पुरुषों में अंडकोष की थैली में वृषण होते हैं जो कि प्रजनन अंग हैं। ये सेक्स हार्मोन और शुक्राणु बनाने का काम करते हैं। चूंकि, वृषण बहुत संवेदनशील होते हैं इसलिए इनमें कोई छोटी सी समस्या की वजह से भी वृषण में दर्द हो सकता है। वृषण को अंडकोष भी कहा जाता है एवं इसमें निम्न कारणों की वजह से दर्द हो सकता है:
- वृषण में चोट
- डायबिटिक न्यूरोपैथी या डायबिटीज की वजह से अंडकोष की थैली की नसों को नुकसान
- एपिडिडीमाइटिस (दोनों अंडकोष के पीछे की घुमावदार नलियों में सूजन) या शुक्राणु ले जाने वाली नलियों में सूजन
- ऑकिटिस या अंडकोष में सूजन
- टेस्टिकुलर टॉर्जन (शरीर से वृषण को जोड़ने वाली शुक्राणु से युक्त नलिका का मुड़ना)
- प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना
- गैंग्रीन (शरीर के ऊतक नष्ट होने लग जाते हैं) या अंडकोष के और इसके आसपास के ऊतक मर जाते हैं। आमतौर पर ऐसा संक्रमण या खून की आपूर्ति की कमी के कारण होता है।
- हाइड्रोसील (हाइड्रोसील साफ द्रव से भरी एक थैली होती है जो पुरूषों के एक या दोनों अंडकोष के आसपास बन जाती है) या फ्लूइड (तरल पदार्थ) जमना जिसके कारण अंडकोष की थैली में सूजन हो जाए।
- अंडकोष में गांठ (स्पर्माटोसील)
- वैरीकोसेल (अंडकोष की नसों में आने वाली सूजन के कारण ही वैरीकोसेल होता है) या अंडकोष की थैली की नसों का बढ़ना
- इनगुइनल हर्निया – ग्रोइन (पेट और जांघ के बीच का हिस्सा) के हिस्से में पेट की निचली दीवार के जरिए आंतों या ऊतकों में उभार आना। इस हिस्से की मांसपेशियों में कमजोरी के कारण ऐसा होता है।
- किडनी स्टोन
- अंडकोष में कैंसर
अंडकोष में दर्द के साथ अक्सर पेट या ग्रोइन हिस्से में दर्द होता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें। अंडकोष में दर्द का उपचार दर्द के कारण पर निर्भर करता है एवं इसके उपचार में दर्द निवारक दवाएं, एंटीबायोटिक दवाएं या सर्जरी शामिल हैं।
भारत में लगभग 12.7 प्रतिशत लोग उपचार के लिए पूरी तरह से होम्योपैथी पर निर्भर करते हैं। होम्योपैथी में केवल बीमारी का ही इलाज नहीं किया जाता, बल्कि मरीज के संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाया जाता है।
लक्षणों के साथ-साथ कुछ बीमारियों के प्रति व्यक्ति की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए होम्योपैथी दवाओं की सलाह दी जाती है। वृषण में दर्द के लिए दी जाने वाली होम्योपैथी दवाओं में एकोनिटम नैपेल्लस, ब्रोमियम, क्लेमैटिस इरेक्टा, हैमेमेलिस वर्जिनियाना, ऑक्जेलिकम एसिडम, पुल्सटिला प्रटैनसिस, राडोडेंड्रन फेरूजिनेअम, स्पॉन्जिआ टोस्टा और थूजा ऑक्सीडेंटलिस शामिल हैं।