अक्सर टिटनेस को लॉकजॉ कहा जाता है, जिसका हिंदी में अर्थ में जबड़े का भींच जाना या मजबूती से जकड़ जाना। टिटनेस बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है जो मांसपेशियों की दर्दनाक ऐंठन का कारण बनता है और अधिक गंभीर हो तो मृत्यु का कारण भी बन सकता है। टिटनेस के टिके ने टिटनेस जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम को संभव बना दिया है।
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टिटनेस को लॉकजॉ इसलिए कहा गया है क्योंकि यह बीमारी चेहरे और गर्दन की मांसपेशियों में ऐंठन से मुंह खोलने में असमर्थता का कारण बन सकती है, यह टिटनेस के सबसे आम लक्षणों में से एक है।
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टिटनेस एक गंभीर बीमारी है जो 30% मामलों में घातक होती है। टिटनेस के ज्यादातर मामलों में ऐसे वयस्क होते हैं, जिन्होंने टीकाकरण नहीं करवाया होता है, खासकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में।
क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी वह बैक्टीरिया है जो टिटनेस का कारण बनता है और यह मिट्टी, खाद या धूल में पाया जा सकता है। क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी कट लगने या घावों के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करके इसे संक्रमित करते हैं, खासकर जब घाव गंदा होता है।
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किसी जानवर के काटने, जलने या नॉन-स्टेराइल इंजेक्शन से भी क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी शरीर में संक्रमण कर सकता है। संक्रमण के बाद तीन दिनों से एक सप्ताह तक टिटनेस के प्रारंभिक लक्षण किसी भी समय प्रकट हो सकते हैं, लेकिन लक्षण शुरू होने का औसत समय आठ दिन होता है।
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टिटनेस एक ऐसी बीमारी है जिसे पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है, क्योंकि इसे टीकाकरण से रोका जा सकता है। हालांकि, इसे समाप्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी पर्यावरण में व्यापक रूप से पाया जाने वाला सूक्ष्मजीव है।
इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि टिटनेस का इंजेक्शन कहा और कब लगता है, चोट के बाद टिटनेस इंजेक्शन क्यों लगता है, टिटनेस का इंजेक्शन प्रेगनेंसी में क्यों जरुरी है तथा टिटनेस के टीके की सुरक्षा अवधि कितनी है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि टिटनेस इंजेक्शन की कीमत, फायदे और नुकसान क्या हैं।