बच्चों और वयस्कों को रोग से बचाने के लिए विभिन्न दवाओं और टीकों का उपयोग किया जाता है। अन्य रोगों की तरह ही बच्चों और व्यस्कों को हेपेटाइटिस ए होने का भी खतरा होता है। यह एक गंभीर लीवर रोग है, जो कि हेपेटाइटिस ए वायरस के कारण फैलता है। यह वायरस हेपेटाइटिस ए से ग्रसित व्यक्ति के मल में मौजूद होता है और यही वायरस अन्य लोगों को भी संक्रमित करने की मुख्य वजह बनता है। इस गंभीर रोग से शिशु, बच्चों और वयस्कों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए हेपेटाइटिस ए के टीके को लगाया जाता है।

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इस लेख में आपको हेपेटाइटिस ए वैक्सीन के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही हेपेटाइटिस ए वैक्सीन क्या है, हेपेटाइटिस ए टीके की खुराक, हेपेटाइटिस ए के टीके की कीमत, हेपेटाइटिस ए वैक्सीन के साइड इफेक्ट और हेपेटाइटिस ए का टीका किसे नहीं दिया जाना चाहिए, आदि बातों को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।    

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  1. हेपेटाइटिस ए वैक्सीन क्या है?
  2. हेपेटाइटिस ए के टीके की खुराक
  3. हेपेटाइटिस ए के टीके से होने वाले साइड इफेक्ट
  4. हेपेटाइटिस ए का टीका किसे नहीं देना चाहिए ?
  5. सारांश

हेपेटाइटिस ए वैक्सीन, हेपेटाइटिस ए वायरस से बचाव करने के लिए दी जाती है। हेपेटाइटिस ए लीवर का एक गंभीर संक्रामक रोग है, जो हेपेटाइटिस ए वायरस के कारण होता है। हेपेटाइटिस ए लीवर में सूजन पैदा करता है और संक्रमित व्यक्ति के लीवर के काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है। 

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संक्रमित भोजन, संक्रमित पानी एवं संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क से हेपेटाइटिस ए होने की संभावना बढ़ जाती है। हेपेटाइटिस ए के साधारण मामलों में किसी विशेष इलाज की आवश्यकता नहीं होती है और अधिकांश लोग लीवर में बिना किसी परेशानी के स्वस्थ हो जाते हैं। लेकिन गंभीर लक्षण होने पर कई मामलों में व्यक्ति का लीवर फेलियर या मृत्यु भी हो सकती है। 

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हेपेटाइटिस ए होने पर व्यक्ति में निम्न तरह के लक्षण हो सकते हैं।

सामान्यतः यह लक्षण दो महीनों से कम समय तक रहते हैं, लेकिन कुछ मामलों में मरीज में ये लक्षण 6 महीनों तक भी देखे जाते हैं। 

व्यस्कों में हेपेटाइटिस ए होने के निम्न मुख्य कारण होते हैं।

इस रोग से बचाव का वैक्सीन ही एक बेहतर तरीका माना जाता है। दो तरह की वैक्सीन से हेपेटाइटिस ए से सुरक्षा मिलती है, जिसमें पहली “हेपेटाइटिस ए वैक्सीन” हैं, जो शिशुओं, बच्चों और वयस्कों को सुरक्षा प्रदान करती है। जबकि दूसरी “हेपेटाइटिस ए और बी की संयोजन वैक्सीन” होती है, इससे केवल वयस्कों का हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी में बचाव होता है।

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हेपेटाइटिस ए का टीका शिशु और वयस्कों दोनों को ही दिया जाता है। शिशु और वयस्कों को इस वैक्सीन की दो खुराक दी जाती है। इस वैक्सीन का इंजेक्शन बाजू के ऊपरी हिस्से में लगाया जाता है। जिसके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है।

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हेपेटाइटिस ए के टीके की शिशु को दी जाने वाली खुराक

  • पहली खुराक: शिशु को 12 माह से 23 माह की आयु के बीच 0.5 मिली. मात्रा में दी जाती है।
  • दूसरी खुराक: शिशु को 2 से 4 साल के बीच 0.5 मिली. मात्रा दी जाती है। (पहली खुराक के बाद 6 से 18 महीनों के बीच कभी भी दे सकते हैं)

हेपेटाइटिस ए के टीके की वयस्कों को दी जाने वाली खुराक

  • वयस्कों को वैक्सीन की दो खुराक, जिसमें प्रत्येक खुराक 1.0 मिली. मात्रा में दी जाती है। वैक्सीन की पहली खुराक के लेने के बाद 6 से 18 महीनों के भीतर व्यक्ति को दूसरी खुराक लेनी होती है। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)
  • किसी यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति को यात्रा से करीब दो सप्ताह पहले वैक्सीन लेनी चाहिए। 

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हेपेटाइटिस ए का टीका सामान्यतः सुरक्षित होता है और यह हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए प्रभावी रूप से काम करता है। लेकिन अन्य वैक्सीन की तरह इससे भी साइड इफेक्ट होने की संभावनाएं काफी अधिक होती है, लेकिन इस वैक्सीन से गंभीर दुष्प्रभाव बेहद ही कम मामलों में होते हैं। सामान्यतः हेपेटाइटिस ए के टीके से होने वाले दुष्प्रभाव बेहद हल्के होते हैं, जो कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। हेपेटाइटिस वैक्सीन के दुष्प्रभावों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

इंजेक्शन लेने के बाद होने वाली कुछ सामान्य परेशानियां- 

  • कुछ लोगों को इंजेक्शन के बाद बेहोशी आने लगती है। (और पढ़ें - डीपीटी वैक्सीन कब लगाई जाती है
  • कुछ लोगों को इंजेक्शन लगाने के बाद कंधे में दर्द महसूस होता है। ऐसे में व्यक्ति अपने कंधे को दर्द लंबे समय तक होता है।  
  • बेहद ही कम मामलों में वैक्सीन से व्यक्ति को एलर्जिक प्रतिक्रिया हो सकती है। वैकसीन लेने के कुछ मिनटों या कुछ घंटों के बाद ऐसा हो सकता है। 

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हेपेटाइटिस ए का टीका कुछ विशेष परिस्थितियो में लेने की सलाह नहीं दी जाती है। किसी रोग या अन्य स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर इस वैक्सीन को शिशु, वयस्कों और बुजुर्गों को देना उचित नहीं मानते है। आगे जानते हैं कि किन लोगों को हेपेटाइटिस ए का टीका नहीं लेना चाहिए।

  • यदि किसी व्यक्ति या शिशु को हेपेटाइटिस ए के टीके की पिछली खुराक से घातक एलर्जी हो या इंजेक्शन की जगह पर एलर्जी हो जाए, तो ऐसे में किसी को भी वैक्सीन की दोबारा खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी होने पर क्या करें
  • जिन लोगों को हल्की या गंभीर बीमारी हो, उनको इस वैक्सीन की खुराक लेने से पहले ठीक होने तक का इंतजार करना चाहिए।
  • हेपेटाइटिस ए की वैक्सीन में मौजूद तत्व से किसी प्रकार की गंभीर एलर्जी होने वाले लोगों को इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए। (और पढ़ें - टीकाकरण क्यों करवाना चाहिए)
  • वैक्सीन लेने से पहले एलर्जी हो, तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
  • जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है उनको हेपेटाइटिस ए वैक्सीन के पूर्ण लाभ नहीं मिल पाते हैं। (और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं)
  • कैंसर के रोगी को दी जाने वाली दवाओं से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, ऐसे में हेपेटाइटिस ए की वैक्सीन को लेने से पहले व्यक्ति को अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। (और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी टीका कब लगाएं)
  • ऐसे कोई भी तथ्य मौजूद नहीं हैं जो इस बात को बताते हों कि गर्भवती महिला को हेपेटाइटिस ए की वैक्सीन लेनी चाहिए। हालांकि भ्रूण के लिए हानिकारक न होने पर ही महिला को गर्भावस्था में हेपेटाइटिस वैक्सीन ली जा सकती है। इस दौरान वैक्सीन को लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।  (और पढ़ें - बीसीजी का टीका क्यों लगाया जाता है
  • स्तनपान महिलाओं को हेपेटाइटिस ए का टीका नहीं लेना चाहिए। फिलहाल इस विषय में कोई तथ्य मौजूद नहीं हैं कि हेपेटाइटिस ए वैक्सीन के तत्व स्तनपान कराने वाली महिला के दूध में आते हैं या नहीं, लेकिन वैक्सीन को बनाने वाली कंपनियां स्तनपान कराने वाली महिला के द्वारा वैक्सीन को लेना उचित नहीं मानते हैं। 

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हेपेटाइटिस ए के टीके का उद्देश्य इस वायरल संक्रमण से बचाव करना है, जो मुख्य रूप से दूषित भोजन और पानी के माध्यम से फैलता है। हेपेटाइटिस ए वायरस लिवर को प्रभावित करता है और इसके लक्षणों में बुखार, थकान, पेट दर्द, और पीलिया शामिल हो सकते हैं। इस संक्रमण से बचने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। हेपेटाइटिस ए का टीका आमतौर पर दो खुराक में दिया जाता है, जो संक्रमण के खिलाफ लंबी अवधि तक सुरक्षा प्रदान करता है। यह टीका खासकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में यात्रा करते हैं या जिनका संपर्क संक्रमित व्यक्तियों से हो सकता है।

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