ऑफर - Urjas Oil सिर्फ ₹ 1 में X
लिवर सिरोसिस की बीमारी के दौरान, कुछ सामान्य लक्षण देखे जाते हैं जैसे- भूख न लगना, मतली आना, शरीर में ऊर्जा कम महसूस होना, पैरों और पेट के आसपास पानी इकठ्ठा होना आदि। इन लक्षणों के कारण व्यक्ति ठीक प्रकार से खा नहीं पाता और इस कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। खराब डाइट और खराब लिवर फंक्शन के कारण कुपोषण, हड्डियां कमजोर होना, मसल्स कमजोर होना (बाजु, कंधे, छाती और पीठ के आसपास) जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। अच्छा और पौष्टिक भोजन आपके लिवर फंक्शन के साथ-साथ लिवर सिरोसिस की स्थिति को भी ठीक करने में मदद करता है। लिहाजा अपनी डाइट में कुछ बदलाव करना जरूरी है जैसे -
जैसा कि हमने ऊपर की पंक्तियों में बताया है लिवर सिरोसिस के दौरान पेट और पैरों के आसपास पानी का संग्रहण हो जाता है, जिसका मुख्य कारण सोडियम की अधिकता है। इसी कारण से अपने रोज के आहार में नमक की मात्रा कम करने की आवश्यकता होती है। इसको नियंत्रित रखने के लिए खाने में ऊपर से नमक लेने से परहेज करें। साथ ही सोडियम युक्त वस्तुओं से भी परहेज करें जैसे कि अचार, पापड़, प्रोसेस्ड फूड (रेडी टू ईट भोजन, ब्रेकफास्ट सीरियल, चीज, कैन्ड फल और सब्जियां, बेकरी प्रोडक्ट, बीकन, सॉसेज, सलामी, जैम, जेली, केक, पेस्ट्री आदि) और सभी तरह के जंक फूड। इन खाद्य पदार्थों की जगह घर पर बनने वाले स्वच्छ, ताजे और हेल्दी भोजन का सेवन करें।
लिवर सिरोसिस की बीमारी के दौरान भूख न लगने और कुपोषण के कारण शरीर में मांसपेशियां कम होने लगती हैं, साथ ही प्रोटीन की कमी भी हो जाती है। यदि आपकी मेडिकल रिपोर्ट में इन समस्याओं का पता चलता है तो अपने आहार विशेषज्ञ से विचार विमर्श करके अपने हर भोजन में एक प्रोटीन वाली चीज को अवश्य शामिल करें। प्रोटीन से भरपूर भोजन का सेवन करने के लिए आप चाहें तो अपनी डाइट में चिकन, अंडा, दूध, दही, घर पर बना पनीर, बादाम, अखरोट, दालें, फलियां और सोया युक्त भोजन आदि का नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं।
लिवर सिरोसिस के दौरान हड्डियों का पतला होना और कमजोर होना (ऑस्टियोपीनिया और ऑस्टियोपोरोसिस) काफी ज्यादा देखा जाता है और इस कारण से हड्डियों के टूटने के आसार बढ़ जाते हैं। ऐसे में कैल्शियम और विटामिन डी युक्त डाइट लेना आवश्यक होता है। लिहाजा कैल्शियम के लिए डाइट में दूध, दही, छाछ, रागी, अंडा, संतरा, पत्तागोभी आदि को शामिल करें और विटामिन डी के लिए, कॉड लिवर ऑयल, फैटी मछलियां, मशरूम आदि का सेवन करें। इसके साथ ही रोजाना 15 से 20 मिनट के लिए धूप में बैठने की आदत डालें। इसके अलावा हर 2 साल में एक बार बोन स्कैन यानि डेक्सा स्कैन कराएं, ऐसा करके आप गंभीर समस्या से खुद को बचा पाएंगे।
इस दौरान खाने में कम वसा (फैट) का सेवन करें। ज्यादा वसा फैटी लिवर को बढ़ा सकती है, जो कि आपकी स्थिति को और खराब कर सकती है। इस कारण से अपने रोज के आहार में वसा का कम से कम प्रयोग करें और अपनी डाइट से मटन, बीफ, पोर्क, बटर, चीज, तली हुई चीजें जैसे कि समोसा, कचौड़ी, फ्रेंच फ्राइज, बर्गर, पिज्जा आदि को पूरी तरह से बाहर कर दें। रोज के भोजन को पकाने के लिए जैतून का तेल, सरसों का तेल, तिल का तेल आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
(और पढ़ें - फैटी लिवर के लिए क्या करें)
लिवर सिरोसिस की बीमारी के दौरान, हमारे शरीर को बहुत सारे एंटीऑक्सिडेंट और माइक्रोन्यूट्रिएंट (सूक्ष्म पोषक तत्व) की आवश्यकता होती है। ऐसे में फल आपके लिए काफी लाभदायक साबित हो सकते हैं। लिहाजा जरूरी है कि आप अच्छी मात्रा में फलों का सेवन करें। इसके लिए आप ताजे और मौसम के अनुरूप फलों का सेवन करें जैसे कि सेब, संतरा, पपीता, मौसंबी, चीकू, खरबूजा, तरबूज आदि को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं और बेहतर होगा कि फलों का जूस पीने की जगह आप साबूत फलों का सेवन करें।
इस बीमारी के दौरान शरीर में कुछ विटामिन और खनिज तत्वों की कमी हो जाती है जैसे कि विटामिन ए, डी, ई, के, फोलिक एसिड, जिंक, कैल्शियम आदि। सब्जियां इन पोषक तत्वों का काफी अच्छा स्त्रोत होती हैं। लिहाजा अपनी रोज की डाइट में रंग-बिरंगी सब्जियां शामिल करें जैसे कि गाजर, चुकंदर, कद्दू, मशरूम, मेथी, भिंडी, पालक, चौलाई, बीन्स, गोभी आदि।