रोटवायरस के टीके को समझने से पहले आपको रोटावायरस के बारे में जानना होगा। रोटावायरस दुनियाभर के शिशुओं और बच्चों में दस्त होने का एक आम कारण होता है। इसके कारण बच्चे को आंतों का संक्रमण गैस्ट्रोएन्टराइटिस (gastroenteritis) हो जाता है। यह संक्रमण आंतों की अंदरूनी परत को क्षति पहुंचाता है, जिसकी वजह से खाने के पोषक तत्व शरीर में अवशोषित नहीं हो पाते हैं।
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दुनियाभर के बच्चों में यह गंभीर दस्त की मुख्य वजह होता है, इस वायरस की चपेट में आने से करीब 20 लाख बच्चे अस्पताल में भर्ती होते हैं, जबकि 5 साल से कम आयु के करीब 5 लाख बच्चों की हर साल इस वायरस की वजह से मृत्यु हो जाती है। बड़े बच्चे और व्यस्क भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं लेकिन इनका संक्रमण गंभीर नहीं होता है।
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रोटावायरस एक संक्रामक रोग होता है। इसके रोगाणु संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद होते है और लंबे समय तक जीवित रहते हैं। जब बच्चा किसी गंदी जगह या चीज को छूकर अपने हाथों को अपने मुंह में डाल लेता है, तो इससे यह रोगाणु बच्चे को भी संक्रमण की चपेट में ले लेते हैं। रोटावायरस के संक्रमण की एक बच्चे से दूसरे में फैलने की संभावना मुख्य रूप से अस्पतालों व क्रेच या डे-केयर (जहां पर बच्चे दिन में कुछ समय के लिए रहते हैं) में काफी अधिक होती है।
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रोटावायरस से संक्रमित होने पर बच्चे में बुखार, जी मिचलाना, उल्टी, पेट के निचले हिस्से में दर्द और बार-बार पतले दस्त के लक्षण हो सकते हैं। यह समस्या करीब आठ दिनों तक चलती है। अगर बच्चे को अधिक दस्त हों, तो इसकी वजह से उसके शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है। इसके कारण बच्चे को कई बार अस्पताल में भर्ती भी करना पड़ता है। यहां तक कि कुछ मामलो में तो इस संक्रमण के कारण बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है।
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इस वारयस से बचाव के लिए बच्चों को रोटावायरस का टीका दिया जाता है। यह वैक्सीन बच्चे को पोलियो की दवा की तरह पिलाई जाती है और यही इस वैक्सीन का मुख्य फायदा होता है। भारत में निम्न चार तरह की रोटावायरस वैक्सीन मिलती है।
- रोटावैक ओरल वैक्सीन (Rotavac Oral Vaccine)
- रोटारिक्स ओरल वैक्सीन (Rotarix Oral Vaccine)
- रोटाटेक ओरल वैक्सीन (RotaTeq Oral Vaccine)
- रोटास्योर ओरल वैक्सीन (Rotasure Oral Vaccine)
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