शरीर का एक सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है रीढ़ की हड्डी, जिसे अंग्रेजी में “स्पाइनल कॉर्ड” (Spinal cord) कहा जाता है। रीढ़ की हड्डी शरीर की हर मांसपेशी और कई अंगों से जुडी होती है और उन्हें हिलने-डुलने व उनका काम करने का निर्देश देती है।
रीढ़ की हड्डी में चोट का मतलब होता है किसी दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी में मौजूद कोशिकाओं, कशेरुकाओं या नसों को नुक्सान होना, जिससे शरीर के अंगों और मांसपेशियों में संकेत नहीं जा पाते। इससे होने वाला नुक्सान चोट की गंभीरता, चोट की जगह और नसों के नुक्सान पर निर्भर करता है। रीढ़ की हड्डी की चोट से व्यक्ति को कुछ समय के लिए या हमेशा के लिए नुक्सान हो सकता है, जिसके कारण व्यक्ति को आजीवन पैरालिसिस की समस्या हो सकती है। ज्यादातर ऐसा होता है की रीढ़ की हड्डी की जितनी ऊपर चोट लगती है, समाया उतनी ही ज्यादा होती है।
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रीढ़ की हड्डी की चोट के सबसे आम प्रकार होते हैं रीढ़ की हड्डी के किसी भाग का कुचल जाना या उसपर बहुत ज्यादा दबाव पड़ जाना। ये स्थिति हमेशा ही आपातकालीन होती है और इससे बहुत ज्यादा दर्द, पैरालिसिस और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।
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इस लेख में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर क्या होता है, ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए और डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए के बारे में बताया गया है।