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अगर आप थायरायड की बीमारी को सही तरीके से और सफलतापूर्वक मैनेज करना चाहते हैं तो आपको थायरायड की दवा का एक समान खुराक के तौर पर बिना रुके लगातार सेवन करना चाहिए। थायरायड की दवा को रोजाना एक ही समय पर लेना चाहिए और वह भी खाली पेट सुबह का नाश्ता करने से 30 से 60 मिनट पहले। दवा की एक या दो खुराक स्किप कर देना या हर दिन अलग-अलग समय पर दवा का सेवन करना खतरनाक हो सकता है, साथ ही अगर दवा की खुराक को लगातार कई दिनों तक न लिया जाए तो इस वजह से शरीर में थायरायड का लेवल बहुत अधिक बाधित हो जाता है। लिहाजा आप चाहें तो एक स्पेशल अलार्म सेट कर लें ताकि आप अपनी रोजाना की दवा की खुराक लेना न भूलें और उसे हर दिन एक ही समय पर लें।
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कुछ लोग ये गलती भी करते हैं कि जैसे ही वे कुछ बेहतर महसूस करने लगते हैं वे दवा का सेवन करना बंद कर देते हैं। यह एक कॉमन गलती है जो सिर्फ हाइपोथायरायडिज्म की दवा लेने वाले मरीज ही नहीं करते बल्कि अन्य बीमारियों का इलाज करा रहे ज्यादातर लोग करते हैं। डॉक्टर से पूछे बिना अपने मन से थायरायड की दवाइयों का सेवन बंद बिलकुल न करें। इसका कारण ये है कि जब आप थायरायड की दवा लेना शुरू करते हैं तो शरीर में थायरायड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) के लेवल में थोड़ी बहुत बढ़ोतरी होने लगती है लेकिन आपके शरीर को अब भी नियमित रूप से दवा की जरूरत है ताकि टीएसएच का लेवल बना रहे। कई बार तो हाइपोथायरायडिज्म की दवा जीवनभर लेनी पड़ती है इसलिए दवा की खुराक में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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ऐसी कई दवाइयां और सप्लिमेंट्स हैं जो शरीर में आर्टिफिशल थायरॉक्सिन हार्मोन-लेवोथायरॉक्सिन के अवशोषण को कम कर सकती हैं अगर इन दवाओं को एक साथ लिया जाए। इनमें कैल्शियम सप्लिमेंट्स, एंटासिड जिसमें एल्यूमिनम, सुक्राल्फेट (आंत के अल्सर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा), आयरन सप्लिमेंट्स, कोलेस्टाइरामिन (शरीर में कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा), सिप्रोफ्लोक्सासिन (एंटीबायोटिक), रैलोक्सिफिन (ऑस्टियोपोरोसिस की दवा) और कुछ एंटीडिप्रेसेंट्स शामिल हैं। अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें कि क्या आप इन दवाओं के सेवन से परहेज कर सकते हैं और अगर इन दवाओं को लेना बेहद जरूरी हो तो इन दवायों को हाइपोथायरायडिज्म की दवा लेने से 4 घंटे पहले या 4 घंटे बाद में सेवन करें।
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थायरायड की दवाइयों को किसी साफ-सुथरी और सूखी जगह पर जहां अंधेरा हो वहां पर मध्यम श्रेणी के तापमान पर रखना चाहिए क्योंकि अगर आप इन दवाइयों को सही तरीके से स्टोर करके नहीं रखेंगे तो दवा अपना असर खो देगी। इसका मतलब ये हुआ कि आपको अपनी थायरायड की दवा को ऐसी जगह पर बिलकुल नहीं रखना चाहिए जहां पर सूरज की सीधी रोशनी आती हो जैसे- खिड़की के आसपास की जगह या फिर वैसी जगह पर जहां का तापमान घटता-बढ़ता रहता हो जैसे- कार या फिर उच्च नमी वाली जगह जैसे बाथरूम आदि।
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सभी दवाइयां फिर चाहे वह ब्रैंडेड हो या जेनेरिक- उसमें एक जैसी दवा ही होती है लेकिन कुछ इंडोक्रिनोलॉजिस्ट्स का मानना है कि थायरायड की सभी दवाइयां एक जैसी नहीं होती हैं। भले ही उसके अंदर मौजूद दवा सेम हो, लेकिन अलग-अलग ब्रैंड्स में हार्मोन की मात्रा अलग-अलग हो सकती है। यह भी देखने में आया है कि अलग-अलग ब्रैंड की दवा के प्रति मरीज का शरीर अलग-अलग तरीके से प्रतिक्रिया देता है इसलिए अपने डॉक्टर से पूछे बिना दवा में किसी तरह का कोई बदलाव न करें। इसके अतिरिक्त चूंकि थायरायड की दवा को नतीजे दिखाने में काफी लंबा समय लगता है इसलिए आपको दवा की खुराक को लेकर जल्दबाजी में कोई फैसला या बदलाव नहीं करना चाहिए। दवा की खुराक कम कर देने से दवा से आपका जल्दी पीछा नहीं छूटेगा और अगर दवा की खुराक को बढ़ा दिया जाए तो इलाज जल्दबाजी में और फटाफट नहीं होगा। इसलिए अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें, उन्हें बीमारी से जुड़ी जो भी बेहतर चीजें हो रही हैं उनके बारे में और आप कैसा महसूस कर रहे हैं इस बारे में बताएं और उनके के सुझाव के अनुसार ही दवा की खुराक में कोई बदलाव करें।
वैसे तो ज्यादातर दवा कंपनियों का यही कहना है कि अगर आप गलती से आर्टिफिशल थायरॉक्सिन हार्मोन लेवोथायरॉक्सिन की अतिरिक्त खुराक ले लेते हैं तो यह हानिकारक नहीं होगा, लेकिन अगर आप डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई खुराक से ज्यादा दवा नियमित रूप से लेते रहेंगे और ये सोचेंगे कि यह तो हानिरहित है तो आपका सोचना पूरी तरह से गलत है। अगर नियमित रूप से थायरायड की दवा का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो इसकी वजह से थकान, हड्डियों की कमजोरी या हानि, नींद की बीमारी, अनियमित दिल की धड़कन, घबराहट और कंपकंपी महसूस होना, ऐंग्जाइटी और हृदय को नुकसान जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। इसलिए डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई खुराक में ही दवा का सेवन करें। अगर प्रिस्क्राइब खुराक लेने के बाद भी आपको ये सभी लक्षण महसूस हो रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से बात करें और पता लगाएं कि क्या आपको अपने इलाज में किसी तरह का बदलाव करने की जरूरत है।
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आप किस ब्रैंड की थायरायड दवा ले रहे हैं इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सिंथेटिक थायरायड हार्मोन को इस तरह से बनाया गया है कि उसे खाली पेट किसी भी तरह के भोजन से 45 से 60 मिनट पहले लेना होता है। अगर आप भोजन या नाश्ते के साथ दवा का सेवन करेंगे या फिर खाने के तुरंत बाद दवा खाएंगे तो दवा का अवशोषण सही तरीके से नहीं होगा। ऐसा होने पर कई तरह की जटिलताएं हो सकती हैं या फिर इलाज निष्प्रभावी हो सकता है। ऐसा न हो यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि आप सुबह उठते के साथ ही खाली पेट में थायरायड की दवा का सेवन कर लें।
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डायट्री सप्लिमेंट्स लेने का असर इस बात पर पड़ सकता है कि आपका शरीर किस तरह से थायरायड की दवा का अवशोषण करता है खासकर तब जब आप ऐसे सप्लिमेंट्स का सेवन कर रहे हों जिसमें आयोडीन मौजूद हो। आयोडीन एक सूक्ष्म पोषक तत्व जो शरीर में थायरायड हार्मोन के लेवल को घटा-बढ़ा सकता है। इसलिए आयोडीन के लेवल पर नजर रखें और किसी भी तरह के डायट्री सप्लिमेंट्स के सेवन के बारे में तुरंत डॉक्टर को सूचना दें।
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