इंग्लैंड की शेफील्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया ड्रग तैयार किया है, जो कैंसर के उन प्रकारों से पीड़ित मरीजों का जीवनकाल बढ़ा और बेहतर कर सकता है, जिनका इलाज मेडिकल साइंस में आज भी मुश्किल माना जाता है, जैसे अग्नाशय कैंसर और रिलैप्स (फिर से बना) ब्रेस्ट कैंसर। ये वैज्ञानिक यूनिवर्सिटी से जुड़ी एक कंपनी मॉड्यूलस ऑनकोलॉजी और कुछ बायोटेक उद्यमियों के साथ मिलकर इस ड्रग का तेजी से क्लिनिकल ट्रायल कराने की कोशिश कर रहे हैं।
खबर के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने एड्रिनोमेड्युलिन नामक एक ऐसे हार्मोन की जांच-पड़ताल की है, जो ब्लड प्रेशर और शरीर की अन्य प्रमुख व बड़ी प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने का काम करता है। लेकिन यही हार्मोन कैंसर को फैलने और बढ़ाने में भी सहयोग करता है। वैज्ञानिकों ने इस हार्मोन को टार्गेट करने वाला ड्रग तैयार किया है, जिसका नाम 'एड्रिनोमेड्युलिन-2 रिसेप्टर एंटेगॉनिस्ट्स' रखा गया है। शोधकर्ताओं ने इस नए ड्रग मॉलिक्यूल को एड्रिनोमेड्युलिन हार्मोन के खिलाफ इस तरह इस्तेमाल करने का तरीका ढूंढा है, जिससे हार्मोन कैंसरकारी कोशिकाओं से संपर्क नहीं कर पाता। खास बात यह है कि ऐसा करते हुए ड्रग हार्मोन की ब्लड प्रेशर और अन्य वाइटल प्रोसेस को रेग्युलेट करने की क्षमता को प्रभावित नहीं करता।
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अध्ययन से जुड़े परिणाम एसीएस फार्माकोलॉजी एंड ट्रांसलेशनल साइंस नामक मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चूहों पर आधारित मॉडल के तहत किए गए ट्रायलों में नए ड्रग मॉलिक्यूल अग्नाशय के कैंसर के इलाज में प्रभावी पाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि तमाम तरह के कैंसर में अग्नाशय यानी पैनक्रिएटिक कैंसर में पीड़ित के जीवित बचने की उम्मीद सबसे कम होती है। जानकारों के मुताबिक, इस कैंसर से पीड़ित केवल सात प्रतिशत लोग ही डायग्नॉसिस के बाद पांच साल तक जीवित रह पाते हैं। ज्यादातर मरीजों की उससे पहले मौत हो जाती है।
इसी सिलसिले में शेफील्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम स्केरी और उनकी टीम कई इंडस्ट्रियल वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस महत्वपूर्ण रिसर्च पर पिछले 12 सालों से काम कर रहे हैं। कैंसर पीड़ितों का जीवनकाल बढ़ाने वाले इस ड्रग की खोज को लेकर टिम का कहना है, 'इस नई थेरेपी का सबसे असाधारण पहलू यह तथ्य है कि एड्रिनोमेड्युलिन हार्मोन प्राकृतिक रूप से बनता है। इसके दो प्रकार के रिसेप्टर होते हैं। एक हमारे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और दूसरा कैंसर कोशिकाओं के आपसी और होस्ट सेल के संपर्क के बीच अपनी भूमिका निभाता है। इससे कैंसर बढ़ता और फैलता है।'
प्रोफेसर टिम ने आगे कहा, 'हमने (मॉलिक्यूल का) ऐसा अनोखा पीस तैयार किया है जो (एड्रिनोमेड्युलिन के) एक रिसेप्टर से आने वाले सिग्नलों को ब्लॉक करने का काम करेगा, लेकिन दूसरे रिसेप्टर को सामान्य रूप से कार्य करने देगा। इस तरह हम कैंसरकारी कोशिकाओं से हार्मोन का संपर्क ब्लॉक कर इसकी सप्लाई उन तक नहीं पहुंचने दे रहे, जिसकी वजह से वे (कैंसर सेल) बढ़ती हैं। इसका मतलब है कि ट्यूमर उतनी तेजी से विकसित नहीं होंगे, जितना की वे इन रीसोर्सज से होते हैं। इससे शरीर के बाकी हिस्सों में फैलना उनके लिए मुश्किल हो जाता है।'
प्रोफेसर टिम बताते हैं कि अग्नाशय कैंसर के ट्यूमर काफी ज्यादा आक्रामक होते हैं और उनका इलाज मुश्किल होता है। वे जिस जगह पर बनते हैं, वहां से वे आसानी से लिवर और आमाशय जैसे दूसरे अंगों तक पहुंच जाते हैं। उनकी मानें तो पैनक्रिएटिक कैंसर के ट्यूमर को मौजूदा दवाओं से ठीक करना मुश्किल है। उन्होंने कहा, 'हमें यकीन है कि एड्रिनोमेड्यूलिन-2 रिसेप्टर से अग्नाशय के कैंसर के मरीजों को कई लाभ मिलते हैं। पिछले 30 सालों से ज्यादा समय से ज्यादातर कैंसरों के डायग्नॉसिस और ट्रीटमेंट में कई तरह के सुधार हुए हैं, जिससे कई लोगों को इस बीमारी से पीड़ित होते हुए भी जीवित रहने में अभूतपूर्व सहायता मिली है। लेकिन अग्नाशय के कैंसर के इलाज से जुड़े विकास और मरीजों में हुए सुधार के बावजूद जीवनकाल को बढ़ाने में बहुत मामूली मदद मिल पाई है। ऐसे कैंसर अभी भी हैं, जिनका इलाज आसान नहीं है और उनके समाधान के लिए और शोध करने की आश्यकता है।'
लेकिन अब नए ड्रग मॉलिक्यूल से कैंसर के इलाज को लेकर नई उम्मीद बंधी है। चूहों पर यह ड्रग प्रभावी साबित हुआ है। उनमें ट्यूमर को बढ़ने से इस मॉलिक्यूल ने रोक दिया, जिससे कैंसर पीड़ितों का जीवनकाल बढ़ने की संभावना पैदा हुई है। जानकारों ने उम्मीद जताई है कि यह ड्रग केवल अग्नाशय कैंसर ही नहीं, बल्कि ऐसे अन्य कैंसरों के खिलाफ भी काम का साबित हो सकता है, जिनका इलाज हो पाना खासा मुश्किल माना जाता है। इनमें रिलैप्स ब्रेस्ट कैंसर और लंग कैंसर शामिल हैं।
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