आजकल ज्यादातर कपल्स बांझपन का सामना कर रहे हैं. ऐसा तब होता है, जब महिला या पुरुष की प्रजनन क्षमता कमजोर होती है. तनाव, खराब खान-पान, इनएक्टिव लाइफस्टाइल और नींद की कमी कमजोर प्रजनन क्षमता के मुख्य कारण माने जाते हैं. इसके लिए थायराइड विकार भी महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. यही वजह है कि हाइपोथायरायडिज्म का शिकार होने पर बांझपन का सामना करना पड़ सकता है.

आज इस लेख में आप हाइपोथायरायडिज्म और पुरुष प्रजनन क्षमता के बीच संबंध के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. हाइपोथायरायडिज्म क्या है?
  2. पुरुष प्रजनन क्षमता क्या है?
  3. हाइपोथायरायडिज्म और पुरुष प्रजनन क्षमता के बीच क्या संबंध है?
  4. हाइपोथायरायडिज्म का पुरुष प्रजनन क्षमता पर असर
  5. हाइपोथायरायडिज्म और पुरुष प्रजनन क्षमता का इलाज
  6. सारांश
हाइपोथायरायडिज्म और पुरुष प्रजनन क्षमता के बीच संबंध को जानिए के डॉक्टर

हाइपोथायरायडिज्म थायराइड का एक प्रकार है. यह ऐसी स्थिति है, जिसमें थायराइड ग्रंथि हार्मोन का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं करती है. वैसे तो हाइपोथायरायडिज्म खुद में एक बीमारी है, लेकिन यह कई अन्य गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती है. हाइपोथायरायडिज्म की वजह से लोगों को मोटापाजोड़ों में दर्दथकान, कमजोरी, हृदय रोग और बांझपन जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है. हाइपोथायरायडिज्म की वजह से महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है, इससे बांझपन हो सकता है.

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पुरुष प्रजनन क्षमता ऐसी प्रक्रिया होती है. जिसमें पुरुष शुक्राणुओं का उत्पादन करके अपनी साथी को गर्भवती करने में सक्षम होता है. सही पुरुष प्रजनन क्षमता में निम्न चीजें होना जरूरी है -

  • अंडकोष का सही तरीके से काम करना जरूरी होता है.
  • अंडकोष में शुक्राणुओं का उत्पादन सही होना चाहिए.
  • शरीर में टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोन का उत्पादन सही स्तर पर होना चाहिए.
  • शुक्राणु को वीर्य के साथ सही तरीके से मिलना जरूरी होता है.
  • वीर्य में पर्याप्त शुक्राणु होने चाहिए, ताकि महिला साथी को गर्भवती किया जा सके. 
  • शुक्राणुओं की गुणवत्ता और गतिशीलता भी अच्छी होनी चाहिए.

अगर किसी पुरुष में ये सभी चीजें सही तरीके से हो रही है, तो इसका मतलब है कि प्रजनन क्षमता बिल्कुल ठीक है, लेकिन कुछ स्थितियां पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है. इसमें हाइपोथायरायडिज्म भी शामिल होता है.

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हाइपोथायरायडिज्म और पुरुष प्रजनन क्षमता के बीच काफी गहरा संबंध होता है. जब कोई पुरुष हाइपोथायरायडिज्म का शिकार होता है, तो उसे अपनी महिला साथी को गर्भवती करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है यानी उसे बांझपन का सामना करना पड़ सकता है.

हाइपोथायरायडिज्म होने पर थायराइड ग्रंथि शरीर के महत्वपूर्ण हार्माेंस का सही स्तर में उत्पादन नहीं कर पाती है. इस स्थिति में पुरुषों में हार्मोन का स्तर असंतुलित हो जाता है, जिसकी वजह से प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है.

इसके अलावा, जब पुरुष सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है, तो शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता भी प्रभावित होने लगती है. इसका मतलब यह है कि हाइपोथायरायडिज्म होने पर पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है, जिसकी वजह से वे अपनी महिला साथी को गर्भवती करने में सक्षम नहीं हो पाती है. हाइपोथायरायडिज्म होने पर पुरुषों को कामेच्छा में कमीइरेक्टाइल डिसफंक्शन और शीघ्रपतन जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है.

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हाइपोथायरायडिज्म पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. इस स्थिति में पुरुषों को बांझपन का भी सामना करना पड़ सकता है, जो इस प्रकार है -

टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम होना

टेस्टोस्टेरोन एक मेल सेक्स हार्मोन है. पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का सही स्तर होना जरूरी होता है, लेकिन हाइपोथायरायडिज्म टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर को कम कर सकता है. जब टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है, तो इस स्थिति में पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है.

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शुक्राणुओं की संख्या कम होना

हाइपोथायरायडिज्म पुरुषों में शुक्राणुओं की कम संख्या का एक मुख्य कारण हो सकता है. अगर किसी पुरुष को हाइपोथायरायडिज्म है, तो उसके शरीर में शुक्राणुओं का उत्पादन कम हो सकता है. जब शुक्राणुओं का उत्पादन कम होता है, जो पुरुष प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है, क्योंकि इस स्थिति में पुरुष महिला साथी को गर्भवती नहीं कर पाती है.

महिला को गर्भवती करने के लिए शुक्राणुओं की गतिशीलता का अच्छा होना भी जरूरी होता है. वहीं, हाइपोथायरायडिज्म शुक्राणुओं की संख्या के साथ ही गतिशीलता को भी प्रभावित कर सकता है. इसकी वजह से पुरुष प्रजनन क्षमता कमजोर पड़ सकती है. यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण भी बन सकता है. इस स्थिति में पुरुष इरेक्शन बनाने में समर्थ नहीं हो पाते हैं.

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बाइंडिंग ग्लोब्युलिन में असंतुलन

इसे टेस्टोस्टेरोन-एस्ट्रोजन बाइंडिंग ग्लोब्युलिन (TeBG) के रूप में भी जाना जाता है. यह एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जिसका निर्माण लिवर में होता है. यह टेस्टोस्टेरोन, डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (DHT) और एस्ट्राडियोल की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जिन पुरुषों को हाइपोथायरायडिज्म है, उनमें बाइंडिंग ग्लोब्युलिन का स्तर सामान्य से कम हो सकता है.

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अगर थायराइड रोग की वजह से किसी व्यक्ति को बांझपन का सामना करना पड़ रहा है, तो इसके लिए सबसे पहले थायराइड का इलाज करवाना जरूरी होता है. जैसे-जैसे थायराइड का स्तर सामान्य होने लगता है प्रजनन क्षमता भी मजबूत होने लगती है. इसलिए, अगर किसी को हाइपोथायरायडिज्म है, तो इसका इलाज करवाकर बांझपन से बचा जा सकता है. हाइपोथायरायडिज्म का इलाज करके शुक्राणुओं की संख्या, गुणवत्ता और गतिशीलता में काफी सुधार हो सकता है.

हाइपोथायरायडिज्म के मामले में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ली जा सकती है. इसके अलावा, हाइपोथायरायडिज्म का इलाज करने में लेवोथायरोक्सिन दवा भी कारगर साबित हो सकती है. कभी-कभी सिंथेटिक ट्राईआयोडोथायरोनिन को थायरायड रोग के उपचार में शामिल किया जाता है.

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इसमें कोई संदेह नहीं है कि बांझपन किसी भी कपल के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण स्थिति होती है. वैसे तो बांझपन कई कारणों से हो सकता है, लेकिन हाइपोथायरायडिज्म को भी बांझपन का एक मुख्य कारण माना जाता है, क्योंकि हाइपोथायरायडिज्म में महिलाओं और पुरुषों दोनों की प्रजनन क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है. अगर किसी पुरुष को हाइपोथायरायडिज्म है, तो इस स्थिति में उन्हें शुक्राणुओं की कमी व टेस्टोस्टेरोन की कमी आदि का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में हाइपोथायरायडिज्म का इलाज करके प्रजनन क्षमता में सुधार किया जा सकता है.

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Dr. Anurag Kumar

Dr. Anurag Kumar

पुरुष चिकित्सा
19 वर्षों का अनुभव

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