ऐसे कुछ लक्षण हैं, जिन्हें कुछ आहार परिवर्तनों द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है। यहां हम उन लक्षणों और उनके समाधानों का उल्लेख कर रहे हैं :
अपना वजन नियंत्रित रखें
वजन का कम होना और वजन का बढ़ना, दोनों ही मल्टीपल स्केलेरोसिस वाले रोगियों के लिए एक समस्या हो सकते हैं, लेकिन इसे कस्टमाइज्ड डाइट प्लान के साथ नियंत्रित किया जा सकता है। आपके आहार विशेषज्ञ/डायटीशियन आपकी उम्र, लम्बाई, वजन, गतिविधि एवं लक्षणों के अनुसार डाइट लेने में मदद कर सकते हैं। किन्तु अपने आप किस प्रकार अपने वजन को ठीक रखें, आइए इसके बारे में जानते हैं :
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वजन का कम होना
इस दौरान वजन का कम होना, शरीर में कुपोषण एवं कमजोरी को बढ़ावा दे सकता है। जिस कारण से, थकान, मांसपेशियों में ऐंठन या कमजोरी जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं। कई कारण हैं, जो कि मल्टीपल स्केलेरोसिस से ग्रसित व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुरूप, सामान्य मात्रा में नहीं खा पाते हैं। इस दौरान शरीर के पोस्चर में परिवर्तन, निगलने में परेशानी, थकान और कंपकंपी की समस्या बढ़ जाने के कारण भी भोजन की तैयार करना, भोजन के लिए खरीदारी करना या भोजन करना भी अधिक कठिन कार्य हो जाता है।
इस दौरान भूख भी प्रभावित होने लगती है, जिसका मुख्य कारण तनाव, चिंता और अवसाद के साथ-साथ कुछ दवाएं भी हो सकती हैं। इन स्थितियों में, ऊर्जा से भरपूर और सभी पोषक तत्व युक्त भोजन जैसे दलिया, सैंडविच, मिल्कशेक, चिक्की, मेवे के लड्डू, नट्स, ग्रिल्ड पनीर आदि को शामिल करने का प्रयास करें।
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वजन का बढ़ना
आमतौर पर शारीरिक रूप से फिट एवं स्वस्थ लोग मल्टीपल स्केलेरोसिस के लक्षणों को आसानी से मैनेज कर पाते हैं। लेकिन इस रोग के दौरान शारीरिक निष्क्रियता बहुत ज्यादा देखी जाती है, जो कि वजन बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक है। ऐसे में उचित व्यायाम और एक स्वस्थ, संतुलित आहार आपको स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। इनके अलावा कुछ अन्य सुझाव भी हैं, उदाहरण के लिए, दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, कुछ लोग अपने ऊर्जा स्तर को ठीक बनाए रखने के लिए फलों के रस या ज्यादा मात्रा में शुगर वाले पेय पदार्थ लेने लगते हैं, उनकी जगह पानी या कम चीनी वाले विकल्प चुने जैसे कि सादा नींबू पानी, छाछ आदि। अच्छी मात्रा में फाइबर का सेवन भी वजन कम करने में लाभकारी साबित होता है।
इस दौरान तनाव और चिंता के समय कभी-कभी अन्हेल्थी स्नैकिंग भी देखी जाती है। यदि आप अपने आपको अच्छा महसूस कराने के लिए बहुत अधिक मात्रा में जंक फूड एवं पैकेट वाले स्नैक्स ले रहे हैं तो हो सकता है कि आपको अवसाद की समस्या हो रही हो, ऐसे में अपने डॉक्टर से एक बार अवश्य चर्चा कर लें।
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मूत्राशय संबंधी समस्याएं
इस बीमारी के दौरान मूत्राशय संबंधी समस्याएं बहुत आम हैं। मूत्राशय की समस्या वाले लोगों को अक्सर अपने पानी का सेवन कम करते देखा जाता है। हालांकि, इस आदत से आपके मूत्र का रंग गहरा हो सकता है, जिससे मूत्राशय में जलन एवं यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के आसार बढ़ जाते हैं। आमतौर पर प्रतिदिन छह से आठ गिलास पानी पीने की सलाह दी जाती है। कैफीन और शराब के सेवन से बचें, क्योंकि ये शरीर में निर्जलीकरण और मूत्राशय में जलन का कारण बनते हैं।
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कब्ज की समस्या
इस दौरान कब्ज की समस्या भी काफी सामान्य तौर पर देखी जाती है, ऐसे में डाइट में कुछ आवश्यक बदलाव करके इसपर नियंत्रण पाया जा सकता है।
पानी की उचित मात्रा एवं नियमित रूप से सेवन, कब्ज की शिकायत को दूर करके, मल त्याग करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा अपने आहार में अघुलनशील फाइबर से भरपूर आहार लेने की कोशिश करें। इस फाइबर को हमारा शरीर पचा नहीं पाता एवं मल की मात्रा को ठीक करके शरीर से अच्छे से निकलने में मदद करता है, साथ ही साथ शरीर से अन्य खाद्य एवं विषाक्त पदार्थों को भी निकलने में मदद करता है। अपनी डाइट में इस फाइबर को लेने के लिए, भरपूर मात्रा में फल और सब्जियां जैसे कि संतरा, अमरूद, अंजीर, पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज, आदि का सेवन कर सकते हैं।
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निगलने में कठिनाई
निगलने में कठिनाई या डिस्फेजिया रोगी के लिए एक तनावपूर्ण लक्षण होता है, खासकर अगर इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाए तो। लेकिन आपके खाने की आदतों या आहार का संशोधन करके इस समस्या को प्रबंधित किया जा सकता है, जैसे कि :
- अगर चबाना मुश्किल है, तो सख्त या सूखे भोजन जैसे बिस्कुट, रस्क, आदि लेने से बचें।
- ऐसे में एक बार में, ज्यादा मात्रा में भोजन लेना एक समस्या हो सकती है, तो कोशिश करके छोटे-छोटे और लगातार भोजन लेने की कोशिश करें।
- हाई कैलोरी से भरपूर पेय पदार्थों का सेवन आपको कम समय में पर्याप्त कैलोरी लेने में मदद कर सकते हैं, इसके लिए दूध, फल और मेवे का उपयोग करके मिल्कशेक बनाकर लेने की कोशिश करें। (और पढ़ें - पेय पदार्थ के लाभ)
- खाना खाते समय आपके बैठने की स्थिति में बदलाव से भी निगलने में आसानी हो सकती है। ऐसे में पीठ को सीधा करके भोजन ग्रहण करने की कोशिश करें।
- चबाना एवं निगलना कठिन हो तो, खाने को अच्छे से गलाकर एवं मसल कर लेने का प्रयास करें। इसके लिए कांटा, चम्मच एवं ब्लेंडर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- कुछ लोगों के लिए एक बार में ज्यादा पानी पीना कठिन हो जाता है, ऐसे में पूरे दिन घूंट-घूंट करके पानी पिएं जिससे की शरीर में डिहाइड्रेशन की प्रक्रिया को रोका जा सके।
यदि मुंह खोलने, खाने, चबाने एवं निगलने में कठिनाई के कारण, कम भोजन ले पा रहे है और वजन भी कम होता जा रहा है, तो ऐसे में न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट काफी फायदेमंद हो सकते हैं। अपने डॉक्टर से सलाह लेकर, अपने शरीर की आवश्यकता के अनुरूप सप्लीमेंट का चयन कर सकते हैं।
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थकान महसूस होना
इस रोग के दौरान जिन लोगों को थकान महसूस होती रहती है, उनके लिए ज्यादा मात्रा में एवं गर्म भोजन लेना काफी मुश्किल साबित होता है। इसलिए छोटे-छोटे अंतराल पर स्नैक्स जैसे आहार लेना एक उत्तम विकल्प साबित होता है। ऐसे में प्रोटीन का सेवन यदि पूरे दिन किया जाए तो शरीर में ऊर्जा की मात्रा एक सी बनी रहती है (जैसे कि नाश्ते में अंडा या दूध, लंच में दाल या चिकन, शाम में अंकुरित दालें, रात में पनीर का सेवन कर सकते हैं) और ज्यादा शक्कर युक्त आहार एवं पेय पदार्थ थोड़े समय के बाद थकान का कारण बन जाते हैं।
इस रोग के दौरान, निर्जलीकरण/डिहाइड्रेशन भी थकान का एक कारण बन सकता है, इसलिए प्रतिदिन कम से कम छह से आठ गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें। साथ ही डाइट में चाय, कॉफी, कोला एवं अन्य कैफीन युक्त पदार्थों के सेवन से बचें, क्योंकि इनसे भी डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
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हड्डियां कमजोर होना
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां नाजुक हो जाती हैं और टूटने का खतरा बढ़ जाता है। मल्टीपल स्केलेरोसिस के दौरान कई कारक ऐसे हैं, जो ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा सकते हैं जैसे कि :
- स्टेरॉयड का ज्यादा मात्रा में उपयोग
- व्यायाम की कमी
- शारीरिक रूप से सक्रिय न होना
- गर्मी की संवेदनशीलता या थकान के कारण धूप में ना बैठना, जिस कारण विटामिन डी की कमी होना
इस जोखिम को कम करने के लिए, डाइट में विटामिन डी और कैल्शियम दोनों का अच्छा स्तर बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये दोनों हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। विटामिन डी के अच्छे स्रोतों में फैटी मछली, यकृत और अंडे की जर्दी आदि शामिल हैं।
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दूध और दूध से बनी चीजें, अंडा, हरी पत्तेदार सब्जियां, कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं, इनका आप नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं। यदि आप लैक्टोज इन्टॉलरेंट हैं तो विटामिन डी एवं कैल्शियम फोर्टिफिकेशन युक्त सोया उत्पादों और फलों के जूस आदि का सेवन कर सकते हैं।
कंपकंपी की समस्या
ट्रेमर यानी कंपकपी आपकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं या खाने के लिए आपकी इच्छा को प्रभावित कर सकती है। लगातार झटके शरीर में इकट्ठा कैलोरी/ऊर्जा का उपयोग कर लेते हैं, जिससे कमजोरी के आसार बढ़ जाते हैं, इसलिए भोजन के बीच अच्छी मात्रा ऊर्जा वाले स्नैक्स एवं ड्रिंक्स का सेवन करें। ऐसे में डाइट वजन घटाने या होने वाली थकान को कंट्रोल में रखने के लिए मददगार साबित हो सकती है। यदि कंपकंपी की समस्या चीजों को पकड़ने या मुंह तक पहुंचाने में भी दिक्कत पैदा कर रही है, तो आसानी से खाई जाने वाली डाइट चुनें, जैसे पराठा की जगह सैंडविच, दलिया की जगह मिल्कशेक (सिप्पर या स्ट्रॉ की मदद से) आदि। आप विशेष रूप से डिजाइन किए गए बर्तनों का भी उपयोग कर सकते हैं।
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