आप परेशान न हों।आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान एचआईवी की दवाएं लेना सुरक्षित होता है, लेकिन डाॅक्टर एचआईवी की दवाएं प्रीस्क्राइब करते हुए इसके नुकसान और फायदे दोनों के बारे में मरीज को पूरी जानकारी देते हैं। अत: आप तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। वे आपकी पूरी जांच कर बताएंगे कि क्या करना है और क्या नहीं। इस बीच अपनी सेहत का पूरा ख्याल रखें। किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आएं। साथ ही आप अपने पति को भी एचआईवी की जांच के लिए कहें। बदलते मौसम का भी पूरा ख्याल रखें ताकि सर्दी-जुकाम से बची रह सकें।
यूं परेशान होने से स्थितियां संभलती नहीं हैं बल्कि बिगड़ जाती है। आप परेशान न हों और अपने बेटे का मोरल बूस्ट करते रहें, उसे मानसिक रूप से खुश रखें। वह जितना परेशान रहेगा, उतना ही उसका स्वास्थ्य खराब होता रहेगा। इसके विपरीत वह जितना खुश रहेगा, उतना ही सामान्य जिंदगी जी सकेगा। जहां तक इस सवाल की बात है कि एक एड्स का मरीज कितनी लंबी जिंदगी जी सकता है, तो पिछले दो दशकों में एचआईवी मरीज की उम्र लगातार बढ़ी है। पहले माना जाता था कि एचआइ्रवी के मरीज इस वायरस के पता लगने पर 10 से 12 साल तक जी पाते थे। लेकिन समय गुजरने के साथ इस क्षेत्र में काफी काम किया गया है। एड्स के मरीज नियमित एंटीरिट्रोवायरल ट्रीटमेंट लेकर न सिर्फ हेल्दी बल्कि लंबी जिंदगी भी जी सकते हैं। आज कई नई एंटीरिट्रोवायरल दवाएं और एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी विकसित की जा चुकी हैं। इनकी मदद से मरीज सामान्य लोगों की तरह लम्बी आयु तक जी सकता है।
आमतौर पर अगर मां एचआईवी संक्रमित है तो उसके गर्भ में पल रहे शिशु को एचआईवी संक्रमण से बचाना बहुत मुश्किल होता है। हालांकि ऐसे केसेस भी सुनने को मिलते हैं जिसमें मां और पिता दोनों संक्रमित हैं, लेकिन जन्म के बाद शिशु को यह बीमारी नहीं है। हालाँकि ऐसे केसेस बहुत कम हैं। इसके बावजूद परेशान होने के बजाये आप डॉक्टर से संपर्क करें। वे सभी जरुरी ट्रीटमेंट आपको बताएंगे। उनके कहे अनुसार ही आप करें।
आपको एचआईवी परीक्षण के लिए डाक्टर से मिलना ही होगा, क्योंकि इसके कंफर्मेशन के लिए आपके कई और भी टेस्ट किए जाएंगे। इसके अलावा कुछ फॅार्म पर आपको साइन भी करना होगा। लेकिन आप इस बात से बेफिक्र रहें कि आपके स्वास्थ्य के बारे में किसी को सूचना दी जाएगी। यह पूरी तरह कॅान्फिडेंशियल होता है। अतः आप बिना किसी परेशानी के अपना एचआईवी की जांच करा सकते हैं।
आप जिस सवाल को लेकर परेशान हैं, उसका जवाब है न। आपको बता दें कि एचआईवी वायरस इतने कमजोर होते हैं कि हवा में आते ही वे मर जाते हैं। शरीर के बाहर एचआईवी वायरस एक सेकेंड के लिए भी जिंदा नहीं रह सकते। लेकिन आप इस तरह के रेजर को यूज करने से बचें। इसी तरह टूथ ब्रश किसी से शेयर न करें। इससे हेपाटाइटिस (ए/बी/सी) फैल सकता है, क्योंकि ये वायरस एचआईवी वायरस से ज्यादा स्ट्रॅान्ग होते हैं और शरीर के बाहर 3-4 दिनों तक जिंदा रह सकते हैं।
आमतौर पर गे सेक्स में एसटीडी प्रॅाब्लम होती है। लेकिन आप किसी नतीजे तक पहुंचने से पहले एसटीडी टेस्ट कराएं और डाक्टर से संपर्क करें। वे आपसे कुछ और लक्षणों के बारे में भी बात करेंगे। इसके बाद ही कंफर्म हो पाएगा कि आपको क्या समस्या है।
बिल्कुल नहीं। हस्तमैथुन एक नॅार्मल और हेल्दी सेक्सुअल एक्टिविटी है। इसके जरिए एक व्यक्ति अपनी शारीरिक जरूरतों को स्वयं पूरा करता है। हां, हस्तमैथुन तब समस्या बन सकता है जब आप सार्वजनिक जगहों पर यह क्रिया करें।
ओरल सेक्स करने से अनइनफेक्टेड व्यक्ति को एड्स नहीं होता, क्योंकि एचआईवी वायरस लार से नहीं फैलता। हालाँकि लार में भी एचआईवी वायरस होते हैं। लेकिन अब तक कोई ऐसा केस कभी सामने नहीं आया है, जिससे पता लगा हो कि एचआईवी लार के जरिए फैली हो।
अगर आपने प्रोटेक्शन यूज किया था और वह फटा भी नहीं तो संक्रमण होने का खतरा कम है। इसके बावजूद बेहतर होगा कि आप टेस्ट करा कर एड्स होने, न होने की पुष्टि करें।
अगर आपके किसी सेक्स पार्टनर को यह संक्रमण है, तो बिल्कुल हो सकता है। जरुरी नहीं है कि अगर यह समस्या अभी नहीं हुई, तो भविष्य में नहीं होगी। इस तरह के लोगों को पूरी तरह प्रोटेक्शन का यूज करना चाहिए। और हां, जितना जल्दी हो सके, एचआईवी का टेस्ट करवा लेना चाहिए।
हालांकि ऐसी आशंका कम है कि आपको एड्स हुआ होगा। लेकिन अगर आपके मुंह में कोई छाला, कट या किसी तरह की समस्या होगी, जिससे खून निकल रहा होगा तो आपको एड्स हो सकता है। वैसे कंफर्म करने के लिए आप एक बार एचआईवी टेस्ट करवा लें। आपके लिए यही सही रहेगा।
अगर आपकी पत्नी एचआईवी पॅाजीटिव है, तो आप भी एचआईवी पॅाजीटिव होंगे और अगर आपकी पत्नी एचआईवी नेगेटिव है, तो इसका कोई खतरा नहीं है।
आमतौर पर हम आखिरी बार कराए गए टेस्ट पर ही भरोसा करते हैं। इसके आधार पर आपकी रिपोर्ट नेगेटिव है। आपको इसी बात पर भरोसा करना चाहिए। इसके बावजूद अगर आप ज्यादा परेशान हैं, तो पर्सनली डाक्टर से मिलें और रिपोर्ट्स दिखाएं। अगर वह एक बार और टेस्ट के लिए कहते हैं, तो करवा लें। इस तरह आपकी समस्या का ठीक-ठीक समाधान हो जाएगा।
चिंता की बात है या नहीं, इसका टेस्ट का बाद ही पता चलेगा। वैसे क्या आप उस लड़की की हेल्थ हिस्ट्री के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे? अगर वह एचआईवी संक्रमित रही होगी, तो आप भी इस संक्रमण की चपेट में आ चुके होंगे क्योंकि आपने खुद ही बताया कि किसिंग के दौरान होंठों से खून भी निकला था।
एचआईवी प्रतिरक्षी तंत्र या इम्यून सिस्टम को पूरी तरह से कमजोर कर देता है। इस वजह से शरीर अलग-अलग तरह की बीमारियों से जैसे कैंसर से लड़ने में की ताकत खो देता है। ऐसे में अगर दवा और एल्कोहोल यानी शराब साथ-साथ पी जाए तो इससे मरीज के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। उसका इम्यून सिस्टम और भी कमजोर हो जाता है। इससे लिवर को नुकसान पहुंचता है और लिवर से संबंधित कई तरह की समस्याएं होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। कुछ दवाएं तो शराब के साथ मिलकर अपना गहरा दुष्प्रभाव छोड़ती हैं। इसके साथ ही एचआईवी के जो मरीज रोजाना शराब पीते हैं, उनके लिए नियमित रूप से दवाएं लेना भी मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति भी उनके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।
एचआईवी एक जानलेवा वायरस है। चूंकि इस संक्रमण का अब तक कोई इलाज नहीं आया है, इसलिए मरीज को मरते दम तक इस वायरस के साथ ही जीना पड़ता है। लेकिन जरूरी नहीं है कि एचआईवी संक्रमित मरीज इसी संक्रमण की वजह से मरे। उसकी मृत्यु की वजह कुछ और भी हो सकती है। वैसे भी इन दिनों एचआईवी संक्रमण से बचने के लिए काफी कारगर दवाएं और थैरेपी आ चुकी हैं। इनकी मदद से मरीज सेहतमंद जिंदगी जी सकता है। लेकिन अगर मरीज को एचआईवी वायरस के होने का पता ही न चले, तो इससे उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
जिन लोगों को एचआईवी हो, उन्हें दूसरे किस्म की हेल्थ प्रॅाब्लम भी हो सकती है जैसे हेपाटाइटिस ए, हेपाटाइटिस बी और हेपाटाइटिस सी। चूंकि एचआईवी शरीर के इम्यून सिस्टम को पूरी तरह नष्ट कर देता है, इस वजह से उसे निमोनिया, लिम्फोमा, सर्वाइकल कैंसर, कैंसर और कार्डियोवास्कुलर जैसे डिजीज भी हो सकते हैं। इसके अलावा मरीज को मानसिक समस्या भी हो सकती है। इसके साथ ही एचआईवी की दवाओं के प्रभाव से भी मरीज की तबियत खराब हो जाती है।
एचआईवी होने पर मरीज के शरीर में कई तरह के दाने निकल आते हैं। लेकिन आमतौर पर इनमें खुजली नहीं होती। हालांकि ये मरीज को असहज जरूर करती हैं। इसके अलावा आप यह भी समझें कि खुजली हमेशा एचआईवी की वजह से ही नहीं होती। इसकी और भी वजहें हैं। इसलिए खुजली को सीधे सीधे एचआईवी से सही नहीं है।
छोटे बच्चों को आमतौर पर एचआईवी पीड़ित मां के गर्भ से जन्म लेने या संक्रमित मां का स्तनपान करने से एचआईवी होता है। जहां तक शिशु में एचआईवी के लक्षणों की बात है, तो शिशु में शुरुआती एक साल में इस बीमारी का पता लगाना काफी मुश्किल हो जाता है। लेकिन फिर भी उनमें जो सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं, वे हैं पेट में सूजन जिसमें अमूमन लिवर में सूजन देखने को मिलती है, स्वोलेन लिंफ नोड्स, निमोनिया, मुंह में छाले। इसके साथ ही बच्चों में एचआईवी के लक्षण उनके उम्र पर भी निर्भर करता है। कुछ मामलों में बेहद सामान्य तो कुछ मामलो में बेहद खतरनाक लक्षण भी सामने आते हैं। अगर बेहद सामान्य यानी माइल्ड लक्षणों की बात करें तो उसमें पैरोटिड ग्लैंड (कान के ठीक सामने स्थित बड़ी लार ग्रंथियों की एक जोड़ी), लगातार साइनस इंफेक्शन का बने रहना, डर्माटाइटिस यानी खुजली होना, त्वचा में चकत्ते पड़ना, पेट के अंदर लिवर में सूजन होना हैं। इसके अलावा लंग टिश्यूज में जलन या सूजन होना, दो महीनों से ज्यादा मुंह में छाले होना, लगातार डायरिया का बने रहना, एक महीने से ज्यादा बुखार होना, चिकन पाॅक्स का होना और किडनी से संबंधित बीमारी का होना। ये कुछ भयावह लक्षण हैं। बच्चों में एचआईवी के अति भयावह लक्षण भी नजर आते हैं। इसमें शामिल हैं दो साल के अंदर दो गंभीर जीवाणु संक्रमण यानी बैक्टीरियल इंफेक्शन जैसे मेनिनजाइटिस, ब्लड इंफेक्शन या निमोनिया होना। पाचन तंत्र या फेफड़ों में ईस्ट इंफेक्शन होना, ट्यूमर होना भी अति भयावह लक्षणों में गिने जाते हैं।
यूं तो ज्यादातर मरीजों में एचआईवी के लक्षण एक समान होते हैं। लेकिन जो लक्षण महिलाओं में तीव्र रूप से देखने को मिलते हैं, वे हैं त्वचा में संक्रमण, गले में खराबी, बुखार और बहुत तेज सिरदर्द। इसके अलावा जो लक्षण महिलाओं में कम दिखाई देते हैं, वे हैं सूजी हुई लसीका ग्रंथियां यानी स्वोलेन लिंफ नोड्स, बेचैनी होना, चक्कर आना, मुंह में अल्सर (घाव) होना, योनि में संक्रमण होना, रात को पसीना आना, उल्टी आना, जोड़ों और मांसपेशिओं में दर्द होना।
एचआईवी होने पर दांत, मुंह और गम्स से संबंधति कई समस्याएं होने लगती हैं, जिन्हें एचआईवी के लक्षण के तौर पर भी देखा जा सकता है। मसलन मुंह में सूखापन, दांत में सड़न, मुंह में छाले, घाव, बढ़ी हुई लार ग्रंथियां, कपोसि‘स सरकोमा, हेयरी ल्यूकोप्लेकिया, मसूड़ों से संबंधित समस्याएं, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस।
एचआईवी के शुरुआती लक्षण दो से चार हफ्तों में दिखाई देने लगते हैं। इनमें मुंह में छाले, बहुत ज्यादा सिरदर्द होना, ठंड लगना, मसल्स में दर्द होना जैसे लक्षण शामिल हैं। लेकिन इन लक्षणों के आधार पर आपको यह नहीं समझ लेना चाहिए कि आपको एड्स है। हां, अगर बार-बार ये लक्षण नजर आएं, तो एक बार परीक्षण अवश्य करवा लेना चाहिए।