पेशाब में खून आने की समस्या को हेमाट्यूरिया भी कहते हैं। पेशाब में खून आना किडनी या मूत्र मार्ग से जुड़ी किसी समस्या का संकेत हो सकता है। ग्रॉस हेमाट्यूरिया में पेशाब में खून की मात्रा अधिक होती है, जिसको आंखों द्वारा स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जबकि माइक्रोस्कोपिक हेमाट्यूरिया में खून की मात्रा बहुत कम होती है, जिसको देखने के लिए माइक्रोस्कोप की आवश्यकता होती है।
निम्न स्थितियों में हेमाट्यूरिया होने का खतरा रहता है :
- किडनी रोग की फैमिली हिस्ट्री (मरीज और उसके परिवार के सदस्यों में रहे विकारों एवं बीमारियों का रिकॉर्ड)
- किडनी स्टोन की फैमिली हिस्ट्री
- पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ना
- कुछ दवाएं जैसे कि खून पतला करने वाली, एस्पिरिन या अन्य दर्द निवारक दवाएं या एंटीबायोटिक दवाएं
पेशाब में खून आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि कठिन व्यायाम, महिलाओं में मासिक धर्म, चोट, वायरल संक्रमण, सेक्स या मूत्र मार्ग में संक्रमण। कुछ अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से भी पेशाब में खून आ सकता है, जैसे कि :
- पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (किडनी में सिस्ट बनना)
- सिकल सेल रोग (अनुवांशिक रक्त विकार)
- किडनी या मूत्राशय कैंसर
- खून के थक्के से संबंधित विकार
- किडनी, पुरुषों में प्रोस्टेट या मूत्र मार्ग के किसी भी हिस्से में सूजन या दिक्कत
पेशाब में खून आने की वजह से पेशाब का रंग महरून, गुलाबी, लाल या गहरा मटमैला आता है। कुछ फूड कलर की वजह से भी पेशाब का रंग लाल हो सकता है। इसलिए पेशाब में खून की मौजूदगी की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर यूरिन का सैंपल लेकर उसकी जांच करेंगे।
पेशाब में खून आने के कारण के आधार पर ही ट्रीटमेंट दी जाएगी। जैसे कि मूत्र मार्ग में संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाएं। पेशाब में खून आने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए एलोपैथी के साथ ही होम्योपैथिक ट्रीटमेंट भी ली जा सकती है।
चूंकि, एलोपैथी ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले कल्चर रिजल्ट (खून में बैक्टीरिया या अन्य किसी बाहरी तत्व की जांच के लिए टेस्ट) का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन तब तक लक्षणों को कम करने के लिए होम्योपैथी उपचार शुरू किया जा सकता है।
होम्योपैथिक ट्रीटमेंट पहले संक्रमण को कम करने का काम करती है और फिर व्यक्ति की सेहत में सुधार लाती है।
होम्योपैथिक दवाएं जैसे कि कैंथेरिस वेसिकैटोरिया, नुक्स वोमिका और सर्सापैरिल्ला ऑफिसिनेलिस मूत्र मार्ग में संक्रमण पर कार्य करती हैं। लाइकोपोडियम क्लैवेटम, पल्सेटिला प्रेटेंसिस, कॉस्टिकम और बेलाडोना मूत्राशय में पथरी के इलाज में उपयोगी हैं। लाइकोपोडियम क्लैवेटम और पल्सेटिला प्रेटेंसिस प्रोस्टेट के बढ़ने की स्थिति में भी असरकारी हैं।
हेमाट्यूरिया के इलाज में एकोनिटम नैपेल्लस, एपिस मेलिफिका, अर्निका मोंटाना, बेलाडोना, बर्बेरिस वल्गैरिस, कैनाबिस सैटाइवा, कैन्थरिस वेसिकेटोरिया, कार्बोलिकम एसिडम, इक्विसेटम हाइमेल, एरिजरन कैनाडेंस, लाइकोपोडियम क्लैवेटम, फॉस्फोरस, सर्सापैरिल्ला ऑफिसिनेलिस, सेनेसियो ऑरियस, नुक्स वोमिका और नाइट्रिकम एसिडम जैसी कुछ दवाएं भी उपयोगी हैं।