टाइप-2 डायबिटीज की बीमारी से दुनिया भर में 42.2 करोड़ लोग ग्रसित हैं। डॉक्टर एक दशक से डायबिटीज के मरीज़ों को, डायबिटीज के लिए बनाए गए दवा देकर, शुगर के स्तर को कम करने के की कोशिश कर रहें हैं।

लेकिन वहीं दूसरे तरफ, लंडन के "द लैनसेट" पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च में इस बात का दवा किया गया कि लोग वजन कम करकें शुगर को कम कर सकते हैं।

(और पढ़ें - डायबिटीज का इलाज)

  1. वजन कम होने से डायबिटीज ठीक - स्टडी
  2. 300 लोगों पर किया रिसर्च

अध्ययन में, आधे लोगों को 6 महीने का डाइट प्लान दिया गया। इस डाइट प्लान से औसतन उन लोगों में 14 किलो वजन कम हुआ और साथ ही वे लोग मधुमेह की बीमारी से भी मुक्त हो गए। चौकाने वाली बात ये थी कि उन में से किसी ने भी उस दौरान मधुमेह के इलाज के लिए किसी भी प्रकार की दवा नहीं ली। ये सब केवल वजन कम होने की वजह से हुआ।

टाइप-2 मधुमेह की वजह से आपका शरीर मीठे खाद्य पदार्थों को नहीं पचा पाती हैं। आमतौर पर कोशिकाएं, पाचक ग्रन्थी (अग्न्याशय) में इंसुलिन के स्राव के लिए काम करती हैं। आपके शरीर में कोशिकाओं को उर्जा शर्करा से मिलती है और इस शर्करा को हार्मोन प्रक्रिया में लाता है और कोशिकाओं तक पहुंचाता है। जिन्हें आपकी कोशिकाएं उर्जा के रूप में इस्तेमाल कर लेती हैं या भविष्य की उर्जा के लिए फैट के रूप में एकट्ठा कर लेती हैं। हालांकि लीवर की कोशिकाएं इंसुलिन को परिसंचरण के माध्याम से साफ करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। लेकिन पाचक ग्रंथी (अग्न्याशय) और लीवर में अधिक फैट की वजह से कोशिकाओं में इंसुलिन का उत्पादन बंद हो जाता है, जिससे ब्लड में कील (स्पाइक्स) निकल आते हैं। मधुमेह की दवाई शुगर के स्तर को कम कर सकता है लेकिन इंसुलिन के साथ समझौता नहीं कर सकता है।

(और पढ़ें - शुगर का आयुर्वेदिक इलाज)

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न्यूकैसल विश्वविद्यालय के मेडिसिन और मेटाबोल्जिम के प्रोफेसर डॉक्टर रॉय टेलर और उनके सहयोगियों ने 300 लोगों पर एक अध्ययन किया। अध्ययन में, वजन प्रबंधन कार्यक्रम, उसके इलाज और साथ ही मधुमेह के इलाज के लिए 300 लोगों को चुना। इस अध्ययन से पहले 6 साल तक सभी लोगों में टापइ-2 मधुमेह के लक्षण की पहचान की गई। रिसर्च के दौरान लोगों को दो समूह में बांटा गया। एक समूह के लोगों को एक खास डाइट प्लान दिया गया। जिस दिन से डाइट प्लान शुरू हुआ, उस दिन से इस समूह के सभी लोगों की मधुमेह की सभी प्रकार की दवाईयां बद कर दी गई। उस डाइट को इस तरह डिजाइन किया था कि लोगों का कम से कम 14 वजन कम हो जाए।

टेलर और उनके टीम ने पाया कि लोगों का वजन कम हुआ है। साथ ही मधुमेह के स्तर में कमी आई है और लीवर में फैट के स्तर का भी पता चला। एक साल के बाद जिस समूह को एक डाइट प्लान दिया गया था, उस समूह के लोगों का 10 किलो वजन कम हुआ, जबकि दूसरे समूह के लोग मात्र 1 किलो ही वजन कम कर पाए। जिस समूह को डाइट प्लान दिया गया था, उनमें से एक चौथाई लोग 15 किलो वजन कम करने में सक्षम रहे, जबकि दूसरे समूह वाले इतना वजन कम करने में सक्षम नहीं हो पाए।

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि जिस समूह को डाइट प्लान दिया गया था, उनमें से 46% लोगों के मधमेह में सुधार पाया गया, जबकि दूसरे समूह के 4% लोगों में ही मधुमेह की बीमारी में सुधार आया।

(और पढ़ें - शुगर के लिए योग)

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