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पशुओं पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि कुपोषण की वजह से ब्रेन वॉल्यूम (मस्तिष्क का संतुलित आकार), न्यूरॉन्स की मात्रा (विद्युत-रासायनिक संकेतों के माध्यम से मस्तिष्क में सूचनाओं का आदान-प्रदान), सिनेप्स (तंत्रिका और मांसपेशिओं के बीच संबंध बनाता है), डेन्ड्राइट (कोशिकाओं को एक्टिव करने के लिए संकेत प्राप्त करता है) और प्रतिक्रिया क्षेत्र में कमी आ सकती है। तेजी से हो रहे मस्तिष्क के विकास पर कुपोषण का बुरा प्रभाव पड़ता है। इस समय मस्तिष्क कमजोर हो जाता है।
दुनिया के लगभग एक-तिहाई लोग ऐसे हैं जो मोटे हैं या उनका वजन अधिक है। कुपोषण का एक रूप अतिपोषण भी है। जब कोई व्यक्ति आहार में ऊर्जा, प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्व अधिक या असंतुलित मात्रा में लेता है, तो वह मोटा हो सकता है।
अगर कोई इंसान गंभीर भुखमरी से ग्रस्त है, तो उसमें कुपोषण के लक्षण 35 से 40 दिनों के अंदर दिखने लगते हैं और लगभग 45 से 61 दिनों के बाद उसकी मृत्यु हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य बहुत अच्छा है, तो पानी से कुपोषित रहने की वजह से वह सिर्फ सात दिनों के अंदर ही मर सकता है।
बालों के झड़ने की समस्या महिला और पुरुष दोनों में हो सकती है जो कि किसी भी उम्र से हो सकती है। यह समस्या ठीक तरह से डाइट न लेने, अस्वस्थ खाद्य पदार्थ और खराब पौष्टिक आहार लेने की वजह से हो सकती है। बालों का झड़ना और कुपोषण को अक्सर एक साथ नहीं देखा गया है, लेकिन बालों का झड़ना एक गंभीर मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का संकेत देता है।
कुपोषण के सामान्य लक्षणों में थकान, चिड़चिड़ापन, हड्डी या जोड़ों में दर्द, धीमी गति से घाव भरना और संक्रमण का बढ़ना शामिल हैं। कुपोषण वाले लोगों में जोड़ों में दर्द विटामिन की कमी के कारण हो सकता है।
कुपोषण डिमेंशिया के किसी भी स्टेज पर हो सकता है। कुपोषण से मासिक स्वास्थ भी प्रभावित होता है। डिमेंशिया से कुपोषित मरीजों के परिवार वालों ने बताया कि इसके साथ उन्हें किसी अन्य तरह की समस्या नहीं थी, जैसे भूख कम लगना या वजन कम होना है।
कैंसर से ग्रस्त मरीजों में खराब पोषण, वजन घटना और कुपोषण जैसी स्थित बहुत आम है। इन पोषणों की कमी से मरीजों में रोगों की संख्या और मृत्यु दर अधिक बढ़ जाती है। कई मामलों में ये कैंसर कैचेक्सिया भी बन सकते हैं। कैचेक्सिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमे तेजी से वजन और मांसपेशियां घट जाती हैं। यह किसी गंभीर स्थिति का लक्षण जैसे कैंसर, किडनी से जुड़ी दीर्घकालीन समस्या, एचआईवी और मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एक ऐसी बीमारी, जिसमें इम्यून सिस्टम तंत्रिकाओं के सुरक्षा कवच को खा जाती है)।
कुपोषण डायबिटीज के कई प्रकार को प्रभावित कर सकता है। कुपोषण या प्रोटीन की कमी से डायबिटीज भी हो सकता है। एमआरडीएम (कुपोषण से संबंधित मधुमेह) एक दुर्लभ प्रकार का मधुमेह है जो दीर्घकालिक कुपोषण से जुड़ा है। इस प्रकार का मधुमेह इंसुलिनोपेनिया, इंसुलिन रेसिस्टेंस (प्रतिरोध), हाइपरग्लाइसीमिया (हाई ब्लड शुगर) और अग्न्याशय में बीटा-कोशिकाओं की विफलता के कारण होता है।
कैचेक्सिया और कुपोषण कई घातक और गैर घातक रोगों के लिए गंभीर जटिलताएं बनाता है, जैसे क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव (फेफड़े से संबंधित बीमारियों का एक समूह जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है), फेफड़े की बीमारी, गंभीर किडनी रोग और हार्ट फेल होने की गंभीर स्थिति। कुपोषण हृदय विफलता की समस्या में मांसपेशियों, वसा और बोन मास (हड्डी के द्रव्यमान) को नुकसान पहुंचाता है। कैचेक्सिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें तेजी से वजन और मांसपेशियां घट जाती हैं। यह किसी गंभीर स्थिति का लक्षण जैसे कैंसर, किडनी से जुड़ी दीर्घकालीन समस्या, एचआईवी और मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एक ऐसी बीमारी जिसमें इम्यून सिस्टम तंत्रिकाओं के सुरक्षा कवच को खा जाती है) होता है।