जॉन्डिस संक्रामक रोग नहीं है। यह एक से दूसरे तक नहीं फैलता है। लेकिन कुछ ऐसे संक्रामक रोग होते हैं, जिसकी वजह से जान्डिस जैसी बीमारी हो सकती है।
काले पीलिया मानव शरीर के अंदर बैक्टीरिया की उपस्थिति के कारण होने वाली जलजनित बीमारी है। बीमारी की प्रारंभिक अवस्था को लेप्टोस्पायरोसिस के नाम से जाना जाता है और गंभीर स्थिति में पहुंचने पर यह वीइल रोग के रूप में जाना जाता है।
हैरानी की बात यह है कि काले पीलिया का कोई विशेष लक्षण नहीं है। बुखार, जुखाम जैसे सामान्य लक्षण ही इस बीमारी में देखने को मिलते हैं। लेकिन यह मरीज के फेफड़ों, गुर्दा, हृदय और मस्तिष्क तक को प्रभावित करता है। हालाँक दो चरणों में इसके लक्षणों को समझा जा सकता है। पहले चरण में मरीज को बहुत तेज बुखार, उल्टी डायरिया, मांसपेशिओं और जांघों में दर्द, आंखों का लाल होना, त्वचा पर चकत्ते पड़ना, सिरदर्द, खांसी, कंपकपी आना शामिल हैं। यह लक्षण 5 से 7 दिनों तक दिखाई देते हैं। दूसरे चरण में मरीज की त्वचा और आंखें पीली होने लगती हैं। इसके अन्य लक्षण हैं गुर्दे का फेल होना, फेफड़ों में समस्या आना, अनियमित हृदय गति , मेनिनजाइटिस या मस्तिष्क में बुखार चढ़ना, वजन का घटना, सांस लेने में दिक्कत आना और आंखों का लाल होना आदि। यह लक्षण एक से दो हफ्तों तक रहते हैं।
अमूमन पीलिया होने के लक्षण एक जैसे ही होते हैं जैसे त्वचा का पीला होना, आंखों का सफेद होना, शरीर से निकलने वाले पदार्थों का रंग बदलना जैसे पीला मल और गाढ़े रंग का पेशाब निकलना। बच्चे का पीलिया अगर गंभीर चिकित्सा स्थिति से संबंधित है, जैसे कि हेपेटाइटिस, तो उसके निम्न लक्षण हो सकते हैं जैसे कमजोरी, बुखार होना, चक्कर आना आदि।
जॉन्डिस से कौन-कौन से अंग प्रभावित होंगे, यह उसके होने की वजह पर निर्भर करता है। आमतौर पर आप देख सकते हैं कि जॉन्डिस में आंख, स्किन आदि पर इसके लक्षण दिखाई देते हैं। लेकिन इन्हें प्रभावित अंग नहीं कहा जा सकता है। अब सवाल ये उठता है कि जॉन्डिस किस वजह से है? आपको यह भी बताते चलें कि जॉन्डिस अपने आप में एक बीमारी न होकर किसी अन्य बीमारी का लक्षण है। अगर आपका लिवर खराब है तो यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि लिवर क्यों खराब है? जैसा कि आप जानते ही होंगे कि जॉन्डिस दो किस्म के होते हैं एक आब्सट्रेक्टिव जॉन्डिस और नान आब्सट्रेक्टिव जॉन्डिस। अगर गाल ब्लैडर में पथरी है और वह इसकी नली में फंस जाती है तो इससे लिवर पर प्रेशर पड़ता है, क्योंकि गाल ब्लैडर लिवर के बिल्कुल नीचे है। इससे जॉन्डिस हो जाता है। यह आब्स्ट्रेक्टिव जॉन्डिस है। इसी तरह अगर पथरी पेनक्रियाज तक पहुंच गई तो जॉन्डिस से प्रभावित अंगों में पेनक्रियाज भी शामिल हो जाता है। कुल मिलाकर कहने की बात यही है कि जॉन्डिस से कौन सा अंग प्रभावित होगा, इसके लिए जॉन्डिस होने की वजह का जानना जरूरी है।
गर्भवती महिलाओं में जॉन्डिस के लक्षण इस प्रकार हैं-
गर्भावस्था में जॉन्डिस का ट्रीटमेंट उसके लक्षण और कारण पर निर्भर करता है। साथ ही गर्भवती महिला का कौन सा माह चल रहा है, यह बात भी इसके उपचार के दौरान मायने रखती है। इसमें मरीज को प्रोटीन युक्त आहार न खाने की सलाह दी जाती है और ऐसी दवाओं से दूर रखा जाता है जो लिवर को प्रभावित करती हैं। इसके अलावा महिला से पूरी तरह आराम करने को कहा जाता है, बीपी और यूरिन नियमित चेक करने के लिए भी कहा जाता है। इसके साथ ही शरीर को जॉन्डिस से जिस भी तरह की क्षति होती है, उसके आपूर्ति के लिए डाक्टर उपयुक्त दवा प्रेस्क्राइब करते हैं।
गर्भावस्था में पीलिया वायरल हेपेटाइटिस, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस ई वायरस के संक्रमण से होता है।
जॉन्डिस के कुछ मामलों को डाक्टर की देखरेख में घर पर ही निवारण किया जा सकता है, तो कुछ मामलों के लिए मरीज को अस्पताल भर्ती होना पड़ता है। यह पूर्णतया जॉन्डिस के प्रकार पर निर्भर करता है। लेकिन जॉन्डिस के कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जो जानलेवा होते हैं। इस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि जॉन्डिस एक भयावह और खतरनाक बीमारी है।
जब पार्टनर बीमार हो, तो ऐसे में ओरल सेक्स किया जाना सही नहीं है। खैर, इस बात को समझिए कि जॅान्डिस एक बीमारी न होकर बीमारी का लक्षण है। आप यह जानने की कोशिश करें कि आपकी पत्नी को जॅान्डिस वायरल संक्रमण, गाल ब्लाडर डिस्आर्डर, पेनक्रियाज डिसआर्डर आदि की वजह से तो नहीं। अगर आपकी पत्नी को हेपाटाइटिस बी या हेपाटाइटिस सी की वजह से जॅान्डिस है, तो ओरल सेक्स के दौरान यह आपको भी संक्रमित कर सकता है। बेहतर है अपनी और अपनी के स्वास्थ्य का ख्याल रखें। आप एक बार डाक्टर से संपर्क कर लें।
आपको एंटीबायोटिक की जरूरत है। आप इस तरह घर में न बैठे रहें। बेहतर है कि डाक्टर से संपर्क करें। आप जो सिचुएशन बता रहे हैं, उसके मुताबिक आपको अस्पताल में भर्ती करना होगा। तभी आपको आराम आ सकता है।
आप एक बार और लिवर फंक्शन टेस्ट करवा लें। इसके बाद ही पता चलेगा कि आप दोबारा जिम कब ज्वाइन कर सकते हैं। अगर आपकी रिपोर्ट नॅार्मल आती है तो धीरे-धीरे आप अपनी जीवनशैली को सामान्य पटरी पर ला सकते हैं।
मैं समझ सकता हूं कि आप परेशान हैं। लेकिन आपके रिपोर्ट के अनुसार इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। 3 से 4 हफ्तों के बाद दोबारा चेक कराएं, संभवतः रिपोर्ट नॅार्मल आएगी। आप चाहें तो इसके लिए जनरल फिजिशियन से संपर्क कर सकते हैं। वे आपको देखकर बताएंगे कि आपको किस तरह की देखरेख करनी चाहिए। वैसे आपको जॅान्डिस क्यों हुआ, यह जानना भी जरूरी है। इसके बाद ही आपके सवाल का सटीक जवाब दिया जा सकता है।
इस दौरान शारीरिक संबंध स्थापित करने में किसी तरह की कोई बाधा नहीं है। इसके इतर अगर आपकी पत्नी को सेक्सुअल डिजायर होती है, तो यह उनकी बेहतर हो रहे स्वास्थ्य की ओर इशारा करता है। आप सहजता से इस दौरान शारीरिक संबंध स्थापित कर सकते हैं। अगर कोई और समस्या हो तो आप एक बार डाक्टर से मिलकर बातचीत कर लें। आपकी पत्नी के स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहेगा।
यूरिन के रंग के आधार पर यह कहना मुश्किल है कि दवाएं आप पर काम कर रही हैं या नहीं। बेहतर होगा कि आप डाक्टर के पास जाएं और उन्हें अपनी समस्या बताएं। आपका स्वास्थ्य सही हो रहा है या नहीं, इसका भी पता चल जाएगा।
देखिए लिवर को ठीक होने में समय लगता है। हो सकता है इसी वजह से आपको अब तक ऐसी समस्या आ रही है, जिसका आप जिक्र कर रहे हैं। हालांकि यह चिंता की बात नहीं है। जैसे-जैसे समय गुजरेगा आपकी समस्या कम होती चली जाएगी। लेकिन अगर आपकी स्थिति में कुछ समय बाद बदलाव न हो, तो एक बार फिर टेस्ट करवाएं। रिपोर्ट से क्लीयर हो जाएगा कि आप जॅान्डिस से रिकवर हुए या नहीं। इस दौरान हल्का खाना खाएं। अपने खाने में सलाद ओर जूस की मात्रा ज्यादा रखें।
क्या आपने अपने बेटे को अब तक किसी डाक्टर को नहीं दिखाया? क्या उसे कोई दवा दे रही हैं? आपकी दी गई जानकारी उसके स्वास्थ्य को समझने के लिए पर्याप्त नहीं है। मेरे हिसाब से आप सबसे पहले अपने बेटे को डाक्टर के पास ले जाएं, उसका प्रॅापर ट्रीटमेंट कराएं। उसके खानपान का भी पूरा ख्याल रखें। इस तरह बिना डाक्टर को दिखाए, आप अपने बेटे का खुद ब खुद घर में इलाज न कराएं। इससे उसका स्वास्थ्य और भी खराब हो सकता है।
आपकी बहन की बेटी के और भी टेस्ट किए जाने की जरूरत है। इसके बाद ही उसके स्वास्थ्य का ठीक-ठीक पता चल पाएगा। आमतौर पर शिशु का बिलिरुबिन 15 के ऊपर आने से उन्हें अस्पताल में एक दिन के लिए फोटो थेरेपी दी जाती है। इसके बाद दोबारा उनका बिलिरुबिन लेवल चेक किया जाता है। बेहतर है आप देरी न करके अपनी बहन की बेटी को नजदीकी अस्पताल ले जाएं। वहां उसका बेहतर इलाज हो पाएगा।
पहली बात जॅान्डिस में किसी भी तरह की दवा न लें। इसके बाद मेरा सवाल आपसे ये है कि आप इतना परेशान क्यों हैं? आप एक युवक हैं, निश्चित रूप से ऊर्जावान होंगे। आपको नॅार्मल दिनों में भी वियाग्रा लेने की जरूरत नहीं है। ध्यान रखें कि सेक्स शरीर का नहीं, दिमाग का खेल होता है। अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे, तो आपकी सेक्सुअल एक्टिविटी भी अच्छी होगी। डाक्टर होने के नाते मैं आपको यही सुझाव दूंगा कि सेक्स के लिए दवाओं पर निर्भर होने के बजाय दिमाग पर निर्भर रहें।
अगर आप जॅान्डिस से रिकवर कर चुके हैं, तो आपकी आंखों का रंग अपने आप ही कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, तो कुछ दिनों में आप एक बार फिर डाक्टर के पास जाएं और अपना जॅान्डिस टेस्ट कराएं। कहीं ऐसा न हो कि आपका जॅान्डिस पूरी तरह रिकवर न हुआ हो। इस बीच अपनी डाइट को हल्का रखें, वसायुक्त आहार और ऑयली फूड से दूर रहें।
आपकी समस्या मैं समझ रहा हूं। लेकिन आप कोई भी सिरप लेने से पहले अपने डाक्टर से संपर्क क्यों नहीं रही हैं? वैसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री जाने बिना आपकी समस्या का समाधान किया जाना संभव नहीं है। इसलिए बेहतर है कि आप अपनी रिपोर्ट किसी नजदीकी डाक्टर को दिखाएं।