जब बात त्वचा से जुड़ी बीमारियों की होती है, तो सिद्ध चिकित्सा पद्धति के जरिए इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। इतना ही नहीं आयुर्वेद की ही तरह सिद्ध के भी कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं और इलाज की यह पद्धति ज्यादा खर्चीली भी नहीं है। सोरायसिस को हिंदी में छाल रोग और तमिल भाषा में कलनजगापदई कहते हैं। सोरायसिस, स्किन से जुड़ी बीमारी है जिसमें स्किन पर लाल, परतदार चकत्ते नजर आने लगते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर कोहनी के बाहरी हिस्से और घुटने पर देखने को मिलता है, लेकिन यह चर्म रोग स्किन के किसी भी हिस्से पर हो सकता है। कुछ लोगों को सोरायसिस के चलते त्वचा पर जलन भी होती है और खुजली भी।
आज इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे कि कैसे सिद्ध चिकित्सा के जरिए सोरायसिस को ठीक किया जा सकता है -
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