सिजोफ्रेनिया घातक रोग नहीं है, लेकिन इसका इलाज काफी मुश्किल है और इसके लक्षणों की गंभीरता ज्यादा और अलग-अलग हो सकती है। सिजोफ्रेनिया के कारण किसी व्यक्ति की मौत नहीं हो सकती है, लेकिन इसके कारण इससे ग्रस्त व्यक्ति में हृदय से जुड़ी समस्या, डायबिटीज और श्वसन संबंधी बीमारी होने के जोखिम अधिक होते हैं।
सिजोफ्रेनिया की जांच के लिए कोई भी टेस्ट उपलब्ध नहीं है। इस समस्या की वजह से मरीज में कई तरह के लक्षण शारीरिक और मानसिक रूप में दिखाई दे सकते हैं, जिसकी जांच के लिए डॉक्टर उनका एमआरआई या सीटी या ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। सिजोफ्रेनिया का पता व्यक्ति के व्यवहार से चलता है। व्यक्ति में ईर्ष्या, चिंता, तनाव, डर और गुस्सा आना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इस स्थिति में आप मरीज को मनोचिकित्सक के पास ले जाएं और उसकी काउंसलिंग करवाएं एवं नियमित रूप से उनसे सलाह लेते रहें।
सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त व्यक्ति की कार्य क्षमता, मानसिक स्थिति और उनका व्यवहार सामान्य व्यक्ति से थोड़ा अलग होता है। इसलिए उनके साथ प्यार से पेश आने की जरूरत होती है। आप नेट या किसी दूसरे माध्यम से सिजोफ्रेनिया के बारे में पढ़ें। उनसे बातचीत करें और हमदर्दी से पेश आएं। उनकी बातों को सुनें और समझने की कोशिश करें, उनसे बहस न करें और अपना भी ध्यान रखें, क्योंकि ये व्यक्ति अचानक से आक्रामक हो सकते हैं। उनके साहस और उत्साह को बढ़ाने के लिए उन्हें प्यार दिखाएं और प्रोत्साहित करें। इन तरीकों से वह जल्दी अच्छे और बेहतर हो सकते हैं।
सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त व्यक्ति भी एक स्वस्थ और बेहतर जीवन जी सकता है। सिजोफ्रेनिया को स्थायी रूप से ठीक नहीं किया जा सकता, इसलिए इसके लिए नियमित रूप से उपचार लेते रहना पड़ता है। अगर सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज लंबे समय से चल रहा है और यह कंट्रोल में है, तो इससे ग्रस्त अधिकतर लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं। आप अपने भाई को मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।
सिजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्त 40 से 79 प्रतिशत लोगों में कम से कम एक बार आत्महत्या का ख्याल आता है। एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त 100,000 लोगों में से 579 लोग आत्महत्या करते हैं और इससे ग्रस्त लोगों के जीवनकाल में आत्महत्या की दर 5.6 प्रतिशत रहती है। आप अपने दोस्त को मनोचिकित्सक के पास ले जाएं और उनसे सलाह लेते रहें।
बच्चों में सिजोफ्रेनिया होना आम नहीं है। सिजोफ्रेनिया के शुरुआती लक्षण 20 साल की उम्र के बाद दिखाई देते हैं। ये लक्षण 18 साल से कम उम्र के व्यक्तियों में दिख सकते हैं, लेकिन बहुत जल्दी शुरू होने वाले सिजोफ्रेनिया के लक्षण 13 साल की उम्र के बच्चों में दिखाई देना बहुत ही दुर्लभ है। समय के साथ इसके लक्षण गंभीर और अलग-अलग हो सकते हैं जो बढ़ते हैं और ठीक भी हो सकते हैं।
एक नए अध्ययन ने मस्तिष्क में कार्य करने वाले पैटर्न का पता लगाया है जो सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त लोगों में याद्दाश्त से जुड़ी समस्या का संकेत देता है। जबकि सिजोफ्रेनिया की वजह से आमतौर पर मतिभ्रम और भ्रम जैसी समस्याएं होती हैं। इससे ग्रस्त कई लोगों में संज्ञानात्मक क्षति हो सकती है, जिसमें याद्दाश्त कमजोर होना भी शामिल है।