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एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी विशेष प्रकार की सर्जरी प्रोसीजर हैं, जिनका इस्तेमाल रक्त वाहिकाओं से ब्लड क्लोट और अन्य बाहरी चीजों (जैसे हवा के बुलबुले और वसा आदि) को निकालने के किया जाता है। थ्रोम्बस रक्त वाहिकाओं में मौजूद एक स्थिर थक्का है। जब यह थक्का अपनी जगह से हट जाता है, तो वह हिलने लग जाता है और फिर इसे एम्बोलस के नाम से जाना जाता है।

रक्तवाहिकाओं में घूमते हुए एम्बोलस के कहीं न कहीं अटक जाने का खतरा बना रहता है और जिस भाग में यह फंस जाता है वहां पर पर्याप्त रक्त नहीं पहुंच पाता है। शरीर के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बंद या कम होने के कारण वहां के ऊतक नष्ट होने लगते हैं। इसके अलावा रक्त वाहिका में हवा का बुलबुला, पस, कोलेस्ट्रॉल या ऊतक का छोटा टुकड़ना फंसने के कारण भी रुकावट हो सकती है और एम्बोलिज्म की समस्या विकसित हो जाती है। थ्रोम्बेक्टोमी का मतलब धमनियों व नसों में फंसे हुए रक्त के थक्के निकालने से है जबकि एम्बोलेक्टॉमी शब्द का मतलब रक्तवाहिकाओं से एम्बोलस निकालने से है।

यदि आपकी यह सर्जरी की जानी है, तो आपको ऑपरेशन से लगभग आठ घंटे पहले तक कुछ भी खाने या पीने से मना किया जाता है। आपको सर्जरी से एक निश्चित समय पहले ही कुछ दवाएं बंद करने की सलाह दी जाती है। सर्जरी से पहले ही कुछ इमेजिंग टेस्ट भी किए जाते हैं, जिससे ब्लड क्लोट या एम्बोलस की लोकेशन का पता किया जाता है।

ऑपरेशन प्रोसीजर शुरू करने से पहले आपको एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगा दिया जाता है, जिससे आपका सर्जरी वाला हिस्से सुन्न हो जाता है और आप रिलैक्स महसूस करते हैं। इसके बाद शरीर के जिस हिस्से में क्लोट या एम्बोलस फंसा हुआ है, उसके ऊपर कट लगाया जाता है और उसकी मदद से क्लोट निकाला जाता है। सर्जरी के बाद आपको कुछ विशेष दवाएं दी जाती हैं, जिनमें दर्द कम करने वाली व रक्त का थक्का बनने से रोकने वाली दवाएं शामिल है।

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  1. एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी क्या है - What is Embolectomy or thrombectomy in Hindi
  2. एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी क्यों की जाती है - Why is Embolectomy or thrombectomy done in Hindi
  3. एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी से पहले - Before Embolectomy or thrombectomy in Hindi
  4. एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी कैसे की जाती है - During Embolectomy or thrombectomy in Hindi
  5. एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी के बाद - After Embolectomy or thrombectomy in Hindi
  6. एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी की जटिलताएं - Complications of Embolectomy or thrombectomy in Hindi
एम्बोलेक्टॉमी या थ्रोम्बेक्टोमी के डॉक्टर

कई बार थ्रोम्बेक्टोमी और एम्बोलेक्टॉमी शब्दों को एक दूसरे की जगह पर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इन दोनों में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है।

आमतौर पर रक्त हमारे शरीर में सामान्य रूप से बहता रहता है। धमनियां ऑक्सीजन व अन्य पोषक तत्वों से भरपूर रक्त को शरीर के सभी हिस्सों तक पहुंचाती हैं और नसें अपशिष्ट पदार्थों को वापस हृदय तक लाती हैं।

हालांकि, यदि किसी समस्या के कारण रक्त गाढ़ा हो जाता है, तो कई बार छोटी-छोटी गांठे बनने लग जाती है और इसके परिणामस्वरूप रक्त के थक्के (थ्रोम्बस) बनने लग जाते हैं। एम्बोलस क्लोट अपनी जगह से हट जाता है व संचार प्रणाली में घूमने लग जाता है और धमनी या नस में कहीं न कहीं अटक जाता है। ऐसे में रक्त का बहाव रुक जाता है और आस-पास के ऊतकों को को रक्त नहीं मिल पाता है।

इसके अलावा कई ऐसी बाहरी चीजें हैं, जो शरीर के अंदर जाकर रक्त के बहाव को रोकने का काम कर सकती हैं, इनमें आमतौर पर निम्न शामिल हैं -

  • कोलेस्ट्रॉल -
    जिन लोगों की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा हुआ है, ऐसे में कई बार कोई टुकड़ा हिल कर अलग हो जाता है और रक्त के साथ घूमने लगता है। यह टुकड़ा कहीं ना कहीं अटक जाता है, जिससे एम्बोलिजम की समस्या पैदा हो जाती है।
     
  • वसा -
    हड्डी टूटने गंभीर रूप के जलने के कारण कई बार फैट पार्टिकल्स (वसा के टुकड़े) रक्त में मिल जाते हैं, जो कहीं ना कहीं रुकावट पदा कर सकते हैं।
     
  • हवा -
    अन्य किसी गैस या हवा रक्त मे मिल जाने पर बुलबुले बन जाते हैं, जो एम्बोलिज्म का कारण बन सकते हैं।
     
  • एम्निओटिक फ्लूइड -
    गर्भवति महिला के गर्भ में मौजूद बच्चे के चारों तरफ एक विशेष द्रव होता है, जिसे एम्नियोटिक द्रव कहा जाता है। यह द्रव कई बार मां की किसी न किसी रक्तवाहिका के माध्यम से रक्त में मिल जाता है और परिणामस्वरूप एम्बोलिज्म पैदा हो जाता है।
     
  • सेप्टिक फ्लूइड -
    इसमें बैक्टीरिया व पस आदि शामिल हैं, जो रक्त में मिलकर रुकावट पैदा कर सकते हैं।

एम्बोलेक्टॉमी सर्जरी प्रोसीजर की मदद से किसी भी प्रकार के एम्बोलस को निकाला जाता है और वहीं थ्रोम्बेक्टोमी की मदद से रक्तवाहिकाओं से रक्त के थक्कों को निकाला जाता है। ब्लड क्लोट या एम्बोलस को निकाल दिया जाता है, जिससे रक्त का बहाव सामान्य रूप से चलता रहे। सर्जरी को आमतौर पर बड़े ब्लड क्लोट को निकालने के लिए किया जाता है।

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यदि आपके शरीर के किसी भी हिस्से की रक्त वाहिकाओं या धमनियों में ब्लड क्लोट या एम्बोलस बना हुआ है, तो उसे निकालने के एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी सर्जरी की जा सकती है। हालांकि, यह सर्जरी अक्सर पैर या हाथ में खून के थक्के को निकालने के लिए की जाती है। रक्त के थक्के बनने के बाद निम्न समस्याएं हो सकती हैं -

रक्त वाहिका में रक्त का थक्का जमने से होने वाले लक्षण मुख्य रूप से इस पर निर्भर करते है, कि वह रक्त वाहिका शरीर के किस हिस्से में है। शरीर के हिस्से के अनुसार उसके लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं -

बांह व टांग की रक्तवाहिकाओं में ब्लड क्लोट बनना -

  • सूजन
  • दर्द
  • लालिमा
  • प्रभावित हिस्सा सुन्न होना

मस्तिष्क की रक्तवाहिकाओं में रक्त के थक्के बनना -

पेट की रक्तवाहिकाओं में थक्के बनना -

फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में क्लोट बनना -

  • सांस लेने में दिक्कत
  • सीने में दर्द
  • खांसी के साथ रक्त आना

एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या हो रही है, तो डॉक्टर यह सर्जरी न करवाने की सलाह देते हैं -

  • सीवियर कॉएग्युलोपैथी (ब्लीडिंग डिसऑर्डर)
  • सुब्राक्लोइड हेमरेज (एक प्रकार का स्ट्रोक डिसऑर्डर)
  • क्रोनिक कैरोटिड ऑकल्जन (कैरोटिड धमनी में रुकावट होना)
  • किडनी रोग
  • यदि दवाओं से स्थिति को नियंत्रित किया जा रहा है

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एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी ऑपरेशन के लिए जब आप अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो आपके स्वास्थ्य संबंधी आपसे कुछ सवाल पूछे जाते हैं। साथ ही इस दौरान कुछ विशेष टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • ब्लड क्लोट की गति और उसकी लोकेशन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड
  • सामान्य स्वास्थ्य जांच के लिए ब्लड टेस्ट
  • सर्जरी की लोकेशन को सुनिश्चित करने और उसे देखने के लिए सीटी स्कैन
  • रक्त वाहिकाओं में ब्लड क्लोट का पता लगाने के लिए वेनोग्राम और आर्टेरियोग्राम

इसके अलावा सर्जरी से पहले आपको निम्न बातों का ध्यान रखने की सलाह देते हैं -

  • खाली पेट रहना -
    एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी को खाली पेट किया जाता है, इसलिए आपको ऑपरेशन से लगभग आठ घंटे पहले खाली पेट रहने की सलाह दी जाती है। सर्जरी के बाद भी जब तक आप पूरी तरह से ठीक न हो पाएं, तब तक डॉक्टर आपको कुछ भी खाने या पीने से मना करते हैं।
     
  • दवाएं -
    यदि आपने हाल ही में किसी भी प्रकार की दवा खाई है या फिर आप वर्तमान में भी खा रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को अवश्य बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ दवाएं डॉक्टर ऑपरेशन से पहले ही बंद करवा देते हैं, जैसे ब्लड थिनर। रक्त पतला करने वाली दवाओं में आमतौर पर एस्पिरिन व वार्फेरिन आदि।
     
  • जीवनशैली की आदतें -
    यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो सर्जरी के कुछ समय पहले ही आपको इन्हें छोड़ने की सलाह दे दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सिगरेट व शराब आदि का सेवन सर्जरी के घावों को ठीक होने में परेशानी पैदा करता है।
     
  • स्वास्थ्य समस्याएं -
    यदि आपको कोई रोग, एलर्जी या स्वास्थ्य से संबंधी कोई अन्य समस्या है, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें।

इसके अलावा ऑपरेशन के लिए अस्पताल जाते समय अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को ले जाने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए ताकि सर्जरी से पहले और बाद के कार्यों में आपको मदद मिल सके। साथ ही आपको एक विशेष सहमति पत्र दिया जाता है, जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं।

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जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो ऑपरेशन प्रोसीजर शुरू कर दी जाती है जो कुछ इस प्रकार है -

  • सबसे पहले शरीर के जिस हिस्से पर सर्जरी के लिए चीरा लगाना है, वहां की त्वचा को एंटीसेप्टिक दवाओं से साफ किया जाता है और यदि वहां पर बाल है तो उन्हें भी शेव करके साफ कर दिया जाता है।
  • आपकी बांह की नस में सुई लगाकर उसमें इंट्रावेनस लाइन शुरू कर दी जाती है, जिसकी मदद से सर्जरी के दौरान आपको दवाएं व अन्य द्रव दिए जाते हैं।
  • आपको ब्लड थिनर दवाएं भी दी जा सकती हैं, ताकि सर्जरी के दौरान रक्त के थक्के न बन पाएं।
  • इंट्रावेनस लाइन की मदद से ही आपको एनेस्थीसिया दे दी जाती है, जिससे आप गहरी नींद में सो जाते हैं और सर्जरी के दौरान आपको कोई दर्द महसूस नहीं होता है।
  • इसके बाद इमेजिंग स्कैन तकनीकों की मदद से जहां पर ब्लड क्लोट बना हुआ है ठीक उसके ऊपर ही त्वचा में चीरा लगाया जाता है।
  • एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी को निम्न सर्जिकल प्रोसीजरों की मदद से किया जा सकता है -
    • कैथीटर बेस्ड प्रोसीजर - इस सर्जरी प्रोसीजर में ब्लड क्लोट (एम्बोली) को सक्शन मेथड (चूसण विधि) से निकाला जाता है। इसके अलावा अलावा जहां क्लोज जमा हुआ है, वहां पर एक विशेष गुब्बारे जैसा उपकरण डाला जाता है, जिस तकनीक को बैल्लून एम्बोलेक्टॉमी के नाम से जाना जाता है।
    • मैकेनिकल एम्बोलेक्टॉमी - इस प्रोसीजर में रक्त के थक्कों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है और फिर निकाला जाता है। इस प्रोसीजर में मैकेनिकल उपकरणों, अल्ट्रासाउंड तरंगों या फिर सेलाइन जेट में से एक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
    • ओपन सर्जरी - किसी प्रकार की इमरजेंसी में एम्बुलस या थ्रोम्बस को निकालने के लिए ओपन प्रोसीजर को किया जाता है। इस प्रोसीजर को आमतौर पर दुर्लभ मामलों में ही इस्तेमाल किया जाता है।
  • रक्त वाहिकाओं में कैथीटर ट्यूब की लोकेशन का पता लगाने के लिए सर्जन एक्स रे इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
  • अधिकतर मामलों में स्टेंट तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे रक्त वाहिका में क्लोट के पास लगा दिया जाता है और यह वाहिका को खोल कर रखती है।
  • क्लोट को निकालने के लिए बाद रक्त वाहिका में हुई क्षति को ठीक कर दिया जाता है और उसमें किए गए छिद्र को भी बंद कर दिया जाता है।
  • इसके बाद त्वचा पर लगाए गए चीरे को टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है और फिर उसके ऊपर पट्टी कर दी जाती है।
  • इस सर्जरी प्रोसीजर को पूरा होने में लगभग एक से तीन घंटे का समय लगता है। ऑपरेशन के बाद आपको रिकवरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। जब तक आप अस्पताल में रहते हैं आपको बीपी, हार्ट रेट और अन्य शारीरिक संकेतों को निगरानी में रका जाता है। सर्जरी के बाद आपको आमतौर पर एक या दो दिन अस्पताल में रखा जाता और फिर छुट्टी दे दी जाती है। हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर करता है, कि शरीर के किस हिस्से में सर्जरी की गई है।

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ऑपरेशन के बाद जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है और आप घर आ जाते हैं, तो डॉक्टर आपको देखभाल करने के लिए निम्न सुझाव देते हैं -

दवाएं -

  • सर्जरी के बाद यदि आपको दर्द रहता है, तो डॉक्टर उसके लिए दर्दनिवारक दवाएं देते हैं।
  • रक्त के थक्के जमने से रोकने के लिए कुछ विशेष दवाएं दी जाती हैं, ताकि फिर से थक्के न बनने पाएं

शारीरिक गतिविधि -

  • सर्जरी के बाद कुछ दिन आपको पूरी तरह से आराम करने की सलाह दी जाती है, जिससे आपको जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलती है।
  • जब तक डॉक्टर अनुमति न दें कोई भी मेहनत वाला काम न करें और नहीं अधिक वजन उठाएं

जीवनशैली की आदतें -

  • यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो उन्हें छोड़ दें ताकि सर्जरी के घाव जल्द से जल्द ठीक हो सकें। यदि आपको धूम्रपान छोड़ने में दिक्कत हो रही है, तो ऐसे में भी आप डॉक्टर से मदद ले सकते हैं।

घाव की देखभाल -

सर्जरी वाले हिस्से को साफ रखें ताकि संक्रमण न हो पाए। हल्के साबुन और पानी के साथ धो लें और स्वच्छ कपड़े से साफ कर लें। घाव को सूखने के बाद उसे फिर से पट्टी के साथ ढक लें। जब तक डॉक्टर आपको अनुमति न दें तब तक बाथटब या स्विमिंग पूल न नहाएं। हालांकि, सामान्य रूप से डॉक्टर आपको सर्जरी के एक या दो दिन बाद नहाने के लिए अनुमति दे सकते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

एम्बोलेक्टॉमी और थ्रोम्बेक्टोमी सर्जरी के बाद यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या होती है, तो डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए -

  • बुखार
  • कमजोरी महसूस होना
  • सीने में दर्द
  • सांस लेने में दिक्कत
  • सर्जरी वाला हिस्सा सुन्न रहना
  • सर्जरी वाले हिस्से में सूजन आना और गंभीर दर्द रहना
  • सर्जरी के घाव से रक्तस्राव होना या किसी अन्य हिस्से में ब्लीडिंग
  • घाव से अन्य कोई द्रव निकलना

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थ्रोम्बेक्टोमी सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं हो सकती हैं -

  • संक्रमण
  • पल्मोनरी एम्बोलिज्म
  • सर्जरी के दौरान रक्त वाहिका क्षतिग्रस्त होना
  • अत्यधिक रक्तस्राव होना
  • एनेस्थीसिया से रिएक्शन होना
  • बार-बार रक्त के थक्के जमना

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