डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी से दुनियाभर में लोग पीड़ित हैं। दी इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुमानित आंकड़ों की मानें तो भारत में साल 2035 तक डायबिटीज के कुल 10 करोड़ 9 लाख मामले सामने आने की आशंका है। जिसमें अधिकतर लोग 45 वर्ष से कम उम्र के होंगे।

आज भी भारत में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले डायबिटीज के आंकड़े कई गुना अधिक हैं। इस समय 6 करोड़ से भी अधिक भारतीय डायबिटीज का शिकार हैं, जिसमें देश के युवाओं का औसत 7.2 फीसदी है।

लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करने और उन्हें डायबिटीज व हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए वैज्ञानिक और डॉक्टर कई नए शोध करते हैं, जिनकी मदद से इलाज की तकनीक को और भी बेहतर किया जा सके। ऐसा ही दी यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया सैन डिएगो हेल्थ पायलट ग्रेंट ने डायबिटीज के मरीजों को इसके लक्षणों को कम करने के उपायों के बारे में स्टडी कर के बताया।

इस शोध में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया के माइकल जे. विल्किंसन मुख्य ऑथर थे जिनकी मदद सॉल्क इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल स्टडीज के भारतीय डॉक्टर सच्चिदानंद पांडा ने की है। 

क्या कहती है स्टडी?
स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो व्यक्ति मेटाबोलिक सिंड्रोम से ग्रस्त होते हैं उनमें डायबिटीज और हृदय रोग का जोखिम अधिक होता है। फिलहाल इस स्थिति का इलाज केवल वजन घटाने और जीवनशैली से जुड़े बदलावों को अपनाने से ही किया जा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक कुछ नए व्यवहारिक बदलावों की आवश्यकता है। टैन-ऑवर टाइम-रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग (टीआरई) को अपनाने से व्यक्ति अपने रोजाना खानपान को यदि 10 घंटों के अंदर खा ले, तो उसके शरीर को 14 घंटे दुरुस्त होने के लिए मिल जाते हैं।

स्टडी में शोधकर्ताओं ने इस बात की जांच की कि क्या मेडिकल केयर के साथ टीआरई को 12 हफ्तों के लिए अपनाने से मेटाबोलिक सिंड्रोम के इलाज को बेहतर किया जा सकता है या नहीं। इसमें ब्लड प्रेशर को कम करने और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने जैसी मेडिकल केयर शामिल थीं।

परिणाम स्वरूप टीआरई के जरिए निम्न स्वास्थ्य संबंधित लाभ देखे गए 

  • वजन में कमी
  • कमर से चर्बी कम होने के साथ शरीर का स्वस्थ होना
  • ब्लड प्रेशर कम होना
  • हृदय संबंधी रोगों के जोखिम में कमी आना
  • खराब कोलेस्ट्रॉल में सुधार आना
  • आरामदायक नींद प्राप्त होना

मेटाबोलिक सिंड्रोम से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए टीआरई एक प्रभावशाली आहार संबंधी बदलाव और इलाज में मददगार साबित हो सकता है।

मेटाबोलिक सिंड्रोम के अन्य इलाज
यह सिंड्रोम कई रोगों जैसे डायबिटीज, हृदय रोग और स्ट्रोक का एक समूह होता है। इसमें ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और शरीर के अंगों खासतौर से कमर के आस-पास चर्बी बढ़ने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इस स्थिति का सबसे बेहतर इलाज जीवनशैली में बदलाव लाना होता है, जैसे कि :

डॉक्टर या जिम ट्रेनर की सलाह के अनुसार व्यायाम करें, जैसे स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, सूर्य नमस्कार, रोजाना दौड़ लगाना, जुम्बा,  तैराकी और डांस जैसी गतिविधियों को अपनी आदत बनाना।

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कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए संतुलित आहार अपनाएं, जैसे- सैचुरेटे और अनसैचुरेटेड फैट, फल, लीन प्रोटीन, बीन्स, साबुत अनाज। इसके अलावा शोध के अनुसार अपने दिनभर के सभी भोजन का 10 घंटे के भीतर सेवन कर लें, ताकि आपके शरीर को उसे पचाने व दुरुस्त रहने के लिए लंबा समय मिल सके।

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