कोविड-19 महामारी के बीच टीबी संक्रमण से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई है। दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की एक ताजा रिपोर्ट में ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) संक्रमण से जुड़े मामलों में कमी का पता चला है। रिपोर्ट में बताया गया है कि क्षयरोग से सबसे ज्यादा ग्रसित तीन बड़े देशों में टीबी के रोगियों की संख्या पहले के मुकाबले थोड़ी घटी है। इसमें भारत समेत इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों का नाम शामिल है। 

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टीबी के मामलों में 30 प्रतिशत तक की कमी
डब्ल्यूएचओ की यह नई रिपोर्ट 200 से अधिक देशों से मिले आंकड़ों पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों में टीबी से जुड़े मामलों में 25-30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। ये आंकड़े जनवरी 2020 से लेकर जून 2020 के बीच के हैं, जिनकी तुलना समान रूप से साल 2019 के छह महीनों की अवधि से की गई। मतलब बीते साल के शुरुआती छह महीनों की अवधि की तुलना में साल 2020 के शुरुआती छह महीनों की अवधि से की गई है। इसके आधार पर मिले आंकड़ों से टीबी के मामलों में कमी का पता चला है। 

हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने अपने मॉडलिंग के तहत मरीजों की संख्या में गिरावट को लेकर एक आशंका भी व्यक्त की है। संगठन का कहना है कि टीबी के मामलों में आई इस कमी के अतिरिक्त टीबी से होने वाली मौतों में नाटकीय तरीके से वृद्धि हो सकती है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कई देशों में टीबी की रोकथाम में लगे लोगों को, वित्तीय सामग्री और अन्य संसाधनों को हटाकर कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम में लगा दिया है। इसके कारण टीबी डेटा कलेक्शन (संग्रह) और रिपोर्टिंग सिस्टम भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं।

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डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग का विस्तार
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने ताजा बयान में कहा है, "डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश के अनुसार सभी देशों ने संक्रमण नियंत्रण को मजबूत करने के साथ आवश्यक टीबी सेवाओं पर कोविड-19 का प्रभाव कम पड़े इसके लिए उपाय किए हैं। कुल 108 देशों में से 21 देश ऐसे हैं जहां टीबी के मरीजों का सबसे अधिक भार है। इन देशों को दूरस्थ सलाह और सहायता पहुंचाने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग का विस्तार किया है।"

संगठन की ओर से कहा गया है कि कोविड-19 महामारी से पहले कई देश में 2015 और 2019 के बीच टीबी के मामलों में 9 प्रतिशत की कमी देखी गई। वहीं, इसी अवधि में मौतों में 14 प्रतिशत की कमी के साथ तपेदिक (टीबी) से निपटने में लगातार प्रगति का भी पता चला था। 

कितना घातक है टीबी संक्रमण?
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में टीबी से संबंधित बीमारियों से लगभग 14 लाख (1.4 मिलियन) लोगों की मृत्यु हुई। एक अनुमान से पता चलता है कि इस दौरान लगभग एक करोड़ (10 मिलियन) लोग टीबी रोग से संक्रमित थे। वहीं, करीब 30 लाख (3 मिलियन) मरीज तो ऐसे थे, जिन्हें इस बीमारी का पता नहीं चला या आधिकारिक तौर पर इन रोगियों के बारे में राष्ट्रीय अधिकारियों को जानकारी नहीं दी गई।

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इसके अलावा ड्रग रेजिस्टेंस की स्थिति (दवा प्रतिरोधी) टीबी वाले लोगों के लिए और भी अधिक घातक है। साल 2019 में लगभग चार लाख, 65000 लोगों को दवाओं के प्रतिरोधी टीबी का पता चला था और इनमें से 40 प्रतिशत से कम लोग उपचार का उपयोग करने में सक्षम थे। साथ ही टीबी संक्रमण को रोकने के लिए उपचार की प्रगति भी सीमित रही। डब्लूएचओ ने कहा कि अगर सरकारें जवाब नहीं देती हैं तो यह स्थिति और बिगड़ सकती है।

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