इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए नियमित रूप से दवाई लेना जरूरी है। हालांकि कुछ लोगों में दो-तीन सालों तक दवाई लेने के बाद थायराइड नॅार्मल हो जाता है। लेकिन सबके साथ ऐसा नहीं है। इसलिए कुछ सालों तक दवाई लेने के बाद आप अपने डाक्टर से इस संबंध में पूछें कि दवाई लेनी है या फिर बंद करनी है। वे आपके स्वास्थ्य के अनुसार आपको सही ट्रीटमेंट बताएंगे।
आमतौर पर थायराइड के मरीजों के लिए वजन कम करना आसान नहीं होता है। थायराइड मेटाबाॅलिज्म को प्रभावित करता है जिस वजह से वजन कम करना मुश्किल हो जाता है। इसके लिए आपको अपने खानपान में कुछ बदलाव करने होंगे।
थकान होना, बहुत ज्यादा पसीना आना, गर्म तापमान में असहज महसूस करना, हाई बीपी, एंग्जाइटी या कंपकंपी, ये सब थायरोटोक्सीकोसिस के लक्षण हैं। बेहतर है आप उन्हें डाक्टर के पास ले जाएं। वे उन्हें जांच कर बताएंगे कि समस्या क्या है और इसका समाधान क्या हो सकता है।
थायराइड के मरीजों को न सिर्फ खानपान को संतुलित रखना चाहिए बल्कि उन्हें अपनी दिनचर्या का भी पूरा-पूरा ख्याल रखना चाहिए। कहने की जरूरत नहीं है कि थायराइड की वजह से मरीज को तनाव हो सकता है बल्कि तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल आपके शरीर में थायराइड हार्मोन के स्तर को बदल सकते हैं। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि तनाव कम से कम हो। जीवन में ज्यादा से ज्यादा पाॅजिटिव रहना सीखें। अपने रिश्तों को संभाले रखें। इसका असर आपकी जिंदगी पर पड़ता है जिससे तनाव में कमी और खुशियों में इजाफा होता है। इसके साथ अगर आप धूम्रपान करते हैं तो यह छोड़ दें।
आप कोई भी दवा न तो अपने आप से खाएं और न ही खुद बंद करें। अगर आपको हाइपरथायराइड है तो इस संबंध में अपने डाक्टर से मिलें और अपनी समस्या बताएं। वह जो दवा आपको देते हैं और जब तक लेने को कहते हैं, उसे लें। आमतौर पर थायराइड की दवा जिंदगीभर लेनी होती है।
बालों का झड़ना थायराइड के होने का एक लक्षण है। गंभीर और लंबे समय तक हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म बालों के झड़ने का कारण बन सकता है। नुकसान सिर्फ बालों को ही नहीं बल्कि स्कैल्प को भी होता है। सही उपचार मिलने की वजह से बालों की ग्रोथ सामान्य हो जाती है। लेकिन अगर थायराइड को ठीक तरह से उपचार न मिले तो बालों का झड़ना बना रहता है। बेहद कम मामलों में एंटी-ड्रग की वजह से भी बाल झड़ते हैं। कई बार तो यह बताना मुश्किल हो जाता है कि बालों के झड़ने की असली वजह ओवरएक्टिव थायराइड का प्रभाव है या फिर एंटी थायराइड ड्रग्स है। आमतौर पर एंटी थायराइड दवाएं बालों के झड़ने का कारण नहीं होती हैं। इसलिए हाइपरथायराइडिज्म के लिए वैकल्पिक उपचार की तलाश करना सही नहीं है। जहां तक बालों के झड़ने के उपाय की बात है तो इसके लिए बालों में नियमित तौर पर एसेंशियल आयल लगाएं। एंटी इनफ्लेमेटरी फूड जैसे अदरक, लहसुन शामिल करें। यह आपके एंडोक्राइन फंक्शन को बेहतर करता है और थायराइड, एंडोक्राइन सिस्टम का एक हिस्सा है।
आमतौर पर जन्म के समय शिशु को थायराइड की समस्या नहीं होती। इसके बावजूद अगर किसी नए जन्मे शिशु को थायराइड हो तो उसका स्क्रीनिंग टेस्ट से ही पता चलता है। अमूमन बच्चों में थायराइड उसकी मां से पहुंचता है। यही वजह है कि गर्भावस्था में ही इसे कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। इसके बावजूद अगर बच्चे में यह समस्या उत्पन्न होती है या अगर उसे कंजेनिटल हाइपोथाइरॅायडिज्म होता है तो न सिर्फ उसका विकास बाधित होता है बल्कि उसकी मानसिक स्थिति पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। वह मेंटली रिटार्डिड हो सकता है। बहरहाल बच्चों में थायराइड होने के जो सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं, वे हैं ग्रोथ में कमी, बार-बार मूड बदलना, स्वास्थ्य सही नहीं रहना, ध्यानकेंद्रित करने में समस्या आना, पढ़ने-लिखने में परेशानी आना। बच्चों में हाइपोथायराइडिज्म की तुलना में हाइपरथायराइडिज्म अधिक होता है। हाइपोथायराइडिज्म तब होता है जब थायराइड ग्लांड पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन पैदा नहीं करता। जिन बच्चों में हाइपोथायराइडिज्म होता है, उनके लक्षण निम्न हैं-
हाइपरथायराइडिज्म तब होता है जब थायराइड ग्लांड जरूर से ज्यादा थायराइड हार्मोन उत्पन्न करता है। बच्चों में हाइपरथायराइडिज्म के लक्षण हैं-
निश्चितरूप से आपको जांच के बाद ही यह बात पता चली होगी कि आपको हाइपरथाइरॅायड है। आपने जिस डाक्टर से जांच कराई है, बेहतर है आप उसी से मिलकर अपनी मेडिकल हिस्ट्री बताएं। वही आपकी स्थिति को गहराई से समझ कर और आपके लक्षणों को जानकर सही दवा दे पाएंगे।
यह कहना मुश्किल है कि थायराइड पूरी तरह ठीक हो सकता है या नहीं। हालांकि थायराइड की समस्या को इस हद तक ठीक किया जा सकता है कि थायराइड ताउम्र सुचारू रूप से कार्य कर सके। लेकिन मरीज को थायराइड को सामान्य बनाए रखने के लिए हमेशा दवाओं पर आश्रित रहना पड़ता है।
आप एंडोक्राइनोलोजिस्ट और ईएनटी स्पेशलिस्ट से संपर्क करें। उनसे मिलकर आप जान पाएंगी कि आपके बेटे को गले में सूजन तो नहीं है। इसके बाद ही उसका सही तरह से इलाज हो पाएगा।
थायराइड होने की आशंका पुरुषों से जयादा महिलाओं में होती है। जहां तक उम्र की बात है तो इसका शिकार वयस्क ज्यादा होते हैं।
थायराइड होने की स्थिति में गले में सूजन आ सकती है। ऐसा तब होता है जब गोइटर होता है। इससे गले में सूजन और टाइटनेस बढ़ जाती है जिससे मरीज को निगलने और सांस लेने में दिक्कते आती है। सर्जरी के जरिए इसका इलाज संभव है।
आपकी समस्या मैं समझ सकता हूं। लेकिन थायराइड की दवा आपकी बहन को लाइफटाइम लेनी होगी। इसके अलावा थायराइड को कंट्रोल करने का और कोई तरीका नहीं है। अगर आपकी बहन ने दवा लेना बंद कर दिया तो संभवतः उसे फिर से थायराइड की समस्या होने लगे।
आपकी समस्या मैं समझ रहा हूं। लेकिन आप इस बात को समझें कि ये दो अलग-अलग दवाएं हैं। दोनों का इस्तेमाल थायराइड के लिए ही किया जाता है। इसके बावजूद एक दवा दूसरे का रिप्लेसमेंट नहीं है, क्योंकि दोनों दवाओं को अलग-अलग सिचुएशन में लिया जाता है। मसलन थाइरोक्सिन सोडियम तब दिया जाता है जब थाइरॅायड ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में हार्मोन प्रोड्यूस नहीं करता। इसका हाइपोथायराइडडिज्म होने पर इस्तेमाल किया जाता है। सो, बेहतर यही है कि आपके डाक्टर ने आपको जो दवा दी है, उसका सेवन करें। रेग्युलर फॅालो अप लें ताकि आपका सही तरह से उपचार किया जा सके।
आपको यह ब्लड बैंक से ही पता चलेगा कि आप ब्लड डोनेट कर सकते हैं या नहीं। लेकिन इससे इतर मेरा कंसर्न यह है कि क्या आपने यह दवा खुद से बंद की है या फिर डाक्टर की सलाह से ऐसा किया है। अगर बिना डाक्टर की सलाह से आपने ऐसा किया है, तो बेहतर है कि आप एक बार डाक्टर से इस संबंध में बात कर लें। खुद से थायराइड की दवा बंद करना सही नहीं है। इससे आपके स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ सकती है।
आप बता रहे हैं कि आपको बार-बार प्यास लगती है, जिस वजह से बार-बार पेशाब जाना पड़ता है, इससे लग रहा है कि आपको डायबिटीज है। आप अपना डायबिटीज चेक कराएं। आपका tsh लेवल सामान्य रेंज में है। इसको किसी तरह की ट्रीटीमेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन आपके कुछ एग्जामिनेशन जैसे ब्लड टेस्ट के बाद ही क्लीयर होगा कि आपको किस तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत है। हो सकता है कि आपको सोनोग्राफी भी करवानी पड़े। आप डाक्टर से संपर्क करें।
ऐसा होने के पीछे कई वजहे हैं। सबसे पहले तो आप यह ध्यान दें कि कहीं थायराइड की दवा के साथ कोई और दवा तो नहीं ले रही हैं? इसकी जानकारी अपने डाक्टर को दें। अगर ऐसा है तो डाक्टर आपकी दवा बदलेंगे। साथ ही यह भी नोटिस करें कि दवा आप सुबह खाली पेट लेती हैं या फिर खाने के बाद लेती हैं। देखिए, हर दवा का अपना काम होता है। अगर आप सही समय पर दवा नहीं लेंगी तो इसका असर प्रभावी नहीं रह जाता। इसके अलावा आपको रेग्युलर चेकअप कराते रहना चाहिए ताकि डाक्टर द्वारा दी गई दवा असरकारक है या नहीं, इसका सही समय पर पता चल सके।
सबसे पहले आपका डायग्नोस किया जाना जरूरी है। इसके बाद ही आपको एंटी थायराइड मेडिकेशन दी जाएगी या फिर जो भी जरूरी ट्रीटमेंट होगा, वह दिया जाएगा। आप diabetologist या एंडोक्राइनोलोजिस्ट से संपर्क कर जल्द से जल्द अपना इलाज कराएं।
थायराइडिटिस (थायराइड में सूजन) होने पर गले के पास दर्द, जबड़ा और कान के पास दर्द के साथ-साथ बुखार भी आता है। ऐसे में डाक्टर आपके tsh लेवल को मेजर करता है। इसके बाद डाक्टर आपकी रिपोर्ट के अनुसार आपका इलाज करते हैं।अगर हाइपरथायरइडिज्म है, तो घबराहट, खुजली, कंपकंपी हो सकती है। इसके साथ ही अनियमित हृदयगति, बहुत ज्यादा पसीना आना, गर्मी में असहज होना, बार-बार शौच जाना, बालों का पतला होना, वजन का घटना, लड़कियों में अनियमित मासिक धर्म होना जैसी समस्या हो सकती है।