शुरुआत में भूख का असर धीरे-धीरे महसूस होता है, शरीर खाने की कमी के साथ जूझने की कोशिश करता है लेकिन धीरे-धीरे और थोड़ी देर में हार जाता है।
भूख लगने के पहले 6 घंटे
भूख लगने के पहले 6 घंटे में शरीर खाने के बिना भी नॉर्मल रहता है क्योंकि यह ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में तोड़ता है और जब शरीर की कोशिकाओं को इसकी जरूरत पड़ती है, तब ऐसा करता है।
हालांकि, एनर्जी का लगभग 25 पर्सेंट ग्लाइकोजन से बनता है जिसे मस्तिष्क द्वारा इस्तेमाल किया जाता है जबकि बाकी की मांसपेशीय ऊतक और लाल रक्त कोशिकाएं आराम पर चली जाती हैं।
6 घंटे के बाद स्टोर किया गया ग्लाइकोजन खत्म हो जाता है और शरीर के पास एनर्जी बनाने का कोई रास्ता नहीं होता है, इसलिए आपको भूख महसूस होने लगती है।
6 से 71 घंटे के अंदर
छठे घंटे से अगले 72 घंटों में, बॉडी कीटोसिस के स्टेज में रहता है जहां शरीर व्रत रखने के लिए खुश को तैयार करने की कोशिश करता है। चूंकि, इस समय शरीर में ग्लूकोज बहुत कम बचता है इसलिए बॉडी पहले से मौजूद फैट से एनर्जी बनाने लगता है।
हालांकि, फैट लॉन्ग-चेन फैटी एसिडों में टूटता है जो मस्तिष्क द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। मस्तिष्क लॉन्ग-चेन फैटी एसिडों को घुसने की अनुमति नहीं देता है।
जब शरीर में कोई ग्लूकोज नहीं बचता है और फैट ब्लड ब्रेन बैरियर को पार करने के लिए बहुत बड़े हो जाते हैं, मस्तिष्क खुद की मरम्मम करना शुरू कर देता है। इसलिए एनर्जी पाने के लिए मस्तिष्क कीटोन बॉडीज का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। चूंकि, कीटोंस मस्तिश्क की 75 पर्सेंट जरूरत को ही पूरा कर सकता है, मस्तिष्क ग्लूकोज की मांग करने लगता है। ग्लूकोज न होने पर दिमाग की बौद्धिक क्षमता बिगड़ने लगती है।
72 घंटों के बाद
भूख लगने के 72 घंटों के बाद मस्तिष्क प्रोटीन को तोड़ना शुरू कर देता है क्योंकि अब सिर्फ कीटोंस पर जिंदा नहीं रहा जा सकता है। शरीर प्रोटीन को एमीनो एसिडों में तोड़ने लगता है जो बाद में ग्लूकोज में बदल जाता है ताकि मस्तिष्क की ग्लूकोज की जरूरत को पूरा किया जा सके।
हालांकि, प्रोटीन को तोड़ने की प्रक्रिया में शरीर अपने ही मसल मास को खत्म करना शुरू कर देता है। इस समय बॉडी फैट की कमी दिखने लगती है। महिलाओं में मसल मास के टूटने से मासिक चक्र बंद हो सकता है।
इसके बाद अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि बोन डेंसिटी खत्म होना, बदन दर्द और लिबिडो कम होना शुरू हो जाता है।
खाना खाए बिना, शरीर में सभी विटामिनों और पोषक तत्वों की कमी होने लगती है जिससे अगले एक से दो हफ्तों में शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इम्यूनिटी कमजोर होने पर शरीर सभी तरह की बीमारियों की चपेट में आ सकता है और कुछ चीजें जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।
दो हफ्ते के बाद
अगर कोई इंसान दो हफ्ते तक भूखा रह भी ले और फिर भी कुछ न खाए, तो शरीर सारे ग्लूकागोन, फैट, टिश्यू और मसल मास के खत्म होने तक एनर्जी के सभी स्रोतों का पूरा इस्तेमाल करता है। अगर भूखा इंसान अब भी कुछ न खाए तो वो मर सकता है।
तीसरे हफ्ते के बाद भूखा इंसान आमतौर पर कार्डियक एरिदमिया या हार्ट, डायफ्राम और शरीर में ऊतकों के घटने की वजह से हार्ट अटैक का शिकार हो सकता है। इन्हें मल्टीपल ऑर्गन फेलियर तक हो सकता है। एनोरेक्सिया नर्वोसा से ग्रस्त व्यक्ति में भी यह चीजें देखी जा सकती हैं। यह भोजन संबंधी विकार है जिसमें व्यक्ति का वजन बहुत कम हो जाता है।