बलगम चिकना, पतला, ठंडा और मुलायम पदार्थ होता है जो शरीर की रक्षा एवं मुख्य गुहाओं के आंतरिक अंग को चिकनाई देने के लिए शरीर द्वारा ही उत्पन्न किया जाता है। गाढ़े और ज्यादा चिकने कफ को बलगम कहा जाता है। एलर्जी, संक्रमण, धूम्रपान और फेफड़ों से संबंधित रोग जैसे विभिन्न कारणों की वजह से बलगम बनता है। पेट में भोजन के जमने और जीईआरडी (पेट में मौजूद तत्वों का भोजन नली में वापिस आना) की वजह से भी अधिक कफ या बलगम बन सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कफ दोष के खराब होने पर बलगम की समस्या होती है। आयुर्वेद में शरीर से बलगम निकालने के लिए पंचकर्म थेरेपी द्वारा वच, खदिरा और वासा जैसी जड़ी बूटियों से वमन (औषधियों से उल्टी करवाने की विधि) कर्म की सलाह दी जाती है। बलगम को कम करने में पिपल्यादि क्वाथ और शत्यादि लेह के आयुर्वेदिक मिश्रण उपयोगी हैं।
हल्के भोजन का सेवन एवं ठंडे तथा बासी भोजन से दूर रहकर बलगम की समस्या को कम किया जा सकता है। धूम्रपान के कारण सांस से संबंधित समस्याओं का खतरा रहता है जिनमें बलगम ज्यादा बनता है इसलिए धूम्रपान को छोड़कर अपनी जीवनशैली में अच्छी आदतों को अपनाना चाहिए।
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