वर्टिब्रा के ऊपर या नीचे से इंटरवर्टेब्रल डिस्क पर दबाव पड़ने की वजह से इसके टूटने या नुकसान पहुंचने को स्लिप डिस्क कहा जाता है। ये इंटरवर्टेब्रल डिस्क सुरक्षात्मक कुशन की तरह वर्टिब्रा के बीच मौजूद होते हैं और किसी भी तरह की चोट या नुकसान से इसकी रक्षा करते हैं। स्लिप डिस्क के सबसे सामान्य लक्षणों में प्रभावित हिस्से में दर्द, सुन्नपन और झनझनाहट महसूस होना है। आमतौर पर स्लिप डिस्क कमर के निचले हिस्से में होती है लेकिन ये कमर के ऊपरी हिस्से और गर्दन को भी प्रभावित कर सकती है।
स्लिप डिस्क के इलाज के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार जैसे कि स्नेहन (तेल लगाने की विधि), स्वेदन (पसीना लाने की विधि), पिझिचिल (तेल मालिश), शिरोधारा (तरल या तेल को सिर के ऊपर से डालने की विधि), नास्य (नासिका मार्ग से औषधि डालना), बस्ती (एनिमा) और धान्यामल धारा (प्रभावित हिस्से पर गर्म औषधीय तरल डालना) का इस्तेमाल किया जा सकता है। स्लिप डिस्क के इलाज के लिए कुछ जड़ी बूटियों और औषधियों जैसे कि शुंथि (सोंठ), रसना, अश्वगंधा, गुडूची, दशमूल क्वाथ, वृहत वात चिंतामणि रस और त्रयोदशांग गुग्गुल का इस्तेमाल कर सकते हैं।