अल्सरेटिव कोलाइटिस या आंतों में सूजन की समस्या बड़ी आंत और मलाशय में लंबे समय तक रहने वाली इन्फ्लेमेशन (आंतरिक सूजन और जलन) से जुड़ी बीमारी है। यह एक इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) है जिसमें बड़ी आंत (कोलोन) में सूजन और बड़ी आंत की अंदरूनी परत और मलाशय में घाव या अल्सर का कारण बनती है।

अल्सरेटिव कोलाइटिस को ऑटोइम्यून बीमारी माना जाता है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम खुद शरीर पर ही हमला करने लगता है। पेट में दर्द, मल में खून आना, डायरिया, जी मिचलाना, मलाशय से खून आना, थकान और वजन कम होना आदि अल्सरेटिव कोलाइटिस के सामान्य लक्षण हैं।

शोधकर्ताओं को यह अभी तक स्पष्ट रूप से पता नहीं है कि अल्सरेटिव कोलाइटिस या आंतों में सूजन की समस्या किस कारण से होती है, लेकिन उन्हें लगता है कि यह एक गलत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण हो सकती है।

कुछ खाद्य पदार्थ भी ऐसे हैं जो इस स्थिति को बदतर कर सकते हैं। यही वजह है कि अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को अपने लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए अपने आहार को संशोधित करने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, एक भी डाइट या डाइट प्लान ऐसा नहीं है जो अल्सरेटिव कोलाइटिस के सभी मरीजों पर फिट हो जाए। मरीज के लक्षणों के आधार पर विभिन्न प्रकार के आहार की सिफारिश की जाती है। 

(और पढ़ें - अल्सरेटिव कोलाइटिस का घरेलू उपाय)

ऐसे में अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं। 

  1. आंतों में सूजन के लिए विभिन्न डाइट - Various diets for Ulcerative Colitis in Hindi
  2. अल्सरेटिव कोलाइटिस में क्या खाएं? - What to eat in ulcerative colitis in Hindi?
  3. अल्सरेटिव कोलाइटिस में क्या न खाएं और परहेज - What not to eat in ulcerative colitis in Hindi
  4. सारांश
अल्सरेटिव कोलाइटिस में क्या खाएं, क्या न खाएं के डॉक्टर

ये सच है कि अल्सरेटिव कोलाइटिस में एक ही तरह का भोजन सभी लोगों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता लेकिन डाइट से जुड़े कुछ प्लान ऐसे हैं जिससे बीमारी से पीड़ित कुछ लोगों को मदद मिल सकती है और उनके लक्षण कंट्रोल में आ सकते हैं। 

  • हाई-कैलोरी डाइट - अल्सरेटिव कोलाइटिस या आंतों में सूजन की समस्या से पीड़ित व्यक्ति का वजन अचानक बहुत ज्यादा कम होने लगता है और इस कारण उस व्यक्ति में कुपोषण की समस्या हो सकती है। ऐसे में हाई-कैलोरी डाइट इन समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
  • लैक्टोज फ्री डाइट - अल्सरेटिव कोलाइटिस के बहुत से मरीजों में लैक्टोज इन्टॉलरेंस की भी समस्या हो जाती है इसलिए उन्हें ऐसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए जिसमें लैक्टोज मौजूद हो। ऐसे लोग पीनट बटर, सोया चीज, सोयाबीन और टोफू से बने उत्पादों का सेवन कर सकते हैं।
  • लो-फैट डाइट - अल्सरेटिव कोलाइटिस होने पर फैट को अवशोषित करना शरीर के लिए मुश्किल हो जाता है और इसलिए बहुत अधिक फैट वाली चीजें खाने से बीमारी के लक्षण और ज्यादा बढ़ सकते हैं। लिहाजा ऐसी चीजों का सेवन करें जिसमें फैट की मात्रा कम हो जैसे-फैट फ्री चीज, लो फैट पनीर, दूध और दही, दालें, टोफू, एग वाइट, बिना चर्बी वाला मीट आदि।
  • लो फाइबर डाइट - कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ आपके शरीर को पचाने में आसान होते हैं। वे आपकी बार-बार मल त्याग करने की इच्छा को कम करते हैं और साथ ही दस्त और पेट में मरोड़ या ऐंठन को भी सीमित करने में मदद कर सकते हैं। लो फाइबर डाइट में आप दूध, दही, पनीर, सफेद ब्रेड या सफेद पास्ता, पीनट बटर, बिना पल्प वाला फ्रूट जूस, पका केला, तरबूज, खीरा आदि का सेवन कर सकते हैं।
  • कम नमक वाला आहार - इस डाइट का उपयोग तब किया जाता है जब मरीज के शरीर में पानी की अवधारण को कम करने में मदद करने के लिए उसे कोर्टिकोस्टेरॉयड थेरेपी दी जाती है। 
  • ग्लूटेन फ्री डाइट - अल्सरेटिव कोलाइटिस की समस्या से पीड़ित मरीजों को अक्सर ग्लूटेन के प्रति भी संवेदनशीलता हो जाती है, इसलिए अगर आपको यह समस्या हो तो ग्लूटेन फ्री डाइट का सेवन करें। इसके लिए गेहूं और गेहूं से बनने वाली सभी उत्पादों का सेवन न करें और इसकी जगह आप कीन्वा, ब्राउन राइस, वाइल्ड राइस, कुट्टू का आटा, अमरंथ आदि का सेवन कर सकते हैं।

अल्सरेटिव कोलाइटिस के मरीजों को भोजन की मात्रा से ज्यादा पोषण पर ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि डायरिया और रक्तस्राव के लक्षणों के कारण शरीर में डिहाइड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और पोषक तत्वों की हानि की समस्या हो सकती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस बीमारी से पीड़ित बहुत से मरीजों को 2-3 बड़े मील्स खाने की बजाए कई बार छोटे-छोटे मील्स खाना ज्यादा आसान लगता है। ऐसा करने से खाद्य पदार्थों से अवशोषित पोषण को बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है। 

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आंतों में सूजन होने की स्थिति में पोषक तत्वों पर खास ध्यान देने की जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि डायरिया और खून निकलने से डिहाइड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन (Electrolyte imbalance) और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है.

आंतों में सूजन से दर्द होने पर आप डाइट की मदद से इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं. हालांकि, हर व्यक्ति की डाइट अलग-अलग होती है. लेकिन अंडे, सोया बीन, गाजर का जूस, साबुत अनाज, प्रोबायोटिक्स जैसी कुछ चीजों का सेवन लगभग सबके लिए सही रहता है. आइए विस्तार से जानें आंतों में सूजन होने पर क्या खाएं.

सालमन और टूना

सालमन और टूना में ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं, जो सूजन को कम करने में मददगार हैं. इससे आपको राहत भी मिलेगी. मैकरेल (Mackerel), हेरिंग (Herring), सार्डिन (Sardines), अलसी का तेल, साबुत अलसी और अखरोट भी ओमेगा 3 एसिड का बढ़िया स्रोत है.

अंडे, चिकन और मीट

आंतों में सूजन का दर्द जब बढ़ता है, तो उस समय प्रोटीन खत्म हो जाता है ऐसे में अगर प्रोटीन का सेवन किया जाए तो इससे खोए हुए पोषक तत्व वापस मिलते हैं. बता दें मीट और चिकन में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है.

अंडे भी प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होते हैं. जब आंतों में सूजन की वजह से दर्द बढ़ता है, तो इसके सेवन से आराम मिलता है. कुछ अंडों में ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होते हैं, जो सूजन को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं.

सोया प्रोटीन

अगर आप शाकाहारी या वीगन डाइट लेते हैं, तो एनिमल प्रोटीन के बदले आप सोया प्रोटीन का सेवन कर सकते हैं. वेजेटेरियन और वीगन प्रोटीन में फलियां और साबुत अनाज भी शामिल हैं.

(और पढ़ें - वीगन या शाकाहारी - क्या है ज्यादा फायदेमंद?)

प्रोबायोटिक्स

प्रोबायोटिक्स के लिए दही से बेहतर और कोई चीज नहीं है. इससे पाचन में मदद मिलती है. आप अपने लिए ऐसी दही का चुनाव करें, जिसमें चीनी की मात्रा बिल्कुल ना हो. ऐसा इसलिए क्योंकि चीनी के सेवन से आंतों में सूजन के लक्षण बढ़ सकते हैं.

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एवोकाडो

एवोकाडो में भी प्रोटीन और हेल्दी फैट्स बहुत होते हैं. इनमें कैलोरी भी बहुत ज्यादा होती है लेकिन चूंकि इनमें 70% पानी होता है, तो इन्हें पचाने में आसानी रहती है.

जूस और स्मूदी

आंतों के सूजन का दर्द बढ़ने के दौरान जूस और स्मूदी से कुछ लोगों को राहत मिल सकती है. इससे पोषक तत्व भी मिलते हैं. गाजर के जूस में विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट रहता है, जो आंतों के सूजन से होने वाले दर्द में कुछ लोगों की मदद कर सकता है.

आपका भोजन अल्सरेटिव कोलाइटिस का कारण नहीं बनता लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे जरूर हैं जो बीमारी हो जाने के बाद लक्षणों को ट्रिगर करके स्थिति को और खराब कर सकते हैं।

अगर उन खाद्य पदार्थों की पहचान कर ली जाए जिन्हें खाने के बाद बीमारी ट्रिगर होती है और उनसे परहेज किया जाए तो अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों की आवृत्ति और गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अल्सरेटिव कोलाइटिस के सभी मरीजों में एक ही तरह के भोजन से बीमारी ट्रिगर नहीं होती लेकिन खाने-पीने की कुछ चीजें ऐसी हैं जो समस्या को बढ़ा सकती हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में।

अल्कोहल, कैफीन और कार्बोनेटेड पेय पदार्थ

शराब आंत को उत्तेजित कर सकती है जिससे डायरिया की समस्या ट्रिगर होती है। इसके अलावा कॉफीचाय और एनर्जी ड्रिंक में मौजूद कैफीन भी एक उत्तेजक है और यह बड़ी आंत (कोलोन) में संक्रमण के समय को तेज कर सकता है, जिस कारण बार-बार मलत्याग के लिए जाना पड़ सकता है। सोडा और बियर सहित कई कार्बोनेटेड पेय पदार्थ ऐसे हैं जिसमें कार्बोनेशन होता है जो पाचन तंत्र को परेशान कर सकता है, और गैस का कारण बन सकता है। इसके अलावा कई पेय पदार्थ ऐसे भी है जिसमें चीनी, कैफीन या आर्टिफिशियल स्वीटनर रहता है और ये सारी चीजें अल्सरेटिव कोलाइटिस का कारण बन सकती हैं, बीमारी को ट्रिगर कर सकती हैं।

साबुत अनाज से बनी ब्रेड, पास्ता, सेरियल्स

जिन खाद्य पदार्थों में बहुत अधिक फाइबर होता है, उन्हें अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित लोगों के लिए पचाने में मुश्किल होती है। साबुत अनाज से बनने वाले आटे में फाइबर की मात्रा अधिक होती है क्योंकि इसमें बीज या चोकर को हटाया नहीं जाता है। आपको किसी भी साबुत अनाज के आटे से बने भोजन को खाने से बचना चाहिए, जैसे: ब्रेड, सेरियल्स, पास्ता, नूडल्स, मैकरोनी आदि।

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सूखे मेवे और बीज

सूखे मेवे, खाद्य पदार्थों में डले मेवे या उनका आटा, इनमें से किसी भी चीज को आपकी डाइट लिस्ट में नहीं होना चाहिए। नट्स में मौजूद फाइबर को पचाने में मुश्किल हो सकती है। इसलिए आपको अखरोट, हेजलनट्स, काजूबादाम, मूंगफली, चिलगोजा, पिस्ता आदि नट्स का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए। सूखे मेवे की ही तरह कुछ बीज भी हैं जो अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों को और बिगाड़ सकते हैं। बीजों में अघुलनशील फाइबर होता है जिससे पेट फूलना, डायरिया, पेट में गैस आदि साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकता है। लिहाजा आपको तिल, अलसी के बीजसूरजमुखी के बीजकद्दू के बीज आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए।

फाइबर से भरपूर फल और सब्जियां

वैसे तो फल और सब्जियां हमारी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं लेकिन ज्यादातर फल और सब्जियों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। लिहाजा आपको कच्चे फल और सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आपको वैसे फल भी नहीं खाने चाहिए जिसके बीज आप निकाल नहीं सकते जैसे बेरीज। बिना पल्प वाले फ्रूट जूस का भी सेवन कर सकते हैं। सब्जियों का छिलका और बीज हटाकर और उन्हें अच्छी तरह से पकाकर ही खाएं। आप चाहें तो सब्जियों की प्यूरी या सूप बनाकर उनका सेवन कर सकते हैं क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें पचाना आसान हो जाता है।

पॉपकॉर्न और चॉकलेट

पॉपकॉर्न एक और उच्च फाइबर वाला भारी भोजन है जो छोटी आंत में पूरी तरह से पचता नहीं है और दस्त और मलत्याग की तत्परता को ट्रिगर कर सकता है। चॉकलेट में कैफीन और चीनी होती है, ये दोनों पाचन तंत्र को परेशान कर सकते हैं और ऐंठन और लगातार मल त्याग का कारण बन सकते हैं।

अल्सरेटिव कोलाइटिस हॉर्मोनल बदलावों और साइकोलॉजिकल तनाव के कारण होने वाली एक अधिकतम रक्तांतरणशील बीमारी है। खाद्य पदार्थों के चयन के साथ-साथ उनके सही प्रकार की तैयारी भी इस बीमारी के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस के रोगियों के लिए सही खाद्य पदार्थों का चयन करना जीवनशैली की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है, जैसे कि उनकी पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करना, उनकी त्वचा की भलाई को बनाए रखना और उनके साइकोलॉजिकल स्थिति को समाधान करना। 

Dr. Paramjeet Singh.

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गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
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