ऐसा लगता है मानो मुंह के अंदर मौजूद सैंकड़ों बैक्टीरिया इस बात के इंतजार में रहते हैं कि जैसे ही डेंटिस्ट मरीज के दातों पर जमा प्लाक (दांतों की मैल) को खुरच कर हटाते हैं, वैसे ही ये बैक्टीरिया वापस हरकत में आने के लिए तैयार हो जाते हैं। शक्कर या कार्बोहाइड्रेट वाली अन्य चीजें खाने से बैक्टीरिया बेहद कम समय में इस कठिन और चिपचिपे बायोफिल्म का पुनर्निर्माण करते हैं और साथ ही में एसिड का उत्पादन करते हैं जिससे दांतों के इनैमल को नुकसान पहुंचता है और दातों में सड़न और कैविटीज की समस्या हो जाती है।
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दांतों में प्लाक और कैविटीज को होने से रोकने की कोशिश
लेकिन वैज्ञानिक अब एक ऐसे नए उपचार के बारे में बता रहे हैं जिसके इस्तेमाल से वह दिन भी जल्द ही आ जाएगा जब दांतों में प्लाक और कैविटीज की समस्या होगी ही नहीं। इस उपचार में एक नए प्रकार के सेरियम नैनोपार्टिकल फॉर्मूलेशन का उपयोग किया जाएगा जिसे डेंटिस्ट के ऑफिस में जाकर ही दांतों पर लगवाया जा सकेगा।
मुंह में बैक्टीरिया की 700 से अधिक प्रजातियां मौजूद
आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे मुंह में बैक्टीरिया की 700 से भी अधिक प्रजातियां होती हैं। इसमें कई तरह के लाभकारी बैक्टीरिया भी शामिल हैं जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं या अन्य रोगाणुओं को रोकते हैं। इसके अलावा इनमें स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स सहित हानिकारक स्ट्रेप्टोकोकल प्रजातियां भी शामिल हैं। दांतों की सफाई के तुरंत बाद ये बैक्टीरिया दांतों से चिपक जाते हैं और फिर अपनी जनसंख्या में कई गुणा वृद्धि करना शुरू कर देते हैं।
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दांतों का इनैमल खराब होने से होती है कैविटी
ऊर्जा स्त्रोत और बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में ये शक्कर का इस्तेमाल करते हैं और फिर रोगाणु धीरे-धीरे दांतों पर एक मजबूत और कठिन फिल्म बना लेते हैं जिसे प्लाक कहते हैं और इसे आसानी से सिर्फ ब्रश करके हटाया नहीं जा सकता। चूंकि इस दौरान बैक्टीरिया शक्कर को मेटाबोलाइज करना जारी रखता है, इसलिए वे एसिड बायप्रॉडक्ट का निर्माण करता है जिससे दांतों का इनैमल खराब हो जाता है और दांतों में सड़न या कैविटीज का मार्ग खुल जाता है।
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दांतों की सड़न रोकने के लिए सिल्वर नाइट्रेट का इस्तेमाल
डेंटिस्ट के साथ ही आम ग्राहक भी प्लाक को रोकने और उससे लड़ने के लिए स्टैन्यूस फ्लोराइड वाले उत्पादों का इस्तेमाल कर सकते हैं और दांतों की सड़न को रोकने के लिए सिल्वर नाइट्रेट या सिल्वर डाइमाइन फ्लोराइड का इस्तेमाल कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने दांतों में संक्रमण के इलाज के लिए जिंक ऑक्साइड, कॉपर ऑक्साइड या चांदी से बने नैनोपार्टिकल्स का भी अध्ययन किया है।
कीटाणुनाशक एजेंट्स गुड बैक्टीरिया को भी मारते हैं
हालांकि इन जैसे कीटाणुनाशक एजेंटों को दंत चिकित्सा में अपना स्थान प्राप्त है लेकिन बार-बार इनका इस्तेमाल करने से दांतो में धब्बा लग सकता है और जीवाणु प्रतिरोध या बैक्टीरियल रेजिस्टेंस की समस्या या दोनों हो सकते हैं। अमेरिका के शिकागो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के रसेल पेसावेंटो कहते हैं, ये सभी कीटाणुनाशक एजेंट सेलेक्टिव नहीं होते हैं इसलिए वे आपके मुंह में मौजूद कई प्रकार के बैक्टीरिया को मारते हैं, यहां तक कि अच्छे और फायदेमंद बैक्टीरिया को भी।
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सेरियम ऑक्साइड नैनोपार्टिकल्स का इस्तेमाल
अनुसंधानकर्ता एक ऐसे विकल्प की खोज कर रहे थे जो मुंह के अंदर मौजूद फायदेमंद बैक्टीरिया को मारे बिना प्लाक और कैविटी की समस्या को दूर करे। इसके लिए शोधकर्ताओं ने मुंह के रोगाणुओं पर सेरियम ऑक्साइड नैनोपार्टिकल्स की जांच की। शोधकर्ताओं की टीम ने अपने नैनोपार्टिकल्स का निर्माण करने के लिए पानी में सेरिक अमोनियम नाइट्रेट या सल्फेट लवण को घोला। इसके बाद पॉलिस्ट्रीन प्लेट्स को एस.म्यूटैन्स के साथ बोया गया और जब सेरियम ऑक्साइड नैनोपार्टिकल सॉलूशन की उपस्थिति में बैक्टीरिया को शक्कर खिलायी गई तो इस फॉर्मूलेशन ने बायोफिल्म या प्लाक के निर्माण में नैनोपार्टिकल्स के बिना की तुलना में 40 प्रतिशत तक की कमी की।
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नैनोपार्टिकल्स केवल बायोफिल्म को बनने से रोकता है
इसी तरह की मिलती-जुलती परिस्थितियों में, सिल्वर नाइट्रेट- दंत चिकित्सकों द्वारा उपयोग किए जाने वाला एक ज्ञात एंटी-कैविटी एजेंट- ने बायोफिल्म या प्लाक के विकास पर कोई प्रभाव नहीं दिखाया। पेसावेंटो कहते हैं, 'हमारे इलाज का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यह मुंह के बैक्टीरिया के लिए कम हानिकारक है और बहुत से मामलों में तो यह मुंह के बैक्टीरिया को मारता भी नहीं है। इसकी जगह, नैनोपार्टिकल्स ने केवल रोगाणुओं को पॉलीस्टायरीन सतहों पर चिपकने और संलग्न बायोफिल्म बनाने से रोका।'