आप चाहे किसी भी उम्र के हों, हार्ट अटैक यानी हृदयाघात का खतरा हर उम्र में रहता है। यही वजह है कि हृदयाघात न हो, इसके लिक पहले से ही तैयारी कर लेनी चाहिए। अगर आप भी हृदयाघात की आशंका से बचना चाहते हैं तो इन उपायों को आजमाएं-
अगर आपको या आपके साथ मौजूद किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ा है, तो इन उपायों को तुरंत आजमाएं-
आपको दिल का दौरा पड़ा है अगर-
मिनी हार्ट अटैक या माइनर स्ट्रोक आने पर कुछ इस तरह के लक्षण नजर आते हैं-
मिनी हार्ट अटैक या माइनर स्ट्रोक आने पर तुरंत जांच करने के लिए निम्न तरीकों को अपनाएं-
हार्ट अटैक को कंट्रोल करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है अपनी जीवनशैली और खानपान को संतुलित रखना। इसके साथ ही कुछ जरूरी चीजों को नियंत्रित करें जैसे-
हार्ट अटैक एक सीरियस मेडिकल कंडीशन है, जिसमें अचानक दिल तक रक्त की सप्लाई रुक जाती है जिससे ब्लड क्लॅाट हो जाता है। हृदय में रक्त की कमी की वजह से कई हृदय की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। ऐसे में स्थिति कई बार इतनी भयंकर हो जाती है कि मरीज की जान तक जा सकती है।
हार्ट अटैक की आशंका निम्न वजहों से बढ़ती है-
हार्ट अटैक आने पर सीने के बीचो बीच या बाईं ओर दर्द होता है। यह दर्द और असहजता कुछ मिनटों तक बनी रहती है। इसके बाद चली जाती है। लेकिन दर्द थोड़ी-थोड़ी देर बाद लौट आता है। इस बीच सीने में दर्द, ऐंठन और दर्द का अहसास होता है।
साइलेंट हार्ट अटैक असल में वह स्थिति है जब मरीज में हृदयाघात के लक्षण देखने को नहीं मिलते। कुछ लोगों को हार्ट अटैक आने के बावजूद सीने में असहजता, जकड़न, ऐंठन का अहसास नहीं होता। यही साइलेंट हार्ट अटैक होता है। इसका पता मरीज को अटैक होने के बाद चलता है। हां, मरीज को अटैक के दौरान सीने में दर्द हो भी सकता है और दर्द नहीं भी हो सकता है।
साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण हार्ट अटैक जैसे नजर नहीं आते। लेकिन जब अटैक आ जाता है, उसके बाद मरीज को चक्कर आना, पैरों में सूजन और अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इन्हीं संकेतों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपको हार्ट अटैक आ चुका है।
साइलेंट हार्ट अटैक असल में हार्ट अटैक ही है, इसलिए इससे बचने के लिए उन्हीं उपायों को आजमाना होगा, जिन्हें हार्ट अटैक से बचने के लिए आजमाया जाता है। इसके लिए डायबिटीज, धूम्रपान, उच्च रक्त चाप, हाई कोलेस्ट्रोल से बचना होगा। इसके साथ ही तब आपको और भी ज्यादा सजग रहना होगा जब आपके कोई नजदीकी रिश्तेदार या माता-पिता को हृदय संबंधी कोई समस्या है। इन्हीं सब कारणों पर गौर करके साइलेंट हार्ट अटैक से खुद को बचा सकते हैं।
सीने में दर्द, दबाव की कई वजहें हो सकती हैं। खुद ही खुद किसी अनुमान की आशंका न लगाएं। वैसे आप हार्ट अटैक आने का इंतजार क्यों कर रही हैं? बेहतर है आप उन्हें अभी डाक्टर के पास ले जाएं और उन्हें सही ट्रीटमेंट दिलवाएं।
कुछ लोग अस्थमा के लक्षणों को हार्ट अटैक के लक्षण मान बैठते हैं। जबकि अस्थमा और हार्ट अटैक के कुछ लक्षण एक जैसे होने के बावजूद, दोनों एक दसूरे से अलग हैं। मसलन अस्थमा में सांस लेने में तकलकीफ होने पर इनहेलर से उसे रिकवर किया जा सकता है। जबकि इनहेलर हार्ट अटैक के दौरान हुई सांस की कमी में काम नहीं करता। इसी तरह अस्थमा में पैरों में सूजन नहीं आती, जबकि हार्ट अटैक में सूजन आ सकती है। बेहतर यही है कि आप अपने नजीदीकी डाक्टर से मिलें और अपना चेकअप करवाएं।
हालांकि साइलेंट हार्ट अटैक में हार्ट अटैक की तरह लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन यह समस्या जानलेवा है। कई बार साइलेंट हार्ट अटैक के मरीजों की मृत्यु किसी अन्य हृदय संबंधी बीमारी की वजह से हो जाती है। इस तरह देखा जाए तो साइलेंट हार्ट अटैक झेल चुके मरीजों को ज्यादा सजग-सचेत रहना चाहिए।
हर व्यक्ति में हार्ट अटैक के लक्षण अलग-अलग नजर आते हैं। कुछ लोगों में हार्ट अटैक होने पर तेज दर्द होता है, तो कुछ लोगों को दर्द न होकर सीने में ऐंठन, अकड़न महसूस होती है। इसी तरह कुछ लोगों को हार्ट अटैक के लक्षण तुरंत देखने को मिल जाते हैं, तो कुछ लोगों में यह लक्षण हार्ट अटैक आने के कई घंटों, दिनों या हफ्ते पहले नजर आने लगते हैं।
देखिए कुछ लक्षणों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि उन्हें हार्ट अटैक आ सकता है या नहीं। हार्ट अटैक के जो मुख्य लक्षण हें वे हैं सीने में दर्द, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ होना, थकान महसूस करना। बेहतर होगा कि आप अपनी पत्नी को डाक्टर के पास ले जाएं और पूरा ट्रीटमेंट करवाएं।
सबसे पहली बात तो यह है कि स्टेंट लगने की वजह से उन्हें यह दिक्कत नहीं आ रही है। इसलिए आप इस बात को लेकर बेफिक्र रहें कि स्टेंट लगने की वजह से आपके पिता की तबियत खराब हो रही है। हां, इस थेरेपी के दौरान ब्लड थिनर का यूज किया जाता है, इस वजह से ब्लीडिंग हो जाती है। अगर समस्या ज्यादा हो रही है, तो एक बार डाक्टर के पास जाकर उनका चेकअप करवा लें।
देखिए, इन टेस्ट के आधार पर हार्ट अटैक का रिस्क कम हो जाता है। इसके बावजूद यह जानना आपके जरूरी है कि हार्ट का पूरा रिस्क उम्र, लिंग और कई दूसरे फैक्टर्स पर निर्भर करता है।
हां, बिल्कुल उन्हें पहले angiography करानी होगी। इसके बाद अगर जरूरी हो, तो angioplasty भी। उनकी आगे की ट्रीटमेंट के लिए आप उनकी angiography की रिपोर्ट यहां शेयर कर सकती हैं ताकि मैं बेहतर तरीके से आपकी मदद कर सकूं।
डिप्रेशन की वजह से हार्ट अटैक नहीं आता। हां, जिस तरह से आप परेशान हो रहे हैं, स्ट्रेस ले रहे हैं, उससे हार्ट अटैक आने की आशंका बढ़ सकती है। डिप्रेशन के लिए आप साइकेट्रिकस्ट से संकर्प करें। वे आपकी मदद करेंगे। इसके साथ ही आप अपने परिवार के सदस्यों की भी मदद लें।
आप ज्यादा परेशान न हों। चूंकि आपके पिता को हार्ट अटैक आ चुका है, इसी क्षति की वजह से उनका LVEF थोड़ा कम है। डाक्टर की कही बातों का आप ठीक तरह से फॅालो करें। आपके पिता स्वस्थ रहेंगे। अगर किसी तरह की समस्या आप उनमें नोटिस करें, तो डाक्टर को इस संबंध में जानकारी दें।