शारीरिक और मानसिक रूप से स्‍वस्‍थ रहने के लिए योग एक असरकारी तरीका है। इसमें कई तरह के आसनों और मूवमेंटों से मिलकर असरकारी ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज आती हैं। भारत में सदियों से योग क्रियाएं चलती आ रही हैं। समय के साथ दुनियाभर के कई हिस्‍सों में योग की मदद से लोगों ने एक नई जीवनशैली को अपनाया है।

किसी भी तरह की एक्‍सरसाइज से शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार आता है। योग आसन करने से शरीर और दिमाग में संतुलन आता है। यह मानसिक थकान और स्‍ट्रेस को दूर करता है और आपकी एकाग्रता एवं ध्‍यान लगाने की क्षमता को भी बढ़ाता है।

हाई बीपी से लेकर पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसी कई बीमारियों के लक्षणों को योग से ठीक किया जा सकता है। कई अध्‍ययनों में सामने आया है कि योग से डिप्रेशन और कई अन्‍य मानसिक समस्‍याओं के लक्षणों को ठीक किया जा सकता है।

पूरी दुनिया करोड़ों सालों से मानसिक बीमारियों से जूझ रही है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की मानें तो हर चार में से एक इंसान किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी या नसों के विकार से अपनी जिंदगी में कभी न कभी ग्रस्‍त होता है।

भारत में लगभग 7.5 पर्सेंट लोग किसी न किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्‍त हैं और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार विश्‍व स्‍तर पर भारत मानसिक, नसों से संबंधित विकार और किसी लत को लेकर 15 प्रतिशत का हिस्‍सा रखता है।

  1. मूवमेंट वाले योगासन करने का प्रभाव
  2. मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए योग

दक्षिण ऑस्‍ट्रेलिया ने ब्र‍िटिश जरनल ऑफ स्‍पोर्ट्स मेडिसिन में 'इफेक्‍ट्स ऑफ योगा ऑन डिप्रेसिव सिंपटम्‍स इन पीपल विद मेंटल डिस्‍ऑडर्र' के नाम से साल 2020 में 5 अप्रैल को एक स्‍टडी प्रकाशित हुई थी। मानसिक विकारों से ग्रस्‍त लोगों में डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में योग असरकारी है या नहीं, यह जानने के लिए की गई थी।

इस स्‍टडी के लिए शोधकर्ताओं ने मूवमेंट पर आधारित योग को इस रूप में बताया कि इसमें किसी भी तरह से कम से कम आधे घंटे तक शरीर को सक्रिय रखना होता है।

इस रिसर्च में 6 देशों जैसे कि भारत, अमेरिका, जापान, जर्मनी और स्‍वीडन से 1,080 प्रति‍भागियों को शामिल किया गया था। ये लोग पहले से ही एंग्‍जायटी और डिप्रेशन जैसे मानसिक विकारों से ग्रस्‍त थे। इस स्‍टडी में प्रतिभागियों को मूवमेंट पर आधारित योगासन करने के लिए कहा गया था। मेडिटेशन, ब्रीदिंग तकनीकें या इससे मिलती-जुलती मूवमेंट को रिसर्च का हिस्‍सा नहीं रखा गया था क्‍योंकि इससे पहले की स्‍टडी में इन्‍हें शामिल करने पर मिलेजुले परिणाम आए थे।

क्‍या आया परिणाम

योगासन शरीर में तनाव को कम करने के लिए जाना जाता है, इससे मांसपेशियों और टेंडनों को राहत मिलती है और पोस्‍चर ठीक रहता है। योग से मानसिक बीमारियों के लक्षणों में कमी आती है और नई रिसर्च में भी इसी बात की पुष्टि हुई है। इस रिसर्च में 19 अध्‍ययनों को शामिल किया गया था और डिप्रेशन, एंग्‍जायटी, सिजोफ्रेनिया, पोस्ट-ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर और शराब की लत जैसे मानसिक विकरों से ग्रस्‍त लोगों को लिया।

स्‍टडी के परिणाम में आया कि योग सभी तरह के विकारों के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। जिन मरीजों ने योग किया, उन्‍हें दवा से इलाज का इंतजार कर रहे मरीजों की तुलना में बेहतर महसूस हुआ। इस स्‍टडी में यह भी पाया गया कि डिप्रेशन और अन्‍य विकारों में हर हफ्ते ज्‍यादा योग करने से लक्षणों से बड़ी राहत मिली। एक सत्र या सेशन में घंटों की संख्या को ध्यान में नहीं रखा गया था। हालांकि, शोधकर्ताओं के अनुसार, एक सप्ताह के दौरान कितनी जल्‍दी-जल्‍दी सेशन लिए गए, इससे फर्क पड़ा।

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कोरोना के दौरान यह रिसर्च की गई थी। इस संक्रामक बीमारी की वजह से लोग घर में बंद होने को मजबूर हो गए थे। इस दौरान बड़ी संख्‍या में लोग अकेलेपन से ग्रस्‍त हो गए थे। कोरोना की शुरुआत में लोगों की जिंदगी में कई बड़े बदलाव आए और लोगों को इस महामारी के दौरान एंग्‍जायटी से भी गुजरना पड़ा।

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी इस तरह की भावनाओं से निपटने के लिए कुछ आसान योगासन बताए थे।

यहां कुछ योगासन बताए गए हैं जो स्‍ट्रेस और मानसिक थकान को कम करने में मदद कर सकते हैं।

प्राणायाम जैसे कि अनुलोम विलोम, कपालभाति प्राणायाम और अन्‍य डीप ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज करने की कोशिश करें।

अगर आपने पहले कभी ये मूवमेंट नहीं की है तो निर्देशों का पालन करें और अगर हो सके तो योगा ट्रेनर, मैनुअल और वीडियो की मदद लें। यदि आप किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या से ग्रस्‍त हैं तो शरीर के किसी एक हिस्‍से पर प्रेशर डालने की बजाय हमेशा डॉक्‍टर से बात करें।

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