छींक आना हमारी सेहत के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि छींक आना हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यूनिटी का अहम हिस्सा है जो हमारे शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से बचाता है। इसलिए अगली बार जब आपको छींक आए तो अपनी नाक या मुंह को बंद करके छींक को रोकने की कोशिश न करें, बल्कि उसे आने दें क्योंकि छींक आना आपको हेल्दी रखने का एक तरीका है। छींक आना, शरीर का एक तरीका है अनचाहे कीटाणुओं को शरीर से बाहर रखने का जो आपके नेजल पैसेज यानी नाक के रास्ते को उत्तेजित कर सकते हैं।
पलकें झपकाने और सांस लेने की ही तरह छींक आना भी अर्ध स्वायत्त प्रतिक्रिया (सेमीऑटोनोमस रिफ्लेक्स) ऐक्शन है। इसका मतलब है कि आपका इस ऐक्शन पर कुछ हद तक ही कंट्रोल है। बहुत से लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि उनके लिए छींक ही उनकी समस्या बन जाती है। किसी तरह की एलर्जी या धूल-मिट्टी की वजह से अगर बार-बार छींक आने लगे तो यह परेशान करने वाली समस्या बन सकती है।
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छींक आना आमतौर पर कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसके लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़े। लेकिन यदि बार-बार छींक आने के साथ ही कई दूसरे लक्षण भी नजर आ रहे हों तो आपको डॉक्टर दिखाने की जरूरत पड़ सकती है, यह जानने के लिए कहीं आपको एलर्जी या किसी और तरह की समस्या तो नहीं हुई। हालांकि ज्यादातर मामलों में कुछ घरेलू उपचारों को अपनाकर आप बार-बार या ज्यादा छींक आने की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
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