आपने कई खिलाड़ियों को जख्मी होने पर लड़खड़ाते हुए ट्रैक पर गिरते या अपनी थाई (जांघ) को पकड़ कर भागते हुए देखा होगा। दरअसल यह स्थिति खिलाड़ी की हैम्स्ट्रिंग के क्षतिग्रस्त होने का संकेत देती है।

हैम्स्ट्रिंग तीन मांसपेशियों का एक समूह है, जो जांघ के पीछे के हिस्से में स्थित होता है और हमें दौड़ने व छलांग लगाने के लिए ताकत प्रदान करता है। इन तीन मांसपेशियों का समूह कूल्हों से लेकर घुटने के नीचे तक होता है और यह कूल्हे को बढ़ने देता है, घुटनों और जांघ को मुड़ने व घुमाने में मदद करता है और पिंडली की हड्डी को मोड़ने में सहायता प्रदान करता है। इसकी नसें बड़ी थाई मसल को हड्डी से जोड़ती हैं।

खड़े रहने या चलने में हैम्स्ट्रिंग का कोई इस्तेमाल नहीं होता है, लेकिन किसी भी ऐसी गतिविधि जिसमें घुटनों का मोड़ना या टांगों पर बल डालना शामिल हो उसमें हैम्स्ट्रिंग अपने आप काम में आने लगती है।

  1. हैम्स्ट्रिंग मांसपेशियों में दर्द का कारण
  2. हैम्स्ट्रिंग की मांसपेशियों के फटने के मुख्य कारण
  3. हैम्स्ट्रिंग मसल में दर्द के प्रकार
  4. हैम्स्ट्रिंग मसल में दर्द के लक्षण
  5. हैम्स्ट्रिंग मसल में दर्द का परीक्षण
  6. हैम्स्ट्रिंग मांसपेशियों में दर्द का इलाज
  7. हैम्स्ट्रिंग की मांसपेशियों में दर्द के जोखिम कारक
  8. हैम्स्ट्रिंग मसल के दर्द की रोकथाम
  9. सारांश

हैम्स्ट्रिंग तीन मांसपेशियों से बनी होती है :

  • बाइसेप्स फेमोरिस : बाहरी जंघा में स्थित कूल्हे के बढ़ने और घुटने को मोड़ने व घुमाने में मदद करता है।

  • सेमीमेटामोरफोसिस (कलाकल्पिका) : यह श्रोणि (पेल्विक) से लेकर पिंडली की हड्डी के पीछे तक होता है जो जांघ को बढ़ने और घुटने को लचकदार बनाता है। यह पिंडली की हड्डी को घूमने में भी मदद करता है।

  • सेमीटेंडिनोसस (कंडरार्ध पेशी) : हैम्स्ट्रिंग में मौजूद सबसे लंबी मांसपेशी जो कूल्हे से पिंडली तक होती है। यह जांघ, घुटने और पिंडली की हड्डी को मुड़ने, घूमने व बढ़ने में मदद करती है।

हैम्स्ट्रिंग मसल या नसों के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण फट सकती है या जांघ के पीछे का कोई भी भाग क्षतिग्रस्त हो सकता है। जो व्यक्ति स्प्रिन्टिंग (कम दूरी की तेज दौड़) करते हैं या एक दम से रुक जाते हैं, उनमें इसका जोखिम अधिक होता है। इसमें टेनिस, फुटबॉल, क्रिकेट और रोजाना की गतिविधियां जैसे रनिंग (दौड़) और डानसिंग भी शामिल हैं।

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  • व्यायाम या खेलने से पहले स्ट्रेचिंग या वॉर्म-अप न करना
  • ग्लूटस (कूल्हों में मौजूद मांसपेशियां) में पर्याप्त शक्ति न होना। तीव्र शरीरिक गतिविधियों में ग्लूटस और हैम्स्ट्रिंग एक साथ कार्य करते हैं।
  • जांघ की आगे की मांसपेशियों का अधिक टाइट होना।
  • खराब सतह पर दौड़ना।
  • सही ढंग से न भागना।
  • हैम्स्ट्रिंग मसल का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना।

दर्द की तीव्रता हैम्स्ट्रिंग में आइ चोट या मांसपेशी के घाव आकार पर निर्भर करती है, जिन्हें तीन ग्रेड में बांटा गया है :

  • ग्रेड 1: इस स्थिति में टांग को हिलाते समय मोच में हल्का दर्द महसूस होता है। इसे हैम्स्ट्रिंग में खिंचाव भी कहा जाता है।
  • ग्रेड 2: तीनों में से किसी भी एक मांसपेशी का फटना, जिसके कारण जांघ के पीछे दर्द और सूजन हो सकती है।
  • ग्रेड 3: मांसपेशी का पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होना, इसके कारण व्यक्ति को बहुत तेज दर्द महसूस होता है और वह चल भी नहीं पाता है।

हैम्स्ट्रिंग में चोट लगना बेहद आम बात है। इसीलिए स्पोर्ट्स और फिट्नेस कम्युनिटी द्वारा इस विषय में सबसे अधिक जागरुकता फैलाई जाती है। हैम्स्ट्रिंग चोट के संकेतों को नजर अंदाज कर पाना मुश्किल होता है। जिसमें शामिल हैं :

  • कूल्हों और जांघ के पीछे टांगों का वजन न उठाने के कारण चलते समय दर्द होना।
  • घुटने के पीछे अकड़न।
  • घुटने के पीछे कोमलता।
  • घुटने के पीछे नील पड़ जाना या रंग बदल जाना।
  • अचानक व गंभीर दर्द होना।
  • जांघ के पीछे सूजन पड़ जाना।

कुछ स्पष्ट संकेतों के अलावा डॉक्टर चोट लगने की जगह और उसके आकार को पहचानने के लिए कुछ परीक्षण कर सकते हैं :

  • डॉक्टर गतिशीलता और दर्द की गंभीरता को जांचने के लिए एक शारीरिक परीक्षा करेंगे। इसके साथ ही वह घाव को समझने की कोशिश कर सकते हैं। डॉक्टर आपको घाव के बारे में बेहतर जानने के लिए अन्य इमेजिंग टेस्ट की सलाह भी दे सकते हैं।
  • एमआरआई स्कैन मांसपेशियों के ऊतकों में क्षति को स्पष्ट रूप से देखने के लिए किया जा सकता है।
  • अल्ट्रासाउंड आपकी क्षतिग्रस्त हुई मांसपेशियों के अन्य प्रमाणों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
  • चोट किसी दुर्घटना, टक्कर या गिरने के कारण लगने पर डॉक्टर आपको एक्स-रे करवाने की सलाह दे सकते हैं।

ज्यादातर मामलों जैसे ग्रेड 1 इंजरी में मरीज का घर पर ही इलाज किया जा सकता है। इलाज के लिए मरीज को अधिक आराम और बर्फ की सिकाई की आवश्यकता होती है। अधिक गंभीर मामलों में चलने-फिरने से दर्द और सूजन कम होने में मदद मिलती है।

इसके इलाज में अक्सर ओटीसी दवाओं की मदद से दर्द और घाव को कम किया जा सकता है व डॉक्टर मांसपेशियों की मजबूती और हिलने की क्षमता वापस पाने के लिए फिजिकल थेरपी की सलाह देते हैं।

ग्रेड 3 के मामलों में मांसपेशियां हड्डी से अलग हो चुकी होती हैं, जिसके कारण डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में ठीक होने की प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं। हैम्स्ट्रिंग के गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त होने के कारण कई खिलाड़ियों का करियर समाप्त हो चुका है।

चोट लगने की अधिक आशंका ज्यादातर खिलाड़ियों या जिम से लंबे समय का ब्रेक लेने के बाद फिर से वर्कआउट करने वाले व्यक्तियों में अधिक होती है।

  • ऐसे खेल जिनमें स्प्रिन्टिंग या अचानक रुकने जैसी गतिविधियां शामिल हों।
  • व्यायाम करने से पहले वॉर्म-अप या स्ट्रेचिंग न करना।
  • अगर आपको पहले से ही हैम्स्ट्रिंग में कोई चोट लगी हो।
  • मांसपेशियों में लचीलेपन की कमी।

यह चोट लगने की आशंका भले ही ज्यादातर खिलाड़ियों में होती हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जो लोग खेल नहीं खेलते हैं उनमें इससे ग्रस्त होने की आशंका न हो। हैम्स्ट्रिंग में लगी चोट को ठीक करने में लंबा समय लग सकता है और इसीलिए सारा समय बिस्तर पर ठीक होने में व्यर्थ करने से बेहतर है कि एहतियात बरतें।

  • किसी भी खेल या व्यायाम को शुरू करने से पहले स्ट्रेच और वॉर्म-अप जरूर करें।
  • हैम्स्ट्रिंग को मजबूत बनाने वाले व्यायाम अपनाएं।
  • अपने शरीरिक व्यायाम की तीव्रता को समय-समय पर बढ़ाते रहें।
  • घुटने के पीछे हल्का सा भी दर्द होने पर व्यायाम या खेल को तुरंत रोक दें।
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हैम्स्ट्रिंग की मांसपेशियों में दर्द अक्सर खिंचाव, चोट या अत्यधिक शारीरिक गतिविधि के कारण होता है। इसका इलाज आराम, बर्फ से सिकाई, और दर्द वाले स्थान को ऊँचा रखने से किया जा सकता है। शुरुआती 48 घंटों में बर्फ का प्रयोग सूजन कम करने में सहायक होता है। दर्द को कम करने के लिए हल्की स्ट्रेचिंग और दर्दनिवारक दवाएँ भी ली जा सकती हैं। जैसे-जैसे दर्द में सुधार हो, धीरे-धीरे स्ट्रेचिंग और मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम शुरू करें। यदि दर्द बना रहता है या चलने-फिरने में कठिनाई होती है, तो डॉक्टर से परामर्श लें ताकि सही इलाज और फिजियोथेरेपी की सलाह मिल सके।

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