अगर आपके परिवार में किसी को यह समस्या रही है तो आपके बच्चे में भी हेपेटाइटिस बी का खतरा हो सकता है। अब डाइट के जरिए भी इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है या काफी हद तक इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
हेपेटाइटिस बी के ठीक होने की संभावना बहुत कम होती है। शुरुआती चरणों में इसे ठीक करने के लिए ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है या नहीं, लेकिन यह आपके शरीर के दूसरे अंगों को प्रभावित नहीं करता है।
इस समय आप किसी भी तरह की सर्जरी न करवाएं। आप हेपेटाइटिस बी के लिए 3 महीने तक दिन में एक बार एक टैबलेट liv 52 HB (Himalya) की लें। इसी के साथ आप तीखा, तैलीय, फास्ट फूड, मांसाहारी और प्रोसेस्ड फूड जैसे चिप्स खाने से बचें। आप 3 महीने के बाद, अपना हेपेटाइटिस बी टेस्ट एचबीएसएजी करवा लें और रिपोर्ट के साथ डॉक्टर से मिलें।
संभोग के दौरान आप कंडोम का इस्तेमाल करें। डॉक्टर की सलाह पर आप इसके लिए वैक्सीन भी लगवा सकते हैं।
आप हेपेटाइटिस प्रोफाइल और पेट का अल्ट्रासाउंड करवा लें। रिपोर्ट के बाद ही कंफर्म होगा कि आपको हेपेटाइटिस बी है या नहीं और इसके बाद आपको कोई दवा दी जा सकती है। आप अपने परिवार के सदस्यों की भी हेपेटाइटिस बी की जांच करवा लें। अगर उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो उन्हें इसके लिए वैक्सीनेशन जरूरत लगवाना चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी नहीं है और वो हेपेटाइटिस बी वैक्सीनेशन लेता है तो उसे इस बीमारी से 90% से ज्यादा सुरक्षा मिलती है। आप अपना एचबीवी डीएनए टेस्ट करवा लें।
हेपेटाइटिस बी बहुत ही गंभीर समस्या है। आप गूगल से हेपेटाइटिस का पता नहीं लगा सकते हैं। इसका पता लगाने के लिए सेरोलॉजिकल टेस्ट किया जाता है। बचपन में ही वैक्सीनेशन लगवाकर बच्चे को इस बीमारी से बचाया जा सकता है। अगर आपको अपने बच्चे में हेपेटाइटिस बी के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह पर जरूरी टेस्ट करवा लें। अगर आपने अपने बच्चे को हेपेटाइटिस बी वैक्सीन लगवाया था तो उसमे ये बीमारी होने की संभावना बहुत कम है।
हेपेटाइटिस बी के लिए आपको हेपटोलॉजिस्ट या गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए।
इसके लिए आप टाइटर टेस्ट और पेट काअल्ट्रासाउंड, लिवर फंक्शन टेस्ट करवा लें। गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट की सलाह से एंटी-वायरल दवा लेना शुरू करें।
आप आगे की जांच के लिए गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट से बात करें। लिवर के स्टेटस का पता लगाना जरूरी है तभी कुछ कहा जा सकता है।
सबसे बेहतर है कि आप गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट से मिलें और उनसे सलाह लें।