गैंग्रीन एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसमें खून के प्रवाह से लेकी ऊतकों का नुकसान होता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है लेकिन यह पैर की उंगलियों, पैरों, हाथों और हाथ की उंगलियों में देखा जाता है। आमतौर पर गैंग्रीन चोट, इंफेक्शन या खून के प्रवाह को प्रभावित करने वाली दीर्घकालिक स्थितियों की वजह से होता है।
गैंग्रीन दो तरह का होता है : सूखा और गीला गैंग्रीन।
जब पहले से ही किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त जैसे कि डायबिटीज की वजह से खून की सप्लाई बंद हो जाए तो सूखा यानि ड्राई गैंग्रीन होता है। डायबिटीज में हाई ब्लड प्रेशर खून की वाहिकाओं को डैमेज करता है जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है, ऑक्सीजन की सप्लाई घटती है और ऊतक मर जाते हैं।
प्रभावित हिस्सा सूखा, मुरझाया हुआ और काला दिखता है।
वहीं गीले यानि वेट गैंग्रीन इंफेक्शन से होता है जो चोट लगने, जलने या ठंड से ऊतकों को लगने वाली चोट से हो सकता है।
जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है जैसे कि डायबिटीज के मरीज, उन्हें बैक्टीरियल इंफेक्शन का ज्यादा खतरा रहता है इसलिए ये वेट गैंग्रीन के जोखिम में ज्यादा रहते हैं। इसमें प्रभावित हिस्सा सूजा हुआ, नमी वाला और पस लिए दिखता है।
फुट अल्सर की जगह पर गैंग्रीन हो सकता है जो टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज की एक आम समस्या है।
गैंग्रीन के लक्षण हैं :
- प्रभावित हिस्से में सूजन और लालिमा।
- प्रभावित हिस्से में कुछ महसूस न होना या तेज दर्द।
- छाले होना जिसमें से खून या बदबूदार स्राव हो।
- त्वचा का ठंडा या पीला पड़ना।
- हाथ-पैरों में भारीपन।
- उस हिस्से को दबाने पर क्रैक की आवाज आना जो कि स्किन के अंदर गैस बनने की वजह से होता है।
- 38 डिग्री सेल्सियस या इससे ज्यादा तेज बुखार होना।
- भूख में कमी आना।
- दिल की धड़कन तेज होना।
- सांसें तेज चलना।
- चक्कर आना।
यदि तुरंत इलाज न किया जाए तो ऊतक मरना शुरू कर देते हैं, प्रभावित हिस्से का रंग लाल से नीला या काला पड़ने लगता है और मुरझाकर गिर जाता है। अगर बैक्टीरिया रक्त वाहिका में घुस जाए तो व्यक्ति को सेप्टिक शॉक लग सकता है जो जानलेवा होता है। सेप्टिक शॉक के संकेत हैं :
- पल्स का कमजोर और तेज होना।
- चक्कर आना।
- उलझन होना।
- सांस लेने में दिक्कत होना।
- उल्टी
- दस्त
- स्किन ठंडी, पीली और चिपचिपी होना।
गैंग्रीन के संकेतों को जानना जरूरी है ताकि इसके गंभीर होने से पहले ही इलाज शुरू हो सके। गैंग्रीन के इलाज में सर्जरी से लेकर डैमेज वाहिका को दोबारा बनाने से लेकर इंफेक्शन के इलाज के लिए एंटीबायोटिक, ऑक्सीजन थेरेपी से लेकर हेल्दी हीलिंग को बढ़ावा देना और मैग्गोट ट्रीटमेंट शामिल है।
गैंग्रीन और इसके लक्षणों के इलाज के लिए होम्योपैथी में कई नुस्खे हैं। ये दवाएं रक्त प्रवाह को ठीक करने और प्रभावित हिस्से को ठीक करने में मदद करते हैं। इसकी कुछ दवाएं हैं एंथ्रासीन, आर्सेनिक एल्बम, एसोफिटिडा, कैंथेरिस, कार्बो वेज, कॉस्टिकम, क्रोटैलस, हैमामेलिस, क्रेयोसोटम, लैकेसिस, प्लम्बम मेट, सिकेल कोर और स्ट्रैमोनियम।