दुनिया के 200 से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले चुकी बेहद संक्रामक बीमारी कोविड-19 ने सिर्फ लोगों की सेहत को ही नहीं बल्कि जीवन के हर हिस्से को प्रभावित किया है। चूंकि यह बीमारी बिलकुल नई है इसलिए इसके बारे में अनिश्चितता का माहौल है और रोजाना जिस तरह से हजारों की संख्या में केस बढ़ रहे हैं उसे लेकर लोगों की चिंता और स्ट्रेस बढ़ना लाजिमी है। इन सबके बीच लॉकडाउन का लगातार बढ़ना और फिजिकल डिस्टेंसिंग भी कई लोगों के लिए निराशा से भरा हो सकता है। ऐसे समय में कई बार ऐसा भी महसूस होता कि मानो आप दुनिया से पूरी तरह से कट गए हैं।

अगर आप भी कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की वजह से तनाव और चिंता महसूस कर रहे हैं तो इसे दूर करने के कई तरीके हैं। जैसे- सबसे पहले तो टीवी और न्यूज को बंद कर दें। आप जितना न्यूज देखेंगे आपकी तनाव उतना ही बढ़ेगा। लिहाजा खबरों की दुनिया छोड़कर अपने प्रियजनों के साथ बात करें, उनके साथ क्वॉलिटी टाइम बिताएं। 

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चूंकि लॉकडाउन के दौरान आपका घर से बाहर निकलना बंद हो गया है लिहाजा शारीरिक गतिविधियों में भी काफी कमी आ गई है, ऐसे में खुद को किसी न किसी तरह की फिजिकल ऐक्टिविटी में इंगेज रखना बेहद जरूरी है। इस दौरान आप चाहें तो घर में ही वर्कआउट कर सकते हैं या फिर स्ट्रेस दूर करने के लिए योग की भी मदद ले सकते हैं। कोविड-19 महामारी से जुड़े तनाव और चिंता को दूर करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कुछ बेहद आसान योगासनों के बारे में बताया है। 

एक्सपर्ट्स की मानें तो योग करने से आपका शरीर, मस्तिष्क और मन सभी रिलैक्स हो जाते हैं। जब आपका मन शांत होगा तो आपको तनाव से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही आपकी सेहत पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।

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  1. तनाव से निपटने के लिए योग करने के फायदे
  2. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने तनाव प्रबंधन के लिए इन योगासनों का दिया सुझाव
  3. कोविड-19 महामारी के दौरान तनाव से बचने के लिए कई और योगासान
  4. कोविड-19: हर दिन योग करें और दूर भगाएं महामारी से जुड़ा स्ट्रेस के डॉक्टर

योग शरीर पर कई तरह से असर दिखाता है जिससे तनाव से निपटने में भी मदद मिलती है। सबसे जरूरी बात ये है कि योग करने से शरीर की स्वायत्त तंत्रिका तंत्र- एक ऐसा तंत्रिका तंत्र जो हमारे आंतरिक अंगों तक सप्लाई करता है और ब्लड प्रेशर और श्वसन दर को नियंत्रित करता है। इस तंत्रिका तंत्र के दो हिस्से हैं- सिम्पेथैटिक और पारासिम्पेथैटिक सिस्टम।

जब व्यक्ति तनाव में होता है तो सिम्पेथैटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है। इस वजह से शरीर का ब्लड प्रेशर और श्वसन दर दोनों बढ़ जाता है लेकिन पेट में खून का संचार कम हो जाता है। वहीं, दूसरी तरफ जब व्यक्ति तनाव से दूर रिलैक्स रहता है तो पारासिम्पेथैटिक सिस्टम सक्रिय होता है। इससे रक्त धमनियां रिलैक्स होती हैं और ब्लड प्रेशर कम होता है। साथ ही पाचन तंत्र और मस्तिष्क तक खून का संचार भी बेहतर तरीके से होता है।

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इन दोनों ही सिस्टम के बीच संतुलन बना रहना बेहद जरूरी है। हालांकि, तनाव के मामले में सिम्पेथैटिक सिस्टम सक्रिय रह जाता है और पारासिम्पेथैटिक सिस्टम उसका विरोध नहीं कर पाता। इस वजह से तनाव के लक्षण दिखने लगते हैं और कुछ इन्फ्लेमेटरी मोलेक्यूल्स का उत्पादन होने लगता है जिससे डिप्रेशन बढ़ता है। वैज्ञानिक रूप से भी यह बात साबित हो चुकी है कि योग, पारासिम्पेथैटिक नर्वस सिस्टम की ऐक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद करता है। इससे ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम का संतुलन बना रहता है और तनाव में कमी आती है। जो लोग नियमित रूप से योग का अभ्यास करते हैं उनकी ओवरऑल सेहत बनी रहती है और उन्हें तनाव और बेचैनी कम महसूस होती है।

सिम्पेथैटिक सिस्टम के सक्रिय होते ही शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल जिसे फाइट और फ्लाइइट हार्मोन भी कहते हैं उसका उत्पादन होने लगता है। कोर्टिसोल शरीर में ग्लूकोज के टूटने की प्रक्रिया को तेज कर देता है जिससे शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है। लंबे समय तक अगर कोई व्यक्ति तनाव में रहे तो कोर्टिसोल की अधिकता की वजह से इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता की कार्यप्रणाली कमजोर हो जाती है और किडनी में सोडियम का रिटेंशन भी बढ़ने लगता है। इस वजह से शरीर का ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।

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आमतौर पर कोर्टिसोल की अधिक मात्रा शरीर को फीडबैक सिस्टम की मदद से सिग्नल भेजती है कि वे कोर्टिसोल का अत्यधिक उत्पादन बंद कर दें लेकिन बहुत अधिक तनाव की वजह से यह सिस्टम भी काम करना बंद कर देता है और फिर व्यक्ति को पता ही नहीं होता कि वह कितने ज्यादा तनाव की स्थिति में है। लिहाजा नियमित रूप से योग करने से शरीर में कोर्टिसोल के सर्कुलेशन का लेवल भी कम होता है जिससे तनाव में कमी आती है। लिहाजा जरूरी नहीं कि आप तनाव में हों तभी योग करें।

क्लीनिकल स्टडी में भी यह बात साबित हो चुकी है कि अगर कोई व्यक्ति डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार है तो एंटी-डिप्रेसेंट गोलियां लेने की बजाए अगर वह नियमित रूप से योग करे और पारंपरिक दवाइयों का सेवन करे तो उसे ज्यादा फायदा हो सकता है। इसके अलावा भी कई शोधों में यह बात सामने आ चुकी है कि योग करने से कॉलेज स्टूडेंट्स का मानसिक तनाव और महिलाओं का मेन्स्ट्रुएशन से पहले और बाद का तनाव भी कम होता है।

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योग करने से तनाव कम होता है जीवनशैली में भी सुधार होता है, खासकर उन लोगों में जो लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित हैं। हालांकि अगर आपको पहले से कोई बीमारी है तो बेहद जरूरी है कि आप किसी एक्सपर्ट की देखरेख में ही योग करें और उनके बताए आसन जो आपके लिए सुरक्षित हों सिर्फ उन्हीं का अभ्यास करें। नियमित रूप से योग करने से फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ती है और सेहत में भी सुधार होता है।

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योग के इन आसनों को करने के लिए आपके शरीर का फ्लेक्सिबल होना या योगासन एक्सपर्ट होना जरूरी नहीं है। ये बेहद सिंपल योगासन है और इसे कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है। इन्हें कैसे करना है यहां जानें:

1. हैंड्स इन एंड आउट ब्रीदिंग आसन

  • अपनी दोनों भुजाओं को कंधे की हाइट पर अपने सामने की ओर फैलाएं और दोनों हथेलियां एक दूसरे की तरफ हों लेकिन टच न करें।
  • सांस अंदर लेते हुए अपनी भुजाओं को दोनों साइड में बाहर की तरफ फैलाएं और कोहनी को झुकाए बिना भुजाओं को कंधे के पीछे ले जाने की कोशिश करें। 1 या 2 सेकंड के लिए रुकें और फिर से भुजाओं को स्ट्रेच करें।
  • अब सांस बाहर छोड़ते हए अपनी भुजाओं को वापस ओरिजिनल पोजिशन में ले आएं।
  • अपनी सांस लेने की गति के साथ अपनी भुजाओं की गतिविधि को मैच करने की कोशिश करें और इस आसन को कम से कम 10 बार दोहराएं।

2. हैंड स्ट्रेच ब्रीदिंग

  • अपनी हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ें और अपनी हथेली को छाती पर रखें। आपकी हथेली छाती की तरफ होनी चाहिए और कोहनी दोनों साइड से मुड़ी होनी चाहिए।
  • सांस अंदर लेते हुए, अपने हाथों को फैलाएं और अपने हाथों को शरीर से 90 डिग्री के ऐंगल पर ले आएं। आपकी कोहनी मुड़नी नहीं चाहिए और आपकी भुजाएं कंधे के लेवल से ऊपर नहीं होनी चाहिए।
  • स्ट्रेच करने के दौरान अपनी हथेलियों को ट्विस्ट करें ताकि वे बाहर की तरफ दिखें।
  • स्ट्रेचिंग को बहुत ज्यादा न करें।
  • इसी पोजिशन में 1-2 सेकंड रहें और फिर सांस बाहर छोड़ते वक्त शुरुआत वाली पोजिशन में वापस आ जाएं।
  • फिर से शुरू करने से पहले अपने कंधों को नीचे कर लें। इस आसन को कम से कम 10 बार दोहराएं।
  • आप चाहें तो इसमें कुछ वेरिएशन्स भी कर सकते हैं। इसके लिए अपनी हथेलियों को स्ट्रेच करें और 135 डिग्री का ऐंगल बनाएं और सांस अंदर लेते हुए शरीर में 180 डिग्री का ऐंगल बनाएं। सांस बाहर छोड़ते हुए अपने हाथों को वापस छाती के पास ले आएं और कंधे को वापस नीचे करें। इस वेरिएशन को 10 बार दोहराएं।

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3. कपालभाती प्राणायाम

  • ये भी श्वास संबंधी आसन है जिसे आप कुर्सी या योगा मैट पर बैठकर कर सकते हैं।
  • अपने नाक से गहराई से सांस लें ताकि चेस्ट कैविटी फैल जाए। -अब सांस बाहर छोड़ते हुए अपने पेट की मांसपेशियों को पूरी ताकत के साथ संकुचित करें।
  • सांस अंदर लेने और बाहर छोड़ने की इस साइकल को कम से कम 2 मिनट तक जारी रखें।

4. भ्रामरी प्राणायाम

  • अपनी नाक से सांस अंदर लें।
  • अब अपनी आंखें बंद करें और अपनी आंखों के बीच वाले पॉइंट पर फोकस करें।
  • सांस बाहर छोड़ते हुए एम की आवाज निकालें (जैसे मधुमक्खी के भिन-भिन की आवाज आती है) लेकिन इस दौरान आपके होंठ नहीं हिलने चाहिए।

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1. त्रिकोणासन (ट्राइऐंगल पोज)

  • अपने दोनों पैरों को एक दूसरे से दूर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं -अपनी दोनों भुजाओं को साइड में फैलाएं। इस दौरान हाथ आपके कंधे की सीध में होने चाहिए और जमीन के समानांतर
  • अब अपने दाएं पैर के घुटने को बाहर की तरफ निकालें।
  • अब धीरे से अपनी कमर को दाएं पैर की तरफ साइड में घुमाएं। लेकिन इस दौरान घुटनों को मोड़ना नहीं है।
  • अपने दाएं हाथ से अपने दाएं पैर के सामने की जमीन को छूने की कोशिश करें। अगर आप जमीन न छू पा रहे हों तो जबरदस्ती करने की जरूरत नहीं, जितना हो रहा हो उतना ही करें।
  • अपनी बाईं भुजा को ऊपर सीधा उठाएं और अपने बाईं हथेली को देखने की कोशिश करें।
  • इसी पोजिशन में 2-3 सेकंड के लिए रुकें।
  • इस आसन को दोनों साइड में कम से कम 2-3 बार दोहराएं।

2. प्रसारिता पदोत्तनासन (वाइड लेग्ड फॉरवर्ड बेंड)

  • अपने दोनों पैरों को फैलाकर खड़े हो जाएं। इस दौरान घुटने मुड़ने नहीं चाहिए। इस दौरान ध्यान रखें कि आपका वजन समान रूप से दोनों पैरों पर हो और आपकी पोजिशन संतुलित हो।
  • अपने हाथों को अपने हिप्स पर रखें और कमर के हिस्से आगे की ओर झुकने की कोशिश करें।
  • जैसे-जैसे आप आगे की ओर झुक रहे हों अपने हाथों को आगे करें और अपने हाथों को आगे जमीन पर रख दें। ऐसा करने से पोज को संतुलित बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • इस दौरान आपको जांघ, छाती और कंधों में खिंचाव महसूस होगा। आप जितना झुक सकते हैं, उतना ही झुकें, ओवरस्ट्रेच न करें।
  • इस पोजिशन को कुछ सेकंड के लिए होल्ड करें और फिर धीरे से अपनी पहली पोजिशन में वापस आ जाएं।

3.उत्तानआसन (स्टैडिंग फॉरवर्ड बेंड पोज)

  • अपने योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। आपके दोनों पैर कंधों की तरह अलग और बाहर की तरफ होने चाहिए और आपका वजन दोनों पैरों पर बराबर होना चाहिए।
  • अब सांस को अंदर लें अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं।
  • सांस बाहर छोड़ते हुए अपने हिप्स के हिस्से से आगे की तरफ झुकें।
  • अब सामने की जमीन को छूने की कोशिश करें और इस दौरान आपके जांघ आपकी छाती के बेहद करीब होना चाहिए। अगर आप जमीन नहीं छू पा रहे तो कोई बात नहीं जितना झुक पा रहे हों उतना ही झुकें।
  • कुछ सेकंड के लिए इस पोज को बनाए रखें और फिर धीरे से अपनी पोजिशन में वापस आ जाएं।
  • इस आसन को 2 बार दोहराएं।

योग प्रैक्टिस के आखिर में शवासन जरूर करें। इसके लिए मैट पर बिलकुल सीधे लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को शरीर के दोनों साइड पर 45 से 50 डिग्री पर रखें और दोनों पैर भी एक दूसरे से अलग होने चाहिए। अपनी आंखों को बंद करें और कुछ मिनट के लिए रिलैक्स करें।

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