चोट (घाव) के निशान का मतलब ऐसे धब्बों से है, जो अक्सर घाव भरने के बाद त्वचा पर दिखाई देते हैं। इस स्थिति को स्कार नाम से भी जाना जाता है। यह निशान कटने, खुरचने या जलने के घाव ठीक होने के बाद बनते हैं।

स्कारिंग उपचार प्रक्रिया का एक स्वाभाविक हिस्सा है। यानी जब भी त्वचा पर चोट लगती है, तो शरीर कोलेजन नामक एक प्रोटीन जारी करता है। यह कोलेजन वहां बनता है जहां ऊतकों को नुकसान पहुंचता है। यह प्रोटीन घाव को भरने में मदद करता है। जब चोट (घाव) के निशान ताजा होते हैं, तो रक्त के प्रवाह में वृद्धि होने के कारण यह निशान लाल या गुलाबी रंग के दिखाई दे सकते हैं। हालांकि, यह रंग धीरे-धीरे फीका पड़ने लगता है और समय के साथ निशान हल्का हो जाता है। लेकिन यह पूरी तरह से गायब नहीं होता है। इन निशानों की उपस्थिति घाव के आकार, इसके स्थान और गंभीरता जैसे कई अलग-अलग कारकों पर निर्भर करती है।

यह स्कार विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। जब यह निशान एक लाइन के रूप में होते हैं तो कट जैसे किसी मामूली घाव का परिणाम हो सकते हैं। यह दिखने में लाल, उभरी हुई रेखा के रूप में होते हैं। एक लाइन के रूप में दिखने वाले यह निशान किसी सर्जरी का भी परिणाम हो सकते हैं। हालांकि, इनमें दर्द नहीं होता है। लेकिन कुछ मामलों में हल्की खुजली की समस्या हो सकती है।

एक केलॉइड स्कार तब होता है जब घाव वाली जगह पर कोलेजन का उत्पादन अत्यधिक हो जाता है इसलिए घाव ठीक होने के बाद भी निशान बढ़ता रहता है। केलॉइड स्कार त्वचा के ऊपर दिखाई देते हैं और जब यह ताजे या नए होते हैं तो यह लाल या बैंगनी रंग के उभार के रूप में दिखाई देते हैं। बाद में इनका रंग पीला हो सकता है। यदि यह स्कार या निशान किसी जोड़ के पास है तो गतिविधि करने में दिक्कत और दर्द भी हो सकता है।

हाइपरट्रॉफिक स्कार भी तब होता है, जब चोट वाली जगह पर कोलेजन का उत्पादन अत्यधिक होता है, लेकिन इसमें कोलेजन का उत्पादन केलॉइड स्कार जितना नहीं होता है। यह निशान घाव के ठीक होने के बाद नहीं बढ़ते हैं और एक-दो साल में इनका उभार खत्म हो जाता है।

पिटेड या संकन स्कार त्वचा की किसी स्थिति जैसे मुंहासे या चिकनपॉक्स की विशेषता हो सकती है। यह निशान या स्कार दर्दनाक नहीं होते हैं और न ही तो यह इनका आकार बढ़ता है, लेकिन इन्हें आसानी से नोटिस किया जा सकता है। यह अक्सर जलने की वजह से होता है। स्ट्रेच मार्क भी स्कार का ही एक रूप या प्रकार है जो त्वचा के फटने के परिणामस्वरूप होता है। यह निशान अक्सर गर्भावस्था और यौवन के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण बनते हैं।

पारंपरिक रूप से, स्कार बिना सर्जरी के हल्के नहीं पड़ते हैं। हालांकि, स्टेरॉयड इंजेक्शन के माध्यम से स्कार के आकार को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

होम्योपैथी को बड़े स्तर पर वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में अपनाया गया है। यह न केवल रोग के लक्षणों को ठीक कर सकता है, बल्कि यह समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकता है। यह दवाइयां गैर-विषैली और साइड इफेक्ट्स से मुक्त होती हैं। बशर्ते इन्हें किसी योग्य होम्योपैथी चिकित्सक के दिशानिर्देशों के अनुसार लिया जाए।

एक अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर किसी मरीज को उपाय बताने से पहले उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति के साथ-साथ व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री (मरीज व उसके परिवार के सदस्यों में विकारों एवं बीमारियों का रिकॉर्ड) को भी ध्यान में रखते हैं।

स्कारिंग के मामले में कई होम्योपैथिक उपचार मौजूद हैं, जिन्हें उचित समय से यदि शुरू कर दिया जाए, तो यह स्कार को कम करने में मदद कर सकते हैं। बेलाडोना, सिलिकिया और ग्रेफाइट जैसे उपचार निशान को कम करने में प्रभावी हैं।

  1. स्कार के लिए होम्योपैथिक दवाएं - Scars ki homeopathic medicine
  2. होम्योपैथी के अनुसार स्कार होने पर आहार और जीवन शैली में बदलाव - Scars ke liye khanpan aur jeevan shaili me badlav
  3. स्कार के लिए होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं - Scars ki homeopathic medicine kitni effective hai
  4. स्कार ​के लिए होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Scar ke liye homeopathic treatment se jude tips
चोट के निशान हटाने की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

बर्बेरिस एक्विफोलियम
सामान्य नाम :
माउंटेन ग्रेप
लक्षण : बर्बेरिस एक्विफोलियम का उपयोग पारंपरिक रूप से क्रोनिक सिफलिस (उपदंश) और क्रोनिक स्किन कंडीशन (त्वचा से संबंधित कोई पुराना विकार या स्थिति) के इलाज के लिए किया जाता है, यह उपाय चेहरे पर फुंसियों के उपचार के लिए अत्यधिक प्रभावी है। यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक कर सकता है :

  • खोपड़ी पर फुंसी होना जो गर्दन और चेहरे तक फैल सकता है
  • सोरायसिस
  • खुजली
  • सूखी, पपड़ीदार और खुरदरी त्वचा
  • ड्राई एक्जिमा (त्वचा विकार)
  • चेहरे पर पिंपल्स के दाग और धब्बे

बेलाडोना
सामान्य नाम :
डेडली नाइटशेड
लक्षण : बेलाडोना त्वचा की समस्याओं के लिए एक शानदार उपाय है। यह निम्नलिखित लक्षणों को कम करने में मदद करता है :

  • संवेदनशील और शुष्क त्वचा
  • त्वचा जो छूने पर गर्म महसूस होती है
  • मवाद से भरा घाव
  • त्वचा में फुंसी जो फैलने लगती है
  • फोड़े
  • मुंहासे
  • लसिका ग्रंथियों में सूजन
  • त्वचा में लालिमा व कभी-कभी पीलापन
  • सूजन के बाद त्वचा का सख्त होना

प्रभावित हिस्से को छूने पर लक्षण बदतर हो जाते हैं।

सोरिनम
सामान्य नाम :
स्केबीज वेजिकल
लक्षण : यह उपाय मुख्य रूप से त्वचा के लक्षणों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है जैसे :
सूखी और निर्जलित त्वचा जो बेजान दिखती है

  • तैलीय त्वचा
  • माथे पर और नाक की नोक पर खुजली
  • खोपड़ी पर फुंसी
  • माथे पर मुंहासे
  • तेज व असहनीय खुजली
  • लसिका ग्रंथियों का बढ़ना
  • कान के पीछे एक्जिमा की समस्या
  • त्वचा पर छाले जो बहुत धीरे-धीरे ठीक होते हैं
  • रोजेशिया (एक त्वचा विकार)
  • थकावट होने पर यूरिकेरिया
  • जलन के साथ आंखों के नीचे चकत्ते

यह लक्षण मौसम बदलने और जब मरीज कॉफी का सेवन करता है तब बिगड़ जाते हैं, जबकि गर्मी में इनमें सुधार होता है।

कैली ब्रोमैटम
सामान्य नाम :
ब्रोमाइड ऑफ पोटाश
लक्षण : कैली ब्रोमैटम मुख्य रूप से सोरायसिस के प्रबंधन के लिए इस्तेमाल की जाती है। हालांकि, यह निम्नलिखित लक्षणों का इलाज करने में भी मदद करता है :

  • ठंडी और नीली दिखाई देने वाली त्वचा
  • पैरों में एक्जिमा
  • त्वचा पर फुंसियां, जिसमें मवाद होता है
  • त्वचा पर उभार वाले लाल चकत्ते
  • टांगों पर गुलाबी रंग की फुंसियां
  • त्वचा पर फोड़े और चकत्ते
  • त्वचा में खुजली, खासकार छाती, चेहरे और कंधे पर
  • चेहरे पर तेज लालिमा

मर्क्यूरिस सॉल्यूबिलिस
सामान्य नाम :
क्विकसिल्वर
लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के उपचार में सहायक है :
अत्यधिक पसीना, जो रात में स्थिति और खराब करता है, लेकिन कोई राहत नहीं मिलती है

  • त्वचा में खुजली की समस्या, जो गर्मी से खराब हो जाती है
  • त्वचा पर फुंसियां, जिनमें मवाद भरा होता है और चारों ओर दाने होते हैं
  • त्वचा जो लगातार नम लगती है
  • त्वचा पर पीली-भूरी पपड़ी
  • त्वचा पर अनियमित रूप से छाले पड़ना
  • पीला और फूला हुआ चेहरा

यह लक्षण नम मौसम में और रात के समय में खराब हो सकते हैं।

सिलिकिया
सामान्य नाम :
सिलिका
लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के प्रबंधन के लिए किया जाता है :

  • नाजुक और मोमी दिखने वाली त्वचा
  • त्वचा में फोड़े-फुंसी
  • स्कार जो अचानक दर्दनाक हो जाते हैं
  • हल्के घावों में भी मवाद बन जाना
  • उंगलियों का अगला हिस्सा सूख जाना
  • दिन और शाम के दौरान त्वचा पर फुंसियां होना, जिनमें खुजली होती है
  • त्वचा पर केलोइड्स (त्वचा पर उभरा हुआ स्कार)
  • होंठ के पास त्वचा का फटना
  • त्वचा पर फोड़े और अल्सर
  • ठुड्डी पर फटना

यह लक्षण ठंड के कारण खराब हो जाते हैं और गर्मी और नम मौसम में बेहतर हो जाते हैं।

ग्रेफाइट्स
सामान्य नाम :
ग्रेफाइट
लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित त्वचा लक्षणों को दूर करने में मददगार हो सकता है :

  • कठोर और अस्वस्थ त्वचा
  • त्वचा पर लगातार शुष्क चकत्ते
  • मुंहासे
  • त्वचा पर केलोइड का विकास होना
  • त्वचा पर मवाद वाली फुंसियां होना
  • फाइब्रोमास का गठन
  • त्वचा पर छाले, जिसमें से पतला और चिपचिपा तरल बाहर निकलता है
  • लसिका ग्रंथियों में सूजन

यह लक्षण गर्मी, रात में और मासिक धर्म के बाद बदतर हो जाते हैं। घाव को लपेटने से इनमें सुधार होता है।

कैलकेरिया फ्लोरिका
सामान्य नाम :
फ्लोराइड ऑफ लाइम
लक्षण : कैलकेरिया फ्लोरिका निम्नलिखित लक्षणों से राहत दिलाने में मददगार हो सकता है :

  • त्वचा पर मवाद वाली फुंसियां
  • त्वचा पर सफेद चकत्ते दिखाई देना
  • बहुत सारे स्कार दिखाई देना
  • हाथों की हथेलियों में दरारें
  • फटी हुई त्वचा
  • त्वचा में छाला व सूजन और आसपास के हिस्से का रंग बदल जाना
  • त्वचा पर छाले, जिसमें से पतला और चिपचिपा तरल बाहर निकलता है और जल्दी ठीक नहीं होता है
  • जोड़ों के स्नायुबंधन और कंडरा के ऊपर त्वचा का सख्त होना

यह लक्षण मौसम में बदलाव से बदतर हो सकते हैं और गर्म सिकाई से बेहतर हो जाते हैं।

थिओसिनेमियम
सामान्य नाम :
रोडालिन
लक्षण : इस उपचार का उपयोग निम्नलिखित लक्षणों को ठीक करने के लिए किया जाता है :

  • स्कार टिश्यू
  • ल्यूपस (एक आटोइम्यून डिसीज यानी प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित रोग है जिसमें इम्यून सिस्टम स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंचाने लगती हैं)
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होम्योपैथिक दवाएं सुरक्षित और प्रभावी हैं और व्यापक रूप से कई बीमारियों और लक्षणों के उपचार के लिए उपयोग की जाती हैं। हालांकि, होम्योपैथी डॉक्टर जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करने की सिफारिश करते हैं, ताकि मरीज को इस उपचार का सर्वोत्तम लाभ मिल सके और किसी भी तरह का बाहरी कारक इन उपचारों के कामकाज में हस्तक्षेप न कर सके। डॉक्टर द्वारा सुझाए गए बदलावों से होम्योपैथिक उपचार के असर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और समग्र स्वास्थ्य को ठीक करने में मदद मिलती है।

क्या करना चाहिए

  • व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें और सुनिश्चित करें कि आपका परिवेश भी साफ सुथरा रहे।
  • प्रोसेस्ड फूड की जगह स्वस्थ खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करें, जिनमें भरपूर पोषक तत्व हों।
  • शरीर का पॉश्चर अच्छा बनाए रहें
  • योग या जॉगिंग जैसे नियमित हल्के व्यायामों में संलग्न रहें और एक सक्रिय जीवन शैली जिएं।
  • हवादार और आरामदायक कपड़े पहनें।

क्या नहीं करना चाहिए

  • होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करते समय कॉफी और चाय जैसे पेय पदार्थों का सेवन न करें या न्यूनतम कर दें।
  • शराब का सेवन न करें, क्योंकि यह होम्योपैथिक दवाओं के असर को बाधित कर सकता है
  • नमक और चीनी की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों से भी बचना चाहिए।
  • इत्र और रूम फ्रेशनर से बचें।
  • एयर कंडीशनिंग या रूम हीटर जैसे कृत्रिम (जो प्राकृतिक न हों) तापमान नियंत्रण उपकरणों का उपयोग करने से बचना चाहिए।

शरीर में उपचार प्रक्रिया होने के बाद स्कार होना स्वाभाविक है। हालांकि, कई बार यह निशान या स्कार स्थायी भी हो सकते हैं, खासकर यदि वे 2 साल में कम नहीं हुए हैं।

स्कार की स्थिति में जितनी जल्दी हो सके होम्यापैथी उपचार की शुरुआत कर देनी चाहिए, क्योंकि उचित समय तक उपचार अपनाने से ही दाग, निशान या स्कार को कम करने में मदद मिल सकती है।

होम्योपैथिक उपचार संभवतः निशान को कम कर सकते हैं और विशेष रूप से डार्क स्किन पर निशान के इलाज में सहायक होते हैं। शोध अध्ययन बताते हैं कि होम्योपैथिक उपचार विशेष रूप से मुंहासे के निशान को कम करने और अंतर्निहित कारकों को खत्म करने में मददगार हो सकते हैं जो त्वचा में जलन और मुंहासे पैदा करते हैं।

भारत में किए गए एक प्लेसबो-नियंत्रित अध्ययन में पाया गया कि होम्योपैथिक दवाओं की मौखिक खुराक मुंहासे को कम करने में मदद कर सकती है। अध्ययन में 100 रोगियों को शामिल किया गया था, जिन्हें पहले सप्ताह के लिए प्रति दिन एक खुराक (4 गोलियां) दी गई थीं और फिर हर 15 दिनों में एक खुराक दी गई थी। एक साल के भीतर 90 से अधिक रोगियों को मुंहासे से राहत मिली।

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वैसे तो होम्योपैथी ट्रीटमेंट से अधिकांश निशान हल्के पड़ जाते हैं और समय के साथ ज्यादा ध्यान देने पर ही नाम मात्र ही दिखाई देते हैं। केलॉइड स्कार जैसे बड़े निशान को हटाने के लिए सर्जरी की मदद लेनी पड़ सकती है।

होम्योपैथी उन व्यक्तियों के लिए एक बेहतर समाधान है जो सर्जरी या अन्य पारंपरिक तरीकों जैसे स्टेरॉयड इंजेक्शन का विकल्प नहीं चुनना चाहते हैं। होम्योपैथिक उपचार का कोई साइड इफेक्ट या दुष्प्रभाव नहीं है और यह स्कार को कम करने में प्रभावी भी पाए गए हैं।

Dr. Neha Taori

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Dr. Anmol Sharma

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Dr.Gunjan Rai

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संदर्भ

  1. National Health Service [internet]. UK; Scars
  2. Nwabudike Lawrence Chukwudi. Homeopathy in the therapy of acne in juveniles. CEDH Annual Conference, Prague. 2015 November.
  3. Shraddhamayananda Swami. An observation on successful treatment of acne scar with homeopathic medicine. International Journal of Biopharmaceutics. 2015; 6(1): 27-31.
  4. Arya Bhopal Singh, Siddiqui V.A.Siddiqui,Bhalerao Rupali. Treatment of post‑burn hypertrophic scar with homoeopathic medicine. The Indian Journal of Research in Homeopathy. 2013; 7.
  5. William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
  6. National Center for Homeopathy [Internet]. Mount Laurel. NJ (U.S.A.); Materia Medica & Repertory Database
  7. British Homeopathic Association [Internet]. UK.; Is homeopathy safe?

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