इसकी पुष्टि करने के लिए आप उनका स्वाइन फ्लू (एच1एन1) टेस्ट करवा लें।
अगर गर्भवती महिला को स्वाइन फ्लू नहीं है, तो प्रेगनेंसी के दौरान शिशु के लिए एच1एन1 वैक्सीनेशन नहीं दिया जाता है। बच्चे को जन्म के बाद स्वाइन फ्लू के लिए प्रि-वैक्सीनेशन दिया जाएगा।
हां, अगर कोई 8 महीने की गर्भवती महिला है, तो उसे एच1एन1 वैक्सीनेशन तीसरी तिमाही यानी कि 9वें महीने में दिया जाएगा। इस वैक्सीनेशन की वजह से गर्भवती महिला को कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि गर्भपात या भ्रूण को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
अगर किसी गर्भवती महिला को स्वाइन फ्लू है, तो डिलीवरी के समय भ्रूण को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है या डिलीवरी के बाद निमोनिया जैसी समस्या भी हो सकती है।
आप आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ खाएं, तली हुई चीजों को खाने से बचें और चाय व कॉफ़ी भी न पिएं। कैप्सूल Starflu 75 को 5 दिन के लिए लें।
जी हां, अगर आपकी इम्युनिटी कम है, तो इस वायरस के संपर्क में आने से यह आपको दोबारा हो सकता है। अगर आपको सर्दी व खांसी है, तो इसे स्वाइन फ्लू के लक्षण समझें। इसकी पुष्टि करने के लिए पहले आप टेस्ट करवाएं।
आप स्वाइन फ्लू (एच1एन1) टेस्ट को myUpchar लैब से करवा सकते हैं। myUpchar लैब से यह टेस्ट करवाने पर आपको डिस्काउंट भी मिलेगा।
स्वाइन फ्लू (एच1एन1) टेस्ट की रिपोर्ट आपको 24 से 48 घंटे के अंदर मिल जाती है।
स्वाइन फ्लू (एच1एन1) के वायरस अधिकतर ठंडे तापमान में पनपते हैं, जो दिसंबर से फरवरी महीने के बीच में देखे जाते हैं। अगर आपको 2 दिन से ज्यादा बुखार, कंपकपी, सिर दर्द, सर्दी, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो आप अपना ब्लड टेस्ट करवा लें। ये लक्षण डेंगू, मलेरिया या स्वाइन फ्लू के हो सकते हैं।
स्वाइन फ्लू (एच1एन1) टेस्ट को करवाने में तकरीबन 4000 रुपये तक का खर्च आता है।
स्वाइन फ्लू (एच1एन1) टेस्ट 98 प्रतिशत तक सही रिजल्ट बताता है।
स्वाइन फ्लू (एच1एन1) टेस्ट करने के लिए मरीज का टेस्टिंग सैंपल घर से ही लिया जाता है। इस टेस्ट को करवाने के लिए आपको किसी लैब या अस्पताल (जो यह टेस्ट करते हो) में कॉल करके स्वाइन फ्लू (एच1एन1) टेस्ट के लिए अपॉइंटमेंट लेना होता है, जिसके बाद अस्पताल या लैब से एक टीम आपके घर आती है, जो टेस्टिंग के लिए नेसल स्वेब (नाक से द्रव्य) का सैंपल लेती है। टेस्ट होने के 24 से 48 घंटे बाद आपको इसकी रिपोर्ट मिल जाएगी।
स्वाइन फ्लू के लिए आपको नॉर्मल डॉक्टर से मिलना चाहिए, अगर आपको कोई अन्य समस्या भी है जैसे सांस लेने में दिक्कत या निमोनिया तो, आप पलमोनोलॉजिस्ट से भी मिल सकते हैं।
आपको स्वाइन फ्लू के कुछ लक्षण जैसे कि खांसी और थकान 3 से 5 दिनों से भी अधिक समय तक बने रह सकते हैं। अगर आपको इसके अन्य लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, तो आप इसके लिए ज्यादा चिंता न करें। अगर आपको दोबारा बुखार, सांस लेने में दिक्कत या खांसी अधिक समय तक हो रही है, तो डॉक्टर से मिलें।
बुखार स्वाइन फ्लू का एक बहुत ही आम लक्षण है। स्वाइन फ्लू हमेशा बुखार के साथ होता है। ऐसा होना बहुत ही दुर्लभ है कि स्वाइन फ्लू बिना बुखार के हो, लेकिन 99 प्रतिशत मामलों में स्वाइन फ्लू बुखार के साथ ही होता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण आमतौर पर 3 से 7 दिनों के बाद खुद ही कम होने लगते हैं, लेकिन कुछ मरीज इससे ज्यादा दिनों तक भी अस्वस्थ रह सकते हैं और उन्हें खांसी की समस्या दो हफ्ते या उससे अधिक दिनों तक बनी रह सकती है। अगर स्वाइन फ्लू गंभीर है, तो मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत भी पढ़ सकती है, जिससे मरीज में इसका संक्रमण 9 से 10 दिनों तक भी रह सकता है।
जी हां, जो वैक्सीन मौसमी फ्लू से बचने के लिए लिया जाता है, वही वैक्सीनेशन स्वाइन फ्लू (एच1एन1) के लिए लिया जाता है। आप इसे एक इंजेक्शन के रूप में या नेसल स्प्रे के रूप में ले सकते हैं। यह वायरस से लड़कर आपकी इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
कोई भी वैक्सीनेशन 100 प्रतिशत सुरक्षित नहीं होता है। उदाहरण के लिए, जिन लोगों को अंडे से एलर्जी होती है, वे लोग फ्लू के लिए वैक्सीन नहीं ले सकते हैं। क्योंकि अंडे का इस्तेमाल इस वैक्सीन की निर्माण प्रक्रिया में किया जाता है। फ्लू वैक्सीनेशन से आपको हल्के और सामान्य रिएक्शन हो सकते हैं।
स्वाइन फ्लू (एच1एन1) वैक्सीनेशन लेने के बाद, आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं।
जी नहीं, इस वैक्सीनेशन को सिर्फ एक बार ही लगवाया जाता है, अगर इसका कोई नए प्रकार का वायरस पाया जाता है, तो इसके लिए आपको अपडेटेड वैक्सीनेशन लेने की जरूरत पड़ सकती है।
अमेरिकी खाद्य और प्रशासन (एफडीए) के अनुसार 10 साल से अधिक उम्र के लोगों को 2009 के H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस के लिए वैक्सीनेशन की एक डोज़ दी जाती है, जबकि 6 महीने से 9 साल की उम्र के बच्चों को इस वैक्सीनेशन के दो डोज लगवाने होते हैं। आपके बच्चे को इस वैक्सीनेशन का एक डोज लगेगा।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार 2009 में आए एच1एन1 इन्फ्लूएंजा वायरस के खिलाफ, बच्चों में स्वाइन फ्लू (एच1एन1) वैक्सीनेशन के 2 डोज दिए जाते हैं। इसका पहला डोज देने के 4 हफ्ते बाद इसका दूसरा डोज दिया जाता है। हालांकि, दोनों डोज के बीच 21 दिन का अंतर हो तब भी दूसरे डोज़ को मान्य समझा जाता है।
सबसे पहले आप अपने बच्चे को पीडियाट्रिक (बच्चों का डॉक्टर) को दिखाएं। छोटे बच्चों में स्वाइन फ्लू (एच1एन1) वैक्सीनेशन के 2 डोज लगाए जाते हैं। इस वैक्सीनेशन के दोनों डोज को एक साथ नहीं दिया जाता है। वैक्सीनेशन के दूसरे डोज को पहले डोज के 4 हफ्तों के बाद लगाया जाता है।
सबसे पहले आप स्वाइन फ्लू (एच1एन1) के लिए वैक्सीनेशन लें। इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए आप निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें।
अगर कोई गर्भवती महिला एच1एन1 वायरस से संक्रमित है, तो डिलीवरी के तुरंत बाद डॉक्टर उसे अपने शिशु से अलग कर देते हैं। इसके बाद भी जब तक मां कम से कम 48 घंटे के लिए एंटीवायरल दवाएं नहीं ले लेती, तब तक उसे अपने शिशु के साथ करीबी संपर्क बनाने से बचना चाहिए। 48 घंटे के बाद मां में स्वाइन फ्लू के लक्षण जैसे बुखार कम हो जाता है और वह अपनी खांसी व स्राव को कंट्रोल कर पाती है।
स्वाइन फ्लू (एच1एन1) का वैक्सीन 350 रुपये का आता है और इसे आप सामान्य डॉक्टर की निगरानी में ले सकते हैं।
अगर आपका एच1एन1 टेस्ट पॉजिटिव है, तो आप मोनोवैलेंट एच1एन1 वैक्सीन लाइव लें। अगर किसी व्यक्ति का एच1एन1 नेगटिव है, तो इसके लिए प्रि-वैक्सीन मोनोवैलेंट एच1एन1 वैक्सीन इनएक्टिवेटेड होती है।