WHO के आंकड़ों की मानें तो दुनियाभर में एचआईवी-एड्स की वजह से होने वाली हर 3 में से 1 मौत टीबी यानी तपेदिक के को-इंफेक्शन की वजह से होती है। जैसा की नाम से ही पता चल रहा है कि को-इंफेक्शन एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को एक साथ 2 या इससे अधिक संक्रामक बीमारियां हो जाती हैं। एड्स के मरीजों में को-इंफेक्शन होना बेहद सामान्य सी बात है क्योंकि ऐसे मरीज बहुत ज्यादा इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड यानी प्रतिरक्षा में अक्षम होते हैं।
WHO के आंकड़े ये भी दिखाते हैं कि वैसे लोग जिन्हें एचआईवी का संक्रमण होता है उनमें सक्रिय टीबी होने का खतरा 18 गुना बढ़ जाता है उन लोगों की तुलना में जिन्हें एचआईवी इंफेक्शन नहीं होता है। लिहाजा एचआईवी के मरीजों में टीबी होने से रोकने और उसे मैनेज करने के लिए खास ऐहतियाती कदम उठाने की जरूरत होती है। हालिया आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में इस वक्त 3 करोड़ 80 लाख से ज्यादा लोग एचआईवी से पीड़ित हैं जिसमें से 17 लाख मरीज अकेले साल 2019 में डायग्नोज हुए थे। साल 2019 में दुनियाभर में टीबी संक्रमण के 1 करोड़ मामले सामने आए थे जिसमें से 32 लाख महिलाएं और 12 लाख बच्चे थे। इतना ही नहीं, साल 2019 में जिन 14 लाख लोगों की टीबी की वजह से मृत्यु हुई थी उसमें से 2 लाख 8 हजार मरीजों में एचआईवी इंफेक्शन भी था।
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विश्व एड्स दिवस के मौके पर हम आपको एचआईवी-एड्स और टीबी को-इंफेक्शन होने के कारण, लक्षण और उसे मैनेज करने के तरीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं।