शिशु टीकाकरण में रोटावायरस टीके को भी शामिल किया जाता है। रोटावायरस एक तरह का वायरस होता है और यह वायरस बच्चों में फैलने की संभावनाएं बेहद अधिक होती है। रोटावायरस की वजह से शिशु में दस्त की समस्या होती है। इतना ही नहीं रोटावायरस के कारण बच्चे को गंभीर दस्त और निर्जलीकरण के साथ ही उल्टी और बुखार भी हो जाता है। इस वायरस से बचाव के लिए ही बच्चों को रोटावायरस टीका (वैक्सीन) दी जाती है।

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रोटावायरस की गंभीरता और उससे होने वाली समस्याओं के चलते ही इस लेख में आपको रोटावायरस वैक्सीन के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें रोटावायरस वैक्सीन क्या है, रोटावायरस वैक्सीन की खुराक, रोटावायरस वैक्सीन के फायदे, रोटावायरस टीके के साइड इफेक्ट और रोटावायरस वैक्सीन किसे नहीं देनी चाहिए आदि विषयों को भी विस्तार से बताया गया है।

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  1. रोटावायरस वैक्सीन क्या है और फायदे - Rotavirus vaccine kya hai aur fayde
  2. रोटावायरस वैक्सीन की खुराक और उम्र - Rotavirus vaccine ki khurak aur umar
  3. रोटावायरस वैक्सीन की कीमत - Rotavirus vaccine ki kimat
  4. रोटावायरस वैक्सीन के साइड इफेक्ट - Rotavirus vaccine ke side effect
  5. रोटावायरस वैक्सीन किन बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए - Rotavirus vaccine kin baccho ko nahi de jani chahiye
  6. रोटावायरस वैक्सीन से होने वाले जोखिम कारक - Rotavirus vaccine se hone vale jokhim karak
  7. सारांश
रोटावायरस टीका के डॉक्टर

रोटवायरस के टीके को समझने से पहले आपको रोटावायरस के बारे में जानना होगा। रोटावायरस दुनियाभर के शिशुओं और बच्चों में दस्त होने का एक आम कारण होता है। इसके कारण बच्चे को आंतों का संक्रमण गैस्ट्रोएन्टराइटिस (gastroenteritis) हो जाता है। यह संक्रमण आंतों की अंदरूनी परत को क्षति पहुंचाता है, जिसकी वजह से खाने के पोषक तत्व शरीर में अवशोषित नहीं हो पाते हैं।

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दुनियाभर के बच्चों में यह गंभीर दस्त की मुख्य वजह होता है, इस वायरस की चपेट में आने से करीब 20 लाख बच्चे अस्पताल में भर्ती होते हैं, जबकि 5 साल से कम आयु के करीब 5 लाख बच्चों की हर साल इस वायरस की वजह से मृत्यु हो जाती है। बड़े बच्चे और व्यस्क भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं लेकिन इनका संक्रमण गंभीर नहीं होता है।

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रोटावायरस एक संक्रामक रोग होता है। इसके रोगाणु संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद होते है और लंबे समय तक जीवित रहते हैं। जब बच्चा किसी गंदी जगह या चीज को छूकर अपने हाथों को अपने मुंह में डाल लेता है, तो इससे यह रोगाणु बच्चे को भी संक्रमण की चपेट में ले लेते हैं। रोटावायरस के संक्रमण की एक बच्चे से दूसरे में फैलने की संभावना मुख्य रूप से अस्पतालों व क्रेच या डे-केयर (जहां पर बच्चे दिन में कुछ समय के लिए रहते हैं) में काफी अधिक होती है।

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रोटावायरस से संक्रमित होने पर बच्चे में बुखार, जी मिचलाना, उल्टी, पेट के निचले हिस्से में दर्द और बार-बार पतले दस्त के लक्षण हो सकते हैं। यह समस्या करीब आठ दिनों तक चलती है। अगर बच्चे को अधिक दस्त हों, तो इसकी वजह से उसके शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है। इसके कारण बच्चे को कई बार अस्पताल में भर्ती भी करना पड़ता है। यहां तक कि कुछ मामलो में तो इस संक्रमण के कारण बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है।

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इस वारयस से बचाव के लिए बच्चों को रोटावायरस का टीका दिया जाता है। यह वैक्सीन बच्चे को पोलियो की दवा की तरह पिलाई जाती है और यही इस वैक्सीन का मुख्य फायदा होता है। भारत में निम्न चार तरह की रोटावायरस वैक्सीन मिलती है।  

  • रोटावैक ओरल वैक्सीन (Rotavac Oral Vaccine)
  • रोटारिक्स ओरल वैक्सीन (Rotarix Oral Vaccine)
  • रोटाटेक ओरल वैक्सीन (RotaTeq Oral Vaccine)
  • रोटास्योर ओरल वैक्सीन (Rotasure  Oral Vaccine)

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रोटावायरस वैक्सीन के ब्रांड के आधार पर उसकी खुराक को निर्धारित किया जाता है। बच्चे को पिलाई जाने वाली इस दवा की कुछ ब्रांड की कम, तो कुछ की अधिक खुराक दी जाती है। किस दवा को दो बार या तीन बार देना है इसका निर्णय डॉक्टर करते हैं।

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रोटावायरस वैक्सीन की खुराक कितनी उम्र में दी जाती है, इस बारे में जानें-

  • पहली खुराक – शिशु के 2 महीने का होने पर, 
  • दूसरी खुराक – शिशु के 4 महीने का होने पर, 
  • तीसरी खुराक – शिशु के 6 महीने का होने पर (यदि बेहद आवश्यक हो)

सामान्यतः शिशु को 15 सप्ताह का होने तक रोटावायरस वैक्सीन की पहली खुराक दी जाती है, जबकि शिशु के 8 महीनों का होने से पहले उसको रोटावायरस वैक्सीन की अंतिम खुराक दे देनी चाहिए। अन्य टीकों के साथ भी रोटावायरस वैक्सीन को दिया जा सकता है, ऐसे करने से शिशु को किसी प्रकार का खतरा नहीं होता है। 

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रोटावायरस से बचाव के लिए शिशु टीकाकरण में रोटावायरस वैक्सीन को भी शामिल किया जाता है। भारत में इस वैक्सीन के चार ब्रांड मिलते हैं और इन सभी की कीमत करीब 650 से 1650 के बीच है। रोटावाटरस वैक्सीन के ब्रांड और कीमत को निम्नतः चार्ट के माध्यम से जानें -  

ब्रांड    कीमत
रोटावैक ओरल वैक्सीन (Rotavac Oral Vaccine)   689
रोटारिक्स ओरल वैक्सीन (Rotarix Oral Vaccine)  1613
रोटाटेक ओरल वैक्सीन (RotaTeq Oral Vaccine) 1050
रोटास्योर ओरल वैक्सीन (Rotasure  Oral Vaccine)  729

किसी भी वैक्सीन के साथ रोटावायरस वैक्सीन गंभीर एलर्जीक प्रतिक्रियाएं कर सकती है। वैसे सामान्य मामलों में रोटावायरस वैक्सीन से साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। लेकिन यदि किसी बच्चे को इससे दुष्प्रभाव हो भी जाए, तो वह बेहद ही हल्के और कुछ ही दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। फिलहाल, इससे होने वाले साइड इफेक्ट के लक्षणों को विस्तार से जानें:

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जब बच्चे को रोटावायरस वैक्सीन की पिछली खुराक से गंभीर एलर्जी हो तो ऐसे में वैक्सीन की अन्य खुराक नहीं देनी चाहिए। साथ ही कुछ विशेष तरह के लक्षण होने पर आपको अपने बच्चे को रोटावायरस वैक्सीन नहीं देनी चाहिए या डॉक्टर की सलाह के बाद ही देनी चाहिए। निम्न स्थिति में रोटावायरस वैक्सीन को देने से बचें-

  • वैक्सीन के किसी तत्व से गंभीर एलर्जी होना
  • कंबाइंड इम्युनोडेफिसियेंसी डिस्आर्डर (combined immunodeficiency disorder) – जन्म से होने वाला विकार जो बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है
  • एचआईवी या अन्य रोग जिसकी वजह से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गयी हो
  • किसी बीमारी के इलाज में स्टेरॉइड दवाइयों का इस्तेमाल किया गया हो
  • कैंसर या कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरपी या रेडिएशन थैरेपी से इम्युनिटी कमजोर हो गयी हो

कुछ स्थितियों में डॉक्टर बच्चे को रोटावायरस वैकसीन देने की सलाह देते हैं।  

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रोटावायरस वैक्सीन से बच्चे को जोखिम भी होते हैं। इस वैक्सीन से बच्चे को इंटुस्सुसेप्शन (Intussusception : आंतों की परत अंदर की ओर फोल्ड हो जाना) का खतरा होता है। यह एक गंभीर समस्या होती है। इसमें आंतों में रूकावट आ जाती है और जिसको ऑपरेशन के बाद ठीक किया जाता है। रोटावायरस से बच्चे को इंटुस्सुसेप्शन होने का खतरा बेहद कम होता है।

इंटुस्सुसेप्शन होने पर बच्चे के पेट मे तेज दर्द होता है और वह रोता रहता है। प्रारंभिक अवस्था में इसके लक्षण कुछ मिनट के लिए होते हैं जो बाद में एक घंटे तक भी हो सकते हैं। ऐसा होने पर शिशु अपने पैर तेजी से हिलाते हुए रोता है। साथ ही इस स्थिति में बच्चे को कई बार उल्टियां, मल में खून आना, कमजोरी होना व चिड़चिड़ापन आदि समस्या होने लगती है। सामान्यतः ऐसे लक्षण रोटावायरस वैक्सीन की पहली और दूसरी खुराक के बाद होते हैं, इसके अलावा दवा लेने के बाद किसी भी समय आप बच्चे में इस तरह के लक्षण को देख सकती हैं। रोटावायरस वैक्सीन लेने के बाद इंटुस्सुसेप्शन और गंभीर एलर्जी होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। 

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रोटावायरस टीका शिशुओं में रोटावायरस संक्रमण से बचाव के लिए एक प्रभावी उपाय है। यह संक्रमण मुख्य रूप से डायरिया, उल्टी, बुखार और डिहाइड्रेशन का कारण बनता है, जो गंभीर स्थिति में मृत्यु का कारण भी बन सकता है। यह टीका बच्चों को शुरुआती महीनों में ही दिया जाता है, जिससे उनके शरीर में संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। आमतौर पर रोटावायरस टीके के दो या तीन डोज़ दिए जाते हैं, जो जन्म के बाद 6 से 24 सप्ताह के भीतर पूरे किए जाते हैं। यह टीका सुरक्षित और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित है, जो बच्चों के स्वास्थ्य को सुधारने और डायरिया से होने वाली मौतों को कम करने में मदद करता है।

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