मस्से को मेडिकल की भाषा में वरूक के नाम से भी जाना जाता है। मस्से त्वचा पर होने वाली छोटी, मोटी वृद्धि हैं जो शरीर के किसी भी हिस्से में दिखाई दे सकते हैं और अक्सर ठोस फफोले जैसे लगते हैं। मस्से ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण त्वचा और श्लैष्मिक कोशिकाओं में तेजी से वृद्धि होने से बनते हैं। लगभग 100 से अधिक प्रकार के एचपीवी वायरस पाए जाते हैं, जो शरीर के विभिन्न भागों को संक्रमित कर सकते हैं।
मस्सो को मोटे तौर पर जननांग और गैर-जननांग मस्सो के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। जननांग मस्से आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क करने से फैलते हैं। गैर-जननांग मस्सो में सामान्य मस्से, पैर के मस्से या पैर के तलवों के मस्से और फ्लैट मस्से शामिल हैं। सामान्य मस्से हाथों, कोहनी और घुटनों पर होते हैं, जबकि पैर के तलवों के मस्से एक ही जगह पर गुच्छों के रूप में होते हैं। तलवों के मस्से आमतौर पर एड़ी जैसे दबाव पड़ने वाले भाग पर होते हैं। फ्लैट मस्से धूप के संपर्क में आने वाली त्वचा को प्रभावित करते हैं और आमतौर पर हाथों तथा चेहरे पर दिखाई देते हैं। यह 20 या उससे अधिक संख्या के समूहों में होते हैं। मस्से आपको हो रही किसी अन्य बीमारी के कारण भी हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, सिफलिस के कारण जननांग मस्से होना, इत्यादि।
होम्योपैथिक उपचार के अनुसार, बीमारियां होने की आंतरिक प्रवृत्ति (मिआस्म) और बाहरी वायरस बीमारी का कारण बन सकते हैं। आमतौर पर यह समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है, इससे मस्सो के विकास में हमारी जन्मजात प्रतिरक्षा की भूमिका का पता चलता है। मस्से के इलाज के पारंपरिक तरीकों में दर्द और निशान बन सकते हैं। इसके विपरीत, होम्योपैथिक उपचार सुरक्षित, हल्का, कोमल तथा दर्द रहित होता है। व्यक्तिगत आवश्यकता के अनुसार ध्यान से चुनी गई दवाओं से मस्से का इलाज बेहतर ढंग से होता है। आमतौर पर त्वचा के मस्सो के उपचार के लिए एंटीमोनियम क्रूडम, कैल्केरिया कार्बोनिका, कॉस्टिकम, डुलकमारा, फेरम पिक्रिकम, नैट्रम कार्बोनिकम, नाइट्रिकम एसिडम और थूजा ऑक्सीडेंटलिस जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
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