फंगल इन्फेक्शन, शरीर पर फंगस (कवक) बढ़ने के कारण होता है। फंगस, मानव शरीर के गर्म और नम वातावरण में अच्छे से पनपती है, इसीलिए फंगल इन्फेक्शन हर उम्र के महिलाओं व पुरुषों को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में फंगी, त्वचा, नाखूनों और महिलाओं की जननांग प्रणाली (कैंडिडा संक्रमण) को प्रभावित करती है। रिंगवर्म, एथलीट फुट और जॉक खुजली ऐसे कुछ संक्रमण हैं, जो फंगस के कारण होते हैं। फंगल इन्फेक्शन फेफड़ों (निमोनिया), आंखों (केराटाइटिस) और कानों (ऑटोमाइकोसिस) में भी होते हैं।
त्वचा के फंगल इन्फेक्शन, खासकर जोड़ों की त्वचा में बहुत अधिक खुजली होती है। महिलाओं में होने वाले कैंडिडा संक्रमण में बहुत अधिक खुजली के साथ योनि से गाढ़ा रिसाव होता है।
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एलोपथी में, फंगल इन्फेक्शन के लिए डॉक्टर अलग-अलग एंटीफंगल दवाएं देते हैं। हालांकि, फंगल इन्फेक्शन के लिए होम्योपैथिक दवाओं को रोगी के लक्षणों के आधार पर चुना जाता है। होम्योपैथिक उपचार समानताओं पर काम करता है, जिसके अनुसार बीमारी के लक्षणों को ठीक करने के लिए वो ही दवा दी जाती है, जो ये लक्षण पैदा कर सकती है। थूजा ऑक्सिडेंटलिस (Thuja Occidentalis), सेपिया (Sepia), मेज़ेरियम (Mezereum), पेट्रोलियम (Petroleum), सल्फर (Sulphur), काली आयोडेटम (Kali iodatum), सिलेशिया (Silicea) और ग्रेफाइट (Graphites) ऐसी कुछ होम्योपैथिक दवाएं हैं, जिन्हें फंगल इन्फेक्शन का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है।