लीवर के ठीक नीचे पित्ताशय होता है और ये लीवर से स्रावित होने वाले द्रव (पित्तरस) को संग्रहित करता है। पित्ताशय शरीर की पित्त प्रणाली का एक हिस्सा होता है। पित्ताशय की पथरी क्रिस्टल जैसा पदार्थ होता है, जो पित्ताशय में बनने लगता है। पित्ताशय की पथरी पित्ताशय में बिना किसी प्रकार के दर्द व अन्य लक्षण पैदा किए रह सकती है या यह पित्ताशय की दीवारों को उत्तेजित कर सकती है व पित्त नलिकाओं को बंद कर सकती है। इसके कारण संक्रमण, सूजन व जलन और पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द हो सकता है।
पथरी के लक्षण तभी दिखने शुरू होते हैं जब पथरी बनने के कारण पित्त नलिका में ब्लॉकेज हो जाता है। पथरी बनने पर पीलिया, बुखार, पेट के ऊपरी हिस्से में दाईं तरफ दर्द होने (जो कई घंटों तक रहे), वसायुक्त आहार खाने के बाद अचानक दर्द होने, भूख में कमी और दस्त जैसे लक्षण दिखते हैं।
पथरी के आकार पर ये निर्भर करता है कि उसे दवा से निकालना है या सर्जरी से। आमतौर पर छोटी पथरी को निकालने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, बहुत कम ही ऐसा होता है जब दवाएं पथरी में बहुत असरकारी हों। इसमें इलाज बंद करने पर पथरी दोबारा होने का खतरा रहता है। ऐसे मामलों और पथरी का आकार बड़ा होने पर सर्जरी सबसे असरकारी विकल्प है।
होम्योपैथी उपचार सर्जरी का बेहतर विकल्प है। कार्डुअस मैरियेनस, कैल्केरिया कार्बोनिका, फेल टौरी और कई दवाओं का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है। इन दवाओं से इलाज के बाद पथरी के दोबारा होने के मामले भी अब तक नहीं देखे गए हैं।