदि हड्डी बढ़ी हुई है, तो उसे विशेष उपकरणों की मदद से काट या घिसकर छोटा कर दिया जाता है, ताकि नस पर अधिक दबाव न पड़े। यदि ट्यूमर या सिस्ट के कारण यह समस्या हो रही है, तो उपकरणों की मदद से उन्हें भी हटा दिया जाता है।

रुकावट को हटाने के बाद सर्जन ऊतकों व मांसपेशियों को उनकी जगह पर वापस लगा दिया जाता है और चीरे को टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है। फोरामीनोटमी को ओपन सर्जरी के रूप में भी किया जा सकता है, जिसमें एक बड़ा चीरा लगाया जाता है। इस प्रोसीजर को आमतौर पर किसी अन्य सर्जरी के साथ किया जाता है, जैसे लेमिनेक्टमी सर्जरी आदि। फोरामीनोटमी सर्जरी के तीन दिन बाद आपको अस्पताल से छुट्टी मिलती है। अस्पताल में रहने के दौरान निम्न क्रियाएं की जा सकती हैं -

  • सर्जरी के दो घंटों बाद ही आप थोड़ी-बहुत मदद से साथ लेट व बैठ सकेंगे।
  • सर्जरी के बाद आपको थोड़ा बहुत दर्द महसूस हो सकता है, जिसके लिए आपको दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं।
  • संक्रमण के खतरे को कम करने लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाएंगी (और पढ़ें - एंटीबायोटिक प्रतिरोध क्या है)
  • सर्जन आपको कुछ गतिविधियां करने से मना कर सकते हैं, क्योंकि उनसे रीढ़ की हड्डी के घाव को ठेस लग सकती है। यदि गर्दन के आस-पास सर्जरी हुई है, तो आपको नेक कॉलर दे सकते हैं, ताकि बार-बार गर्दन को हिलने से बचाया जा सके।
  • सर्जरी के बाद आपके आहार में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाता है, हालांकि, फिर भी इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।

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फोरामीनोटमी के बाद की देखभाल

सर्जरी के बाद जब अस्पताल से छुट्टी मिलती है, तो डॉक्टर घर पर देखभाल करने से संबंधी कुछ विशेष सावधानियां व निर्देश दे सकते हैं -

  • आपको कुछ समय के लिए दर्द, सुन्न या झुनझुनी आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं, जो कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाएंगे।
  • आपकी हड्डी को पूरी तरह से ठीक होने में आमतौर पर तीन से चार महीनों का समय लगता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में हड्डी को स्वस्थ होने में एक साल तक का समय भी लग जाता, जो आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
  • सर्जरी के घाव को कम से कम एक हफ्ते तक साफ व सूखा रखें।
  • डॉक्टर आपको एक या दो दिन बाद नहाने की सलाह देते हैं और नहाते समय घाव को किसी पॉलीथिन या प्लास्टिक फिल्म से ढकने की सलाह दे सकते हैं, ताकि घाव को गीला होने से बचाया जा सके।
  • लगातार 20 मिनट या इससे अधिक समय तक एक ही पॉजिशन में न बैठें।
  • सर्जन आपको एक उपकरण पहनने को दे सकते हैं, जो आपकी रीढ़ की हड्डी को सहारा प्रदान करता है।
  • रीढ़ की हड्डी को हुलने-ढुलने से रोकें, उदाहरण के लिए यदि आपको नीचे रखी कोई चीज उठानी है तो कमर मोड़ने की बजाय घुटने मोड़कर उठाएं और कमर को सीधी रखें।
  • कुछ महीनों तक कोई अधिक मेहनत वाली गतिविधि या व्यायाम न करें।
  • जब तक डॉक्टर आपको अनुमति न दें, गाड़ी चलाना शुरू न करें।
  • डॉक्टर आपको विशेष शारीरिक गतिविधियां करना सिखाएंगे, जिनकी मदद से आपको जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलेगी और साथ ही आप शरीर को सही अवस्था में रख पाएंगे।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

फोरामीनोटमी सर्जरी के बाद यदि आपको निम्न में से कोई लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए -

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फोरामीनोटमी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

यह सर्जरी लगभग 90 प्रतिशत मामलों में सफलतापूर्वक हो जाती है। हालांकि, अन्य मामलों में इससे कुछ जटिलताएं हो सकती हैं, जिसमें सर्जरी होने के बाद भी नस दबने से होने वाली समस्याएं ठीक नहीं हो पाती हैं। इसके अलावा फोरामीनोटमी से कुछ अन्य जोखिम व जटिलताएं भी हो सकती हैं, जैसे -

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संदर्भ

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