दुनियाभर में होने वाले संक्रमण में सबसे सामान्य फंगल इन्फेक्शन है। शरीर के ऊतकों में किसी कवक (फुंगी) के बढ़ने और फैलने पर फंगल इंफेक्शन होता है। सामान्य पैथोजेनिक फुंगी (मनुष्य में बीमारी पैदा करने वाले फुंगी) में एस्पेरगिलस, ब्लास्टोमायकोसिस, कैंडिडा, कोक्सीडिओडोडेस, क्रिप्टोकोकस निओफोरमंस, क्रिप्टोकोकस गट्टी और हिस्टोप्लाज्मा शामिल हैं। ये शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है जैसे कि आंखें, कान, जठरांत्र मार्ग, योनि, मुंह, गला, पैरों के नाखून, ऊंगलियों के नाखून, फेफड़ों और त्वचा आदि।
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फंगल संक्रमण के उपचार के लिए कुछ आयर्वेदिक जड़ी बूटियों और औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है जिनमें रसोनम (लहसुन), अदरक, यष्टिमधु (मुलेठी), अश्वगंधा, नीम, तुलसी, हरिद्रा (हल्दी), वासा (अडूसा), हिंगुलिया माणिक्यरस, दद्रुघ्न वटी, चंद्रप्रभा वटी, आरोग्यवर्धिनी वटी, कैशोर गुग्गुल और गंधक रसायन शामिल हैं। फंगल इंफेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार में वमन (औषधियों से उल्टी) और लेप (शरीर के प्रभावित हिस्से पर औषधि लगाना) प्रभावी है।