पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक स्थिति है, जिसमें महिलाओं के सेक्स हार्मोंस एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का संतुलन बिगड़ जाता है। यह मासिक धर्म, प्रजनन क्षमता और हृदय की क्रियाओं को भी प्रभावित कर सकता है। यह परेशानी मुख्य रूप से 15 से 30 वर्ष की उम्र की महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। भारत में लगभग 10 फीसदी महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं। यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो नीचे बताए गए आसन को दिनचर्या में शामिल करें। 

  1. पीसीओएस के लिए कौन से योगासन करें?
  2. सारांश

तितली आसन

पीसीओएस में बटरफ्लाई पोज यानी तितली आसन (बटरफ्लाई पोज) बहुत मददगार हो सकता है।

  • सबसे पहले पैर सामने की ओर सीधे करके जमीन या मैट पर बैठ जाइए। रीढ़ की हड्डी सीधी रखिए।
  • अब दोनों हाथो से जितना संभव हो सके पैर को अंदर की तरफ मोड़ें। इस मुद्रा में पैर के तलवे आपस में छूने चाहिए और एड़ी को जननांगों के करीब रखने की कोशिश करें।
  • अब आप दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें और धीमे-धीमे फर्श की ओर दबाएं व वापिस ऊपर लाएं। कुछ सेकेंड के बाद आप गति को बढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से किसी तितली के पंख की तरह आपके पैर ऊपर-नीचे होंगे। 
  • यह पीसीओएस को नियंत्रित करने के साथ शरीर को रिलैक्स करता है। 
  • यदि आपने कभी योग नहीं किया है तो कुशन पर बैठकर योगासन कर सकते हैं।

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भरद्वाजासन विधि

यह एक बैठकर किया जाने वाला 'स्पाइनल ट्विस्ट' है जो पीसीओएस के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है।

  • जमीन पर बैठ जाएं और अपने पैर सामने की ओर सीधे रखें।
  • अब बाएं पैर को बाईं ओर मोड़ें ताकि आपके शरीर का भार दाएं कूल्हे पर आ जाए। 
  • अब अपने दाएं पैर की एड़ी को बाएं पैर की जांघ पर रखें। 
  • गहरी लंबी सांस लें और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें, अब सांस छोड़ें और कमर से ऊपरी भाग को दाएं तरफ मोड़ें, ध्यान रहे इस मुद्रा में झुकना नहीं है। 
  • रीढ़ को सीधा रखने के लिए आप अपने बाएं हाथ से दाएं पैर के घुटने को पकड़ कर होल्ड कर सकते हैं। 
  • अपना सिर बाईं ओर मोड़कर अपने बाएं कंधे के ऊपर से देखें और इस अवस्था में थोड़ी देर रहें।
  • धीरे-धीरे सांस छोड़ें और सामान्य अवस्था में आ आएं।
  • अब इसी क्रिया को विपरीत दिशा में करें। 

शवासन

शवासन से शरीर को आराम मिलता है और तनाव दूर होता है।

  • पीठ के बल लेट जाएं। इस दौरान हाथ शरीर से जरा-सा दूर रहेंगे और हथेलियां ऊपर छत की ओर रहेंगी। 
  • दोनों पैरो में करीब दो फुट का फासला कर लें और शरीर को एकदम ढीला रखें।
  • आंखें बंद रखिए ताकि आप रिलैक्स महसूस करें।आंखें बंद कर के शरीर और दिमाग को आराम देना है।
  • कोशिश करें कि आपकी श्वास शांत और धीमी रहे। इस अवस्था में 5 से 10 मिनट तक रहें।
  • शवासन से बाहर निकालने के लिए धीमे से पैरों और हाथों की उंगलियों को हिलाना शुरू करें, फिर कलाइयों को घुमाएं। 
  • अब हाथ ऊपर उठाकर पूरे शरीर को स्ट्रेच करें और धीरे से उठ कर बैठ जाएं।

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चक्की चलासन

यह एक सरल व्यायाम है। यह लिवर, गुर्दे, अग्नाशय, गर्भाशय और प्रजनन अंगों को स्वस्थ रखता है।

  • दोनों हाथ व पैरों को सामने की ओर करके बैठ जाएं। पैरों को (V) आकार में फैलाकर रखें।
  • हाथों की ऊंचाई कंधे के बराबर होनी चाहिए और हाथ के पंजे आपस में फंसे होने चाहिए, जैसे चक्की का हैंडल पकड़ते समय होते हैं।
  • लंबी गहरी सांस लेते हुए एक गोलाकार अवस्था में अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को पहले दाईं से बाईं (5 से 10 राउंड) व थोड़ी देर बाद बाईं से दाईं (5 से 10 राउंड) तरफ घुमाते रहें।
  • इस मुद्रा में आगे की ओर जाते समय सांस लें और पीछे आते समय सांस छोड़ें।

यदि आप पीसीओएस या इसके किसी भी लक्षण से ग्रस्त हैं, तो हो सकता है कि आप कभी-कभी निराश और दुखी महसूस करें। ऐसे में उपरोक्त योगासनों से न केवल आपको पीसीओएस को ठीक करने में मदद मिलेगी बल्कि आपने मूड भी अच्छा रहेगा।

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पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) के लिए योगासन एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय माना जाता है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। योगासन हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में सहायक होते हैं, जिससे पीसीओएस के लक्षण जैसे अनियमित मासिक धर्म, वजन बढ़ना, और तनाव कम करने में मदद मिलती है। नियमित योग अभ्यास से शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित होता है। योगासन तनाव और चिंता को भी कम करते हैं, जो पीसीओएस को बढ़ाने वाले प्रमुख कारक होते हैं। सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, और भद्रासन जैसे आसन विशेष रूप से पीसीओएस में लाभकारी होते हैं, क्योंकि ये शरीर के मेटाबॉलिज़्म को सुधारते हैं और प्रजनन अंगों को सक्रिय करते हैं। योग से मानसिक शांति भी मिलती है, जो समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।

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