जब हृदय सही तरीके से खून पंप नहीं करता है या उसकी कार्यक्षमता अनियमित हो जाती है, तो उसे हार्ट फेलियर या कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। अगर आपको हृदय दोष होने का ख़तरा ज़्यादा है, तो आपको अपने हृदय की स्थिति बिगड़ने के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
अचानक हार्ट फेलियर होने से बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें:
अगर आपको नीचे दिए गए लक्षण दिखें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें -
- सांस फूलना
- अचानक बहुत खांसी उठना
- पैरों और पंजों में फ्लूइड रिटेंशन (तरल पदार्थों का जमना)
- उलझन और घबराहट महसूस होना
- बहुत जल्दी थक जाना
- शारीरिक गतिविधियों में परेशानी
- खाना खाने में परेशानी
- दिल की धड़कन बढ़ना
2. स्वस्थ आहार और रूटीन अपनाएं -
अगर आप खाने- पीने की आदतों में थोड़ा सुधार लाएं और नियमित रूप से सही दवाएं लें, तो आप आसानी से हृदय रोग से बच सकते हैं। एक स्वस्थ जीवन- शैली के लिए यह आदतें अपनाएं:
- फल और सब्ज़ियों का सेवन बढ़ाएं
- सैचुरेटेड फैट या ज़्यादा नमक व चीनी न खाएं
- शारीरिक रूप से एक्टिव रहें
- अपनी बीपी की दवाएं नियमित रूप से खाएं
इस बात का ध्यान रहे की आप अपनी दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के बिना न बदलें।
3. अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें -
जब आपका ब्लड प्रेशर ज़्यादा होता है, तो शरीर के अन्य अंगों तक ब्लड पंप करने में आपके हृदय पर ज़्यादा ज़ोर पड़ता है। अगर ऐसा लंबे समय तक होता रहे, तो इससे हृदय की मासपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं। ये ज़रूरी है कि आप अपना ब्लड प्रेशर का स्तर 120/80 रखें। ऊपर बताए स्वस्थ रूटीन का पालन करके आप अपना ब्लड प्रेशर नियंत्रित कर सकते हैं।
4. अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें -
अगर आपको डायबिटीज है, तो आपको हृदय रोग होने का खतरा और भी बढ़ जाता है। खून में ब्लड शुगर की मात्रा ज़्यादा होने से आपकी धमनियों और नसों को नुकसान पहुँच सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए आपको स्वस्थ आहार लेना चाहिए, नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयां समय पर लेनी चाहिए।
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5. अपने हृदय का ध्यान रखें -
बहुत से हृदय रोग आपको अचानक हार्ट फेलियर होने का खतरा बढ़ा देते हैं। अगर आप निम्न किसी रोग से ग्रस्त हैं, तो अपने डॉक्टर से जल्द से जल्द सलाह लें:
- इर्रेगुलर हार्ट वाल्व (हृदय की वाल्व का अनियमित होना)
- कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों का रोग)
- मायोकार्डिटिस (हृदय में सूजन)
- हृदय दोष
- आट्रीयल फिब्रिलेशन (दिल की धड़कन का अनियमित होना)
6. डॉक्टर की बताई हुई दवाओं का दोष प्रभाव जाने -
अगर आप हृदय के किसी अन्य रोग के लिए दवाएं ले रहे हैं, तो ये ज़रूरी है कि आपको उन दवाओं के दुषप्रभाव भी पता हों। उदाहरण के तौर पर, कुछ दवाएं आपके शरीर में नमक की मात्रा बढ़ा देती हैं, जिससे आपका ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है और ऐसी स्थिति घातक साबित हो सकती है। कुछ ऐसी दवाएं भी होती हैं जिनसे आपकी अन्य दवाओं का असर कम हो जाता है और यह दवाएं आपकी हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
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आपको यह जानकारी होनी चाहिए की आपकी दवाओं में कौन से साल्ट हैं और इनके दुष्प्रभाव क्या हैं। अगर आप निम्न स्वास्थ्य समस्याओं की दवा ले रहे हैं, तो आपको और भी ज्यादा सचेत रहना चाहिए :
- दमा (अस्थमा)
- कैंसर
- जुकाम
- एलर्जी
- डिप्रेशन
- डायबिटीज
- स्तंभन दोष (इरेक्टाइल डिसफंक्शन)
- अनियमित दिल की धड़कन
- हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन)
- माइग्रेन
- पेनकिलर
अगर आप ग्रीन टी या जिनसेंग जैसे कोई हर्बल सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो इनसे आपके हृदय पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, इस बारे में भी अपने डॉक्टर से पूछ लें।
7. सिगरेट और शराब से दूर रहें -
आपको अक्सर ऐसा लगता होगा कि कभी-कभी शराब पीने से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुँचता, लेकिन अगर आप एक दिन में 2 गिलास से ज़्यादा शराब पीते हैं, तो ये आपके लिए हानिकारक हो सकता है। ये बात ध्यान रहे, कि अगर आपको पहले कभी हार्ट फेलियर हुआ है, तो किसी भी तरह शराब लेना आपके हृदय के लिए और भी नुकसानदायक हो सकता है। शराब के सेवन से आपका ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन बढ़ जाते हैं और इससे आपके हृदय पर भी अधिक ज़ोर पड़ता है। अगर आपको पहले कभी दिल का दौरा पड़ चूका है और आप फिर भी धूम्रपान करते हैं, तो ये आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। आपको धूम्रपान जल्द से जल्द छोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। धूम्रपान करने पर आपकी धमनियों में प्लाक जम जाता है और सिगरेट के धुएं में मौजूद तंबाकू के अन्य पदार्थ आपके हृदय को भी क्षति पहुंचा सकते हैं ।
मेदांता हॉस्पिटल में, हार्ट टीम सिद्धांत का पालन किया जाता है। यह सिद्धांत सुनिष्चित करता है कि मरीज़ों का इलाज कार्डियक सर्जन, क्लीनिकल कार्डिओलॉजिस्ट्स और इंटरवेंशनल कार्डिओलॉजिस्ट्स की टीम द्वारा ही किया जाए, जिससे उनकी समस्या का बेहतर इलाज हो सके।
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