डायबिटीज तब होती है जब अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है या भले ही यह पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन कर रहा हो, लेकिन शरीर उसे पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो शरीर को ग्लूकोज या चीनी को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है। यदि हमारे शरीर को ग्लूकोज के चयापचय में दिक्कत आती है, तो इसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।

  1. सफेद रक्त कोशिकाओं की कार्यप्रणाली होती है प्रभावित
  2. ठीक से नहीं होता ब्लड सर्कुलेशन
  3. सारांश
डायबिटीज घाव भरने को कैसे प्रभावित करती है? के डॉक्टर

लंबे समय से डायबिटीज की समस्या होने पर हृदय रोग या किडनी की बीमारी जैसी कई गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि किसी व्यक्ति को यदि डायबिटीज है, तो घाव भरने में अधिक समय लगता है, फिर चाहे वह लंबे समय से डायबिटीज से ग्रस्त हो या कम समय से इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

ऐसे में यदि डायबिटीज को नियंत्रित नहीं किया गया तो यह गंभीर संक्रमण के खतरे को तेजी से बढ़ाता है। मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, डायबिटीज और किसी घाव के धीमी गति से भरने के बीच स्पष्ट संबंध पाया गया है।

इंसुलिन का उत्पादन कम होने या जब शरीर इंसुलिन को पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पा रहा हो (इंसुलिन प्रतिरोध), तो ऐसे में ब्लड शुगर का हाई लेवल सफेद रक्त कोशिकाओं के कामकाज में असंतुलन पैदा करता है। सफेद रक्त कोशिकाएं हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें किसी तरह की बाधा आने पर शरीर बैक्टीरिया और अन्य रोगजनक रोगाणुओं से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता है और ऐसे में घाव ठीक होने की गति धीमी हो जाती है।

(और पढ़ें - नॉर्मल शुगर लेवल रेंज कितना होना चाहिए)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Madhurodh Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को डायबिटीज के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Sugar Tablet
₹899  ₹999  10% छूट
खरीदें

डायबिटीज होने पर नई रक्त वाहिकाओं के बनने या मौजूदा वाहिकाओं को खुद को ठीक करने में भी परेशानी आती है, जिस कारण खून का सर्कुलेशन सही से नहीं हो पाता है। इसके अलावा जो पोषक तत्व घाव भरने के लिए जरूरी होते हैं, यह उन पर विपरीत असर करता है। यही वजह है कि चोटों को ठीक होने में अधिक समय लगता है या कभी-कभी चोटें बिल्कुल ठीक नहीं होती हैं। खून का सर्कुलेशन खराब होने पर अक्सर तंत्रिका संबंधी समस्याएं होती हैं, इसकी वजह से लिंब (शरीर का बड़ा हिस्सा जैसे किसी व्यक्ति में उसके हाथ या पैर) का सुन्न होना और संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है।

डायबिटीज में विशेष रूप से पैरों की चोट ज्यादा खराब होती है, क्योंकि पैर या तलवों पर एक छोटा सा घाव भी अल्सर का रूप ले सकता है। यदि इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह बदतर हो जाता है। डा​यबिटीज रोगियों में से लगभग हर पांचवे व्यक्ति में अल्सर विकसित होने लगता है। कई मामलों में लोअर लिंब को निकलवाने की जरूरत पड़ती है। यही कारण है कि डायबिटीज मरीजों को किसी प्रकार का कट, चोट, खरोंच या जलने (खासतौर पर पैरों में) के प्रति सावधान रहना चाहिए। ऐसे लोगों को पैरों का नियमित रूप से निरीक्षण करने के साथ-साथ किसी भी घाव की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए, ताकि आगे होने वाले संक्रमण के खतरे को समय पर रोका जा सके।

(और पढ़ें - रक्त संचार में कमी का कारण और बढ़ाने के उपाय)

यदि संक्रमण को नजरअंदाज किया गया, तो ऐसे में यह फैल सकता है और गैंग्रीन या सेप्सिस की समस्या हो सकती है। ध्यान रहे, घाव को सही तरीके से भरने के लिए डायबिटीज रोगियों को उचित आहार, शारीरिक गतिविधि, इंसुलिन और दवाओं के माध्यम से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण रखना जरूरी होता है।

Dr.Jainaa Khedawala

Dr.Jainaa Khedawala

मधुमेह चिकित्सक
2 वर्षों का अनुभव

Dr. Surbhi Agrawal

Dr. Surbhi Agrawal

मधुमेह चिकित्सक
11 वर्षों का अनुभव

Dr. Sweta S

Dr. Sweta S

मधुमेह चिकित्सक
9 वर्षों का अनुभव

Dr. Khushali Vyas

Dr. Khushali Vyas

मधुमेह चिकित्सक
11 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें